Hindi Initiatives, IASbaba Prelims 60 Days Plan, Rapid Revision Series (RaRe)
Archives
Hello Friends
60 दिनों की रैपिड रिवीजन (RaRe) सीरीज IASbaba की एक महत्त्वपूर्ण पहल है जो टॉपर्स द्वारा अनुशंसित है और हर साल अभ्यर्थियों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद की जाती है।
यह सबसे व्यापक कार्यक्रम है जो आपको दैनिक आधार पर पाठ्यक्रम को पूरा करने, रिवीजन करने और टेस्ट का अभ्यास करने में मदद करेगा। दैनिक आधार पर कार्यक्रम में शामिल हैं
- उच्च संभावित टॉपिक्स पर दैनिक रैपिड रिवीजन (RaRe) सीरीज वीडियो (सोमवार – शनिवार)
- वीडियो चर्चा में, उन टॉपिक्स पर विशेष ध्यान दिया जाता है जिनकी UPSC प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्न पत्र में आने की उच्च संभावना होती है।
- प्रत्येक सत्र 20 मिनट से 30 मिनट का होगा, जिसमें कार्यक्रम के अनुसार इस वर्ष प्रीलिम्स परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण 15 उच्च संभावित टॉपिक्स (स्टैटिक और समसामयिक दोनों) का तेजी से रिवीजन शामिल होगा।
Note – वीडियो केवल अंग्रेज़ी में उपलब्ध होंगे
- रैपिड रिवीजन नोट्स
- परीक्षा को पास करने में सही सामग्री महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और रैपिड रिवीजन (RaRe) नोट्स में प्रीलिम्स विशिष्ट विषय-वार परिष्कृत नोट्स होंगे।
- मुख्य उद्देश्य छात्रों को सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक्स को रिवाइज़ करने में मदद करना है और वह भी बहुत कम सीमित समय सीमा के भीतर करना है
Note – दैनिक टेस्ट और विस्तृत व्याख्या की पीडीएफ और ‘दैनिक नोट्स’ को पीडीएफ प्रारूप में अपडेट किया जाएगा जो अंग्रेजी और हिन्दी दोनों में डाउनलोड करने योग्य होंगे।
- दैनिक प्रीलिम्स MCQs स्टेटिक (सोमवार – शनिवार)
- दैनिक स्टेटिक क्विज़ में स्टेटिक विषयों के सभी टॉपिक्स शामिल होंगे – राजनीति, इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, पर्यावरण तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी।
- 20 प्रश्न प्रतिदिन पोस्ट किए जाएंगे और इन प्रश्नों को शेड्यूल में उल्लिखित टॉपिक्स और RaRe वीडियो से तैयार किया गया है।
- यह आपके स्टैटिक टॉपिक्स का समय पर और सुव्यवस्थित रिवीजन सुनिश्चित करेगा।
- दैनिक करेंट अफेयर्स MCQs (सोमवार – शनिवार)
- दैनिक 5 करेंट अफेयर्स प्रश्न, ‘द हिंदू’, ‘इंडियन एक्सप्रेस’ और ‘पीआईबी’ जैसे स्रोतों पर आधारित, शेड्यूल के अनुसार सोमवार से शनिवार तक प्रकाशित किए जाएंगे।
- दैनिक CSAT Quiz (सोमवार –शनिवार)
- सीसैट कई अभ्यर्थियों के लिए परेशानी का कारण रहा है।
- दैनिक रूप से 5 सीसैट प्रश्न प्रकाशित किए जाएंगे।
Note – 20 स्टैटिक प्रश्नों, 5 करेंट अफेयर्स प्रश्नों और 5 CSAT प्रश्नों का दैनिक रूप से टेस्ट। (30 प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न) प्रश्नोत्तरी प्रारूप में अंग्रेजी और हिंदी दोनों में दैनिक आधार पर अपडेट किया जाएगा।
60 DAY रैपिड रिवीजन (RaRe) सीरीज के बारे में अधिक जानने के लिए – CLICK HERE
Download 60 Day Rapid Revision (RaRe) Series Schedule – CLICK HERE
Download 60 Day Rapid Revision (RaRe) Series Notes & Solutions DAY 14 – CLICK HERE
Note –
- Comment your Scores in the Comment Section. This will keep you accountable, responsible and sincere in days to come.
- It will help us come out with the Cut-Off on a Daily Basis.
Important Note
- Don’t forget to post your marks in the comment section. Also, let us know if you enjoyed today’s test 🙂
- You can post your comments in the given format
- (1) Your Score
- (2) Matrix Meter
- (3) New Learning from the Test
Test-summary
0 of 30 questions completed
Questions:
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
- 6
- 7
- 8
- 9
- 10
- 11
- 12
- 13
- 14
- 15
- 16
- 17
- 18
- 19
- 20
- 21
- 22
- 23
- 24
- 25
- 26
- 27
- 28
- 29
- 30
Information
The following Test is based on the syllabus of 60 Days Plan-2022 for UPSC IAS Prelims 2022.
To view Solutions, follow these instructions:
- Click on – ‘Start Test’ button
- Solve Questions
- Click on ‘Test Summary’ button
- Click on ‘Finish Test’ button
- Now click on ‘View Questions’ button – here you will see solutions and links.
You have already completed the test before. Hence you can not start it again.
Test is loading...
You must sign in or sign up to start the test.
You have to finish following test, to start this test:
Results
0 of 30 questions answered correctly
Your time:
Time has elapsed
You have scored 0 points out of 0 points, (0)
Average score |
|
Your score |
|
Categories
- Not categorized 0%
Pos. | Name | Entered on | Points | Result |
---|---|---|---|---|
Table is loading | ||||
No data available | ||||
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
- 6
- 7
- 8
- 9
- 10
- 11
- 12
- 13
- 14
- 15
- 16
- 17
- 18
- 19
- 20
- 21
- 22
- 23
- 24
- 25
- 26
- 27
- 28
- 29
- 30
- Answered
- Review
-
Question 1 of 30
1. Question
भारत के प्रधान मंत्री के चयन और नियुक्ति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति को लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त करना होता है।
- अनुच्छेद 75 में प्रधान मंत्री के चयन और नियुक्ति के लिए विशिष्ट प्रक्रिया दी गई है।
- भारत के राष्ट्रपति अपने व्यक्तिगत विवेक का उपयोग प्रधान मंत्री की नियुक्ति के लिए कर सकते हैं, जब लोकसभा में किसी भी दल के पास स्पष्ट बहुमत न हो।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा सही है?
Correct
Solution (c)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 कथन 3 गलत गलत सही सरकार की संसदीय प्रणाली की परंपराओं के अनुसार, राष्ट्रपति को लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त करना होता है। भारत के संविधान में प्रधान मंत्री के चयन और नियुक्ति के लिए कोई विशिष्ट प्रक्रिया नहीं है। अनुच्छेद 75 केवल यह कहता है कि राष्ट्रपति द्वारा प्रधान मंत्री की नियुक्ति की जाएगी। जब लोकसभा में किसी भी दल के पास स्पष्ट बहुमत नहीं होता है, तब राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के चयन और नियुक्ति में अपने व्यक्तिगत विवेक का प्रयोग कर सकता है। ऐसी स्थिति में, राष्ट्रपति आमतौर पर लोकसभा में सबसे बड़े दल या गठबंधन के नेता को प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त करता है और उसे एक महीने के भीतर सदन में विश्वास मत प्राप्त करने के लिए कहता है।
Incorrect
Solution (c)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 कथन 3 गलत गलत सही सरकार की संसदीय प्रणाली की परंपराओं के अनुसार, राष्ट्रपति को लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त करना होता है। भारत के संविधान में प्रधान मंत्री के चयन और नियुक्ति के लिए कोई विशिष्ट प्रक्रिया नहीं है। अनुच्छेद 75 केवल यह कहता है कि राष्ट्रपति द्वारा प्रधान मंत्री की नियुक्ति की जाएगी। जब लोकसभा में किसी भी दल के पास स्पष्ट बहुमत नहीं होता है, तब राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के चयन और नियुक्ति में अपने व्यक्तिगत विवेक का प्रयोग कर सकता है। ऐसी स्थिति में, राष्ट्रपति आमतौर पर लोकसभा में सबसे बड़े दल या गठबंधन के नेता को प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त करता है और उसे एक महीने के भीतर सदन में विश्वास मत प्राप्त करने के लिए कहता है।
-
Question 2 of 30
2. Question
त्रिशंकु संसद के मामले में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- एक व्यक्ति जो संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं है, उसे छह महीने के लिए प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, जिसके भीतर उसे लोकसभा का सदस्य बनना चाहिए।
- संविधान में यह अपेक्षा नहीं की गई है कि किसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किए जाने से पूर्व लोक सभा में अपना बहुमत साबित करना होगा।
निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
Correct
Solution (a)
Basic Info:
कथन 1 कथन 2 गलत सही 1997 में, सुप्रीम कोर्ट ने माना कि एक व्यक्ति जो संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं है, उसे छह महीने के लिए प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, जिसके भीतर उसे संसद के किसी भी सदन का सदस्य बनना चाहिए, अन्यथा वह प्रधानमंत्री नहीं रहेगा। संवैधानिक रूप से, प्रधान मंत्री संसद के दोनों सदनों में से किसी एक का सदस्य हो सकता है।
1980 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान की आवश्यकता नहीं है कि एक व्यक्ति को प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त होने से पहले लोकसभा में अपना बहुमत साबित करना होगा। राष्ट्रपति पहले उसे प्रधान मंत्री नियुक्त कर सकता है और फिर उसे उचित अवधि के भीतर लोकसभा में बहुमत साबित करने के लिए कह सकता है।
Incorrect
Solution (a)
Basic Info:
कथन 1 कथन 2 गलत सही 1997 में, सुप्रीम कोर्ट ने माना कि एक व्यक्ति जो संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं है, उसे छह महीने के लिए प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, जिसके भीतर उसे संसद के किसी भी सदन का सदस्य बनना चाहिए, अन्यथा वह प्रधानमंत्री नहीं रहेगा। संवैधानिक रूप से, प्रधान मंत्री संसद के दोनों सदनों में से किसी एक का सदस्य हो सकता है।
1980 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान की आवश्यकता नहीं है कि एक व्यक्ति को प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त होने से पहले लोकसभा में अपना बहुमत साबित करना होगा। राष्ट्रपति पहले उसे प्रधान मंत्री नियुक्त कर सकता है और फिर उसे उचित अवधि के भीतर लोकसभा में बहुमत साबित करने के लिए कह सकता है।
-
Question 3 of 30
3. Question
संविधान के अनुच्छेद 75 के तहत प्रदान किए गए निम्नलिखित में से कौन से प्रावधान सही हैं?
- प्रधान मंत्री सहित मंत्रिपरिषद की संख्या लोकसभा की कुल संख्या के 10% से अधिक नहीं होगी।
- मंत्री प्रधानमंत्री के प्रसाद पर्यंत पद धारण करेंगे।
- मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से संसद के प्रति उत्तरदायी होगी।
नीचे दिए गए कूटों में से चुनें:
Correct
Solution (d)
अनुच्छेद 75 के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान:
1.प्रधान मंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधान मंत्री की सलाह पर की जाएगी।
- मंत्रिपरिषद में प्रधान मंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या लोकसभा की कुल संख्या के 15% से अधिक नहीं होनी चाहिए। यह प्रावधान 2003 के 91वें संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया था।
- किसी भी राजनीतिक दल से संबंधित संसद के किसी भी सदन का सदस्य जो दलबदल के आधार पर अयोग्य हो जाता है, वह भी मंत्री के रूप में नियुक्त होने के लिए अयोग्य हो जाएगा। यह प्रावधान 2003 के 91वें संशोधन अधिनियम द्वारा भी जोड़ा गया था।
- मंत्री राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त पद धारण करेंगे।
- मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होगी।
- राष्ट्रपति किसी मंत्री को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएगा।
- एक मंत्री जो लगातार छह महीने की अवधि के लिए संसद (दोनों में से किसी भी सदन) का सदस्य नहीं है, वह मंत्री नहीं रहेगा।
- मंत्रियों के वेतन और भत्ते संसद द्वारा निर्धारित किए जाएंगे।
Incorrect
Solution (d)
अनुच्छेद 75 के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान:
1.प्रधान मंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधान मंत्री की सलाह पर की जाएगी।
- मंत्रिपरिषद में प्रधान मंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या लोकसभा की कुल संख्या के 15% से अधिक नहीं होनी चाहिए। यह प्रावधान 2003 के 91वें संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया था।
- किसी भी राजनीतिक दल से संबंधित संसद के किसी भी सदन का सदस्य जो दलबदल के आधार पर अयोग्य हो जाता है, वह भी मंत्री के रूप में नियुक्त होने के लिए अयोग्य हो जाएगा। यह प्रावधान 2003 के 91वें संशोधन अधिनियम द्वारा भी जोड़ा गया था।
- मंत्री राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त पद धारण करेंगे।
- मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होगी।
- राष्ट्रपति किसी मंत्री को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएगा।
- एक मंत्री जो लगातार छह महीने की अवधि के लिए संसद (दोनों में से किसी भी सदन) का सदस्य नहीं है, वह मंत्री नहीं रहेगा।
- मंत्रियों के वेतन और भत्ते संसद द्वारा निर्धारित किए जाएंगे।
-
Question 4 of 30
4. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- प्रधान मंत्री भारत सरकार के व्यवसाय के अधिक सुविधाजनक संव्यवहार/लेनदेन के लिए नियम बनाते हैं।
- प्रत्येक मंत्री को संसद के किसी भी सदन की कार्यवाही में बोलने और मतदान करने का अधिकार होगा।
निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
Correct
Solution (d)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 गलत गलत अनुच्छेद 77 के अनुसार: भारत सरकार की सभी कार्यकारी कार्रवाई राष्ट्रपति के नाम पर की गई मानी जाएगी।
राष्ट्रपति भारत सरकार के व्यवसाय के अधिक सुविधाजनक लेन-देन के लिए तथा उक्त व्यवसाय के मंत्रियों के बीच आवंटन के लिए नियम बनाएंगे।
अनुच्छेद 88 के अनुसार: प्रत्येक मंत्री को किसी भी सदन की कार्यवाही, सदनों की किसी भी संयुक्त बैठक और संसद की किसी भी समिति, जिसका वह सदस्य नामित किया जा सकता है, की कार्यवाही में बोलने और भाग लेने का अधिकार होगा। लेकिन उसे वोट देने का अधिकार नहीं होगा।
Incorrect
Solution (d)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 गलत गलत अनुच्छेद 77 के अनुसार: भारत सरकार की सभी कार्यकारी कार्रवाई राष्ट्रपति के नाम पर की गई मानी जाएगी।
राष्ट्रपति भारत सरकार के व्यवसाय के अधिक सुविधाजनक लेन-देन के लिए तथा उक्त व्यवसाय के मंत्रियों के बीच आवंटन के लिए नियम बनाएंगे।
अनुच्छेद 88 के अनुसार: प्रत्येक मंत्री को किसी भी सदन की कार्यवाही, सदनों की किसी भी संयुक्त बैठक और संसद की किसी भी समिति, जिसका वह सदस्य नामित किया जा सकता है, की कार्यवाही में बोलने और भाग लेने का अधिकार होगा। लेकिन उसे वोट देने का अधिकार नहीं होगा।
-
Question 5 of 30
5. Question
सामूहिक उत्तरदायित्व (Collective Responsibility) के सिद्धांत के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
- सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धांत का मतलब है कि कैबिनेट के फैसले सभी कैबिनेट मंत्रियों पर ही बाध्यकारी होते हैं।
- यदि कोई मंत्री कैबिनेट के फैसले से असहमत है और इसका बचाव करने के लिए तैयार नहीं है, तो उसे इस्तीफा दे देना चाहिए।
- सामूहिक उत्तरदायित्व को केवल प्रधानमंत्री के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है।
- लोकसभा से केवल मंत्री इस्तीफा देते हैं, जब लोकसभा मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित करती है।
नीचे दिए गए कूटों में से चुनें:
Correct
Solution (a)
Basic Info:
अनुच्छेद 75 में कहा गया है कि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। इसका मतलब यह है कि सभी मंत्री अपने सभी भूल-चूक के कार्यों के लिए लोकसभा के प्रति संयुक्त जिम्मेदारी रखते हैं।
जब लोकसभा मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित करती है, तो सभी मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ता है, जिसमें वे मंत्री भी शामिल हैं जो राज्यसभा से हैं।
सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत का अर्थ यह भी है कि कैबिनेट के फैसले सभी कैबिनेट मंत्रियों (और अन्य मंत्रियों) को बाध्य करते हैं, भले ही वे कैबिनेट बैठक में भिन्न हों।
प्रत्येक मंत्री का यह कर्तव्य है कि वह कैबिनेट के फैसलों पर कायम रहें और संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह उनका समर्थन करें। यदि कोई मंत्री कैबिनेट के फैसले से असहमत है और इसका बचाव करने के लिए तैयार नहीं है, तो उसे इस्तीफा दे देना चाहिए।
सामूहिक उत्तरदायित्व को केवल प्रधानमंत्री के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है।
Incorrect
Solution (a)
Basic Info:
अनुच्छेद 75 में कहा गया है कि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। इसका मतलब यह है कि सभी मंत्री अपने सभी भूल-चूक के कार्यों के लिए लोकसभा के प्रति संयुक्त जिम्मेदारी रखते हैं।
जब लोकसभा मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित करती है, तो सभी मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ता है, जिसमें वे मंत्री भी शामिल हैं जो राज्यसभा से हैं।
सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत का अर्थ यह भी है कि कैबिनेट के फैसले सभी कैबिनेट मंत्रियों (और अन्य मंत्रियों) को बाध्य करते हैं, भले ही वे कैबिनेट बैठक में भिन्न हों।
प्रत्येक मंत्री का यह कर्तव्य है कि वह कैबिनेट के फैसलों पर कायम रहें और संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह उनका समर्थन करें। यदि कोई मंत्री कैबिनेट के फैसले से असहमत है और इसका बचाव करने के लिए तैयार नहीं है, तो उसे इस्तीफा दे देना चाहिए।
सामूहिक उत्तरदायित्व को केवल प्रधानमंत्री के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है।
-
Question 6 of 30
6. Question
भारत में कैबिनेट के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- इसे 42वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 352 में सम्मिलित किया गया था।
- यह सभी मंत्रियों के लिए बाध्यकारी नीतिगत निर्णय लेकर मंत्रिपरिषद को निर्देश देता है।
- कैबिनेट सचिव भारत में कैबिनेट का प्रमुख होता है।
इनमें से कौन सा कथन सही हैं?
Correct
Solution (d)
कैबिनेट के बारे में बुनियादी जानकारी:
इसे 44वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा 1978 में संविधान के अनुच्छेद 352 में सम्मिलित किया गया था।
यह सभी मंत्रियों के लिए बाध्यकारी नीतिगत निर्णय लेकर मंत्रिपरिषद को निर्देश देता है।
अनुच्छेद 352 कैबिनेट को परिभाषित करता है लेकिन इसकी शक्तियों और कार्यों का वर्णन नहीं करता है।
कैबिनेट ‘प्रधान मंत्री और अनुच्छेद 75 के तहत नियुक्त कैबिनेट रैंक के अन्य मंत्रियों से युक्त परिषद’ है। इसमें केवल कैबिनेट मंत्री शामिल हैं। इस प्रकार, यह मंत्रिपरिषद का एक हिस्सा है।
कैबिनेट सचिव कैबिनेट सचिवालय का प्रमुख होता है, न कि कैबिनेट का।
कैबिनेट की कुछ महत्वपूर्ण भूमिकाएँ:
- यह हमारी राजनीतिक-प्रशासनिक प्रणाली में सर्वोच्च निर्णय लेने वाला प्राधिकरण है।
- यह केंद्र सरकार का प्रमुख नीति निर्धारण निकाय है।
- यह केंद्र सरकार का सर्वोच्च कार्यकारी प्राधिकरण है।
- यह केंद्रीय प्रशासन का मुख्य समन्वयक है।
- यह राष्ट्रपति के लिए एक सलाहकार निकाय है और इसकी सलाह उन पर बाध्यकारी है।
- यह मुख्य संकट प्रबंधक है और इस प्रकार सभी आपातकालीन स्थितियों से निपटता है।
- यह सभी प्रमुख विधायी और वित्तीय मामलों से संबंधित है।
- यह संवैधानिक अधिकारियों और वरिष्ठ सचिवालय प्रशासकों जैसी उच्च नियुक्तियों पर नियंत्रण रखता है।
- यह सभी विदेश नीतियों और विदेशी मामलों से संबंधित है।
Incorrect
Solution (d)
कैबिनेट के बारे में बुनियादी जानकारी:
इसे 44वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा 1978 में संविधान के अनुच्छेद 352 में सम्मिलित किया गया था।
यह सभी मंत्रियों के लिए बाध्यकारी नीतिगत निर्णय लेकर मंत्रिपरिषद को निर्देश देता है।
अनुच्छेद 352 कैबिनेट को परिभाषित करता है लेकिन इसकी शक्तियों और कार्यों का वर्णन नहीं करता है।
कैबिनेट ‘प्रधान मंत्री और अनुच्छेद 75 के तहत नियुक्त कैबिनेट रैंक के अन्य मंत्रियों से युक्त परिषद’ है। इसमें केवल कैबिनेट मंत्री शामिल हैं। इस प्रकार, यह मंत्रिपरिषद का एक हिस्सा है।
कैबिनेट सचिव कैबिनेट सचिवालय का प्रमुख होता है, न कि कैबिनेट का।
कैबिनेट की कुछ महत्वपूर्ण भूमिकाएँ:
- यह हमारी राजनीतिक-प्रशासनिक प्रणाली में सर्वोच्च निर्णय लेने वाला प्राधिकरण है।
- यह केंद्र सरकार का प्रमुख नीति निर्धारण निकाय है।
- यह केंद्र सरकार का सर्वोच्च कार्यकारी प्राधिकरण है।
- यह केंद्रीय प्रशासन का मुख्य समन्वयक है।
- यह राष्ट्रपति के लिए एक सलाहकार निकाय है और इसकी सलाह उन पर बाध्यकारी है।
- यह मुख्य संकट प्रबंधक है और इस प्रकार सभी आपातकालीन स्थितियों से निपटता है।
- यह सभी प्रमुख विधायी और वित्तीय मामलों से संबंधित है।
- यह संवैधानिक अधिकारियों और वरिष्ठ सचिवालय प्रशासकों जैसी उच्च नियुक्तियों पर नियंत्रण रखता है।
- यह सभी विदेश नीतियों और विदेशी मामलों से संबंधित है।
-
Question 7 of 30
7. Question
भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- महान्यायवादी /अटॉर्नी जनरल एक सरकारी कर्मचारी और भारत में सर्वोच्च कानून अधिकारी है।
- महान्यायवादी /अटॉर्नी जनरल को राष्ट्रपति द्वारा सरकार की सलाह पर पांच साल की अवधि के लिए नियुक्त किया जाता है।
निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
Correct
Solution (d)
Basic Info:
भारत के महान्यायवादी (AG) संघ की कार्यकारिणी का एक अंग है। भारत के महान्यायवादी (AG) देश के सर्वोच्च कानून अधिकारी हैं। संविधान के अनुच्छेद 76 में भारत के महालेखाकार के पद का प्रावधान है।
भारत के महान्यायवादी (AG) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा सरकार की सलाह पर की जाती है।
वह एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के योग्य हो।
पद की अवधि संविधान द्वारा निर्धारित नहीं है।
भारत के महान्यायवादी (AG) को हटाने की प्रक्रिया और आधार संविधान में नहीं बताए गए हैं। वह राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है (राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय हटाया जा सकता है)।
अधिकार और सीमाएं:
उसे संसद के दोनों सदनों या उनकी संयुक्त बैठक और संसद की किसी भी समिति की कार्यवाही में बोलने और भाग लेने का अधिकार है, जिसका सदस्य नामित किया जा सकता है, लेकिन वोट देने के अधिकार के बिना।
वह उन सभी विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों का लाभ लेता है जो एक संसद सदस्य के लिए उपलब्ध हैं।
वह सरकारी सेवकों की श्रेणी में नहीं आता है। उसे निजी कानूनी अभ्यास से वंचित नहीं किया जाता है।
भारत के सॉलिसिटर जनरल और भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आधिकारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में भारत के महान्यायवादी (AG) की सहायता करते हैं।
Incorrect
Solution (d)
Basic Info:
भारत के महान्यायवादी (AG) संघ की कार्यकारिणी का एक अंग है। भारत के महान्यायवादी (AG) देश के सर्वोच्च कानून अधिकारी हैं। संविधान के अनुच्छेद 76 में भारत के महालेखाकार के पद का प्रावधान है।
भारत के महान्यायवादी (AG) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा सरकार की सलाह पर की जाती है।
वह एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के योग्य हो।
पद की अवधि संविधान द्वारा निर्धारित नहीं है।
भारत के महान्यायवादी (AG) को हटाने की प्रक्रिया और आधार संविधान में नहीं बताए गए हैं। वह राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है (राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय हटाया जा सकता है)।
अधिकार और सीमाएं:
उसे संसद के दोनों सदनों या उनकी संयुक्त बैठक और संसद की किसी भी समिति की कार्यवाही में बोलने और भाग लेने का अधिकार है, जिसका सदस्य नामित किया जा सकता है, लेकिन वोट देने के अधिकार के बिना।
वह उन सभी विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों का लाभ लेता है जो एक संसद सदस्य के लिए उपलब्ध हैं।
वह सरकारी सेवकों की श्रेणी में नहीं आता है। उसे निजी कानूनी अभ्यास से वंचित नहीं किया जाता है।
भारत के सॉलिसिटर जनरल और भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आधिकारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में भारत के महान्यायवादी (AG) की सहायता करते हैं।
-
Question 8 of 30
8. Question
कैबिनेट समितियों (Cabinet Committees) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- संविधान उनकी स्थापना का प्रावधान करता है।
- केवल कैबिनेट मंत्री ही इसके सदस्य होते हैं।
- प्रधानमंत्री सभी कैबिनेट समितियों के अध्यक्ष होते हैं।
निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
Correct
Solution (d)
Basic Info
वे उत्पत्ति में अतिरिक्त संवैधानिक हैं। दूसरे शब्दों में, उनका संविधान में उल्लेख नहीं है। हालाँकि, व्यवसाय के नियम उनकी स्थापना के लिए प्रदान करते हैं।
वे समय की आवश्यकताओं और स्थिति की आवश्यकताओं के अनुसार प्रधान मंत्री द्वारा स्थापित किए जाते हैं।
इनमें न केवल उनके द्वारा कवर किए गए विषयों के प्रभारी मंत्री शामिल हैं, बल्कि अन्य वरिष्ठ मंत्री भी शामिल हैं।
वे ज्यादातर प्रधान मंत्री के नेतृत्व में होते हैं। कभी-कभी अन्य कैबिनेट मंत्री, विशेष रूप से गृह मंत्री या वित्त मंत्री भी उनके अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं। लेकिन, यदि प्रधान मंत्री किसी समिति का सदस्य होता है, तो वह हमेशा इसकी अध्यक्षता करता है।
Incorrect
Solution (d)
Basic Info
वे उत्पत्ति में अतिरिक्त संवैधानिक हैं। दूसरे शब्दों में, उनका संविधान में उल्लेख नहीं है। हालाँकि, व्यवसाय के नियम उनकी स्थापना के लिए प्रदान करते हैं।
वे समय की आवश्यकताओं और स्थिति की आवश्यकताओं के अनुसार प्रधान मंत्री द्वारा स्थापित किए जाते हैं।
इनमें न केवल उनके द्वारा कवर किए गए विषयों के प्रभारी मंत्री शामिल हैं, बल्कि अन्य वरिष्ठ मंत्री भी शामिल हैं।
वे ज्यादातर प्रधान मंत्री के नेतृत्व में होते हैं। कभी-कभी अन्य कैबिनेट मंत्री, विशेष रूप से गृह मंत्री या वित्त मंत्री भी उनके अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं। लेकिन, यदि प्रधान मंत्री किसी समिति का सदस्य होता है, तो वह हमेशा इसकी अध्यक्षता करता है।
-
Question 9 of 30
9. Question
सरकार के विभिन्न रूपों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
- सरकार का संसदीय स्वरूप विधायी और कार्यकारी अंगों के पृथक्करण पर जोर देता है।
- सरकार का राष्ट्रपति रूप विधायी और कार्यकारी अंगों के बीच परस्पर निर्भरता पर जोर देता है।
नीचे दिए गए कूटों में से चुनें:
Correct
Solution (c)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 गलत गलत सरकार का संसदीय स्वरूप विधायी और कार्यकारी अंगों के पृथक्करण पर जोर देता है। इसलिए, ब्रिटेन में ‘क्राउन-इन-संसद’ की तरह हमारे पास ‘राष्ट्रपति-इन-संसद’ है। दूसरी ओर, राष्ट्रपति शासन प्रणाली, विधायी और कार्यकारी अंग के पृथक्करण पर बल देती है? इसलिए, अमेरिकी राष्ट्रपति को कांग्रेस का एक घटक हिस्सा नहीं माना जाता है।
Incorrect
Solution (c)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 गलत गलत सरकार का संसदीय स्वरूप विधायी और कार्यकारी अंगों के पृथक्करण पर जोर देता है। इसलिए, ब्रिटेन में ‘क्राउन-इन-संसद’ की तरह हमारे पास ‘राष्ट्रपति-इन-संसद’ है। दूसरी ओर, राष्ट्रपति शासन प्रणाली, विधायी और कार्यकारी अंग के पृथक्करण पर बल देती है? इसलिए, अमेरिकी राष्ट्रपति को कांग्रेस का एक घटक हिस्सा नहीं माना जाता है।
-
Question 10 of 30
10. Question
काउंसिल ऑफ स्टेट्स या राज्य परिषद के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- काउंसिल ऑफ स्टेट्स की उत्पत्ति का पता 1918 की मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड रिपोर्ट से लगाया जा सकता है।
- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने दूसरे सदन के रूप में राज्य परिषद के निर्माण का प्रावधान किया।
निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
Correct
Solution (a)
Basic Info:
काउंसिल ऑफ स्टेट्स या राज्य परिषद जिसे राज्य सभा के रूप में भी जाना जाता है, 23 अगस्त, 1954 को सभा में सभापति द्वारा घोषित एक नामकरण की अपनी विशिष्ट विशेषताएं हैं।
दूसरे चैंबर की उत्पत्ति का पता 1918 की मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड रिपोर्ट से लगाया जा सकता है।
भारत सरकार अधिनियम, 1919 ने एक प्रतिबंधित मताधिकार के साथ तत्कालीन विधायिका के दूसरे सदन के रूप में ‘राज्य परिषद’ के निर्माण का प्रावधान किया जो वास्तव में 1921 में अस्तित्व में आया।
गवर्नर-जनरल तत्कालीन राज्य परिषद का पदेन अध्यक्ष होता था। भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने शायद ही इसकी संरचना में कोई परिवर्तन किया हो।
Incorrect
Solution (a)
Basic Info:
काउंसिल ऑफ स्टेट्स या राज्य परिषद जिसे राज्य सभा के रूप में भी जाना जाता है, 23 अगस्त, 1954 को सभा में सभापति द्वारा घोषित एक नामकरण की अपनी विशिष्ट विशेषताएं हैं।
दूसरे चैंबर की उत्पत्ति का पता 1918 की मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड रिपोर्ट से लगाया जा सकता है।
भारत सरकार अधिनियम, 1919 ने एक प्रतिबंधित मताधिकार के साथ तत्कालीन विधायिका के दूसरे सदन के रूप में ‘राज्य परिषद’ के निर्माण का प्रावधान किया जो वास्तव में 1921 में अस्तित्व में आया।
गवर्नर-जनरल तत्कालीन राज्य परिषद का पदेन अध्यक्ष होता था। भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने शायद ही इसकी संरचना में कोई परिवर्तन किया हो।
-
Question 11 of 30
11. Question
राज्यसभा में सीटों की संरचना के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- संविधान के अनुच्छेद 81 में राज्यसभा की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित की गई है।
- राज्य सभा में प्रत्येक केंद्र शासित प्रदेश के प्रतिनिधियों को विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए गठित एक इलेक्ट्रोरल कॉलेज के सदस्यों द्वारा सीधे चुना जाता है।
निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
Solution (d)
Basic Info:
संरचना / शक्ति:
संविधान का अनुच्छेद 80 राज्यसभा की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित करता है, जिसमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होते हैं और 238 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होते हैं।
हालांकि, राज्यसभा की वर्तमान संख्या 245 है, जिसमें से 233 दिल्ली और पुडुचेरी के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि हैं और 12 राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाते हैं। राष्ट्रपति द्वारा नामित सदस्य साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा जैसे मामलों के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले व्यक्ति होते हैं।
राज्य सभा में प्रत्येक केंद्र शासित प्रदेश के प्रतिनिधियों को परोक्ष रूप से इस उद्देश्य के लिए गठित एक इलेक्ट्रोरल कॉलेज के सदस्यों द्वारा चुना जाता है। यह चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।राज्य सभा में केवल दो (दिल्ली तथा पुडुचेरी) का प्रतिनिधित्व होता है।
Incorrect
Solution (d)
Basic Info:
संरचना / शक्ति:
संविधान का अनुच्छेद 80 राज्यसभा की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित करता है, जिसमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होते हैं और 238 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होते हैं।
हालांकि, राज्यसभा की वर्तमान संख्या 245 है, जिसमें से 233 दिल्ली और पुडुचेरी के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि हैं और 12 राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाते हैं। राष्ट्रपति द्वारा नामित सदस्य साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा जैसे मामलों के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले व्यक्ति होते हैं।
राज्य सभा में प्रत्येक केंद्र शासित प्रदेश के प्रतिनिधियों को परोक्ष रूप से इस उद्देश्य के लिए गठित एक इलेक्ट्रोरल कॉलेज के सदस्यों द्वारा चुना जाता है। यह चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।राज्य सभा में केवल दो (दिल्ली तथा पुडुचेरी) का प्रतिनिधित्व होता है।
-
Question 12 of 30
12. Question
राज्यसभा के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- उप-चुनाव में निर्वाचित सदस्य छह साल की पूरी अवधि के लिए सदस्य बना रहता है।
- राज्य सभा एक स्थायी सदन है और भंग नहीं होती है।
- राज्यसभा के आधे सदस्य हर दूसरे वर्ष के बाद सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
Solution (b)
Basic Info:
किसी सदस्य के कार्यकाल की समाप्ति पर उसके सेवानिवृत्त होने के अलावा किसी अन्य रिक्ति को भरने के लिए किए गए चुनाव को ‘उप-चुनाव’ कहा जाता है। उप-चुनाव में निर्वाचित सदस्य उस सदस्य की शेष अवधि के लिए सदस्य बना रहता है जिसने दसवीं अनुसूची के तहत इस्तीफा दे दिया था या जिसकी मृत्यु हो गयी हो या सदन के सदस्य होने के लिए अयोग्य घोषित किया गया था।
राज्य सभा एक स्थायी सदन है और भंग नहीं होती है। हालांकि, राज्यसभा के एक तिहाई सदस्य हर दूसरे वर्ष के बाद सेवानिवृत्त हो जाते हैं। एक सदस्य जो पूर्ण कार्यकाल के लिए चुना जाता है, छह साल की अवधि के लिए कार्य करता है।
Incorrect
Solution (b)
Basic Info:
किसी सदस्य के कार्यकाल की समाप्ति पर उसके सेवानिवृत्त होने के अलावा किसी अन्य रिक्ति को भरने के लिए किए गए चुनाव को ‘उप-चुनाव’ कहा जाता है। उप-चुनाव में निर्वाचित सदस्य उस सदस्य की शेष अवधि के लिए सदस्य बना रहता है जिसने दसवीं अनुसूची के तहत इस्तीफा दे दिया था या जिसकी मृत्यु हो गयी हो या सदन के सदस्य होने के लिए अयोग्य घोषित किया गया था।
राज्य सभा एक स्थायी सदन है और भंग नहीं होती है। हालांकि, राज्यसभा के एक तिहाई सदस्य हर दूसरे वर्ष के बाद सेवानिवृत्त हो जाते हैं। एक सदस्य जो पूर्ण कार्यकाल के लिए चुना जाता है, छह साल की अवधि के लिए कार्य करता है।
-
Question 13 of 30
13. Question
वित्तीय मामलों पर राज्यसभा के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- धन विधेयक के संबंध में राज्य सभा सुझाव दे सकती है और संशोधन कर सकती है।
- राज्य सभा विभिन्न मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर मतदान कर सकती है।
- भारत की संचित निधि से कोई धन तब तक नहीं निकाला जा सकता जब तक कि विनियोग विधेयक दोनों सदनों द्वारा पारित न कर दिया गया हो।
निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
Solution (a)
Basic Info:
वित्तीय मामलों में राज्यसभा:
धन विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है। उस सदन द्वारा पारित होने के बाद, इसे राज्य सभा को उसकी सहमति या सिफारिश के लिए प्रेषित किया जाता है। ऐसे विधेयक के संबंध में राज्य सभा की शक्ति सीमित है। राज्य सभा को ऐसा विधेयक प्राप्त होने के चौदह दिनों की अवधि के भीतर लोकसभा को वापस करना होता है। यदि उस समय के भीतर इसे लोकसभा में वापस नहीं किया जाता है, तो विधेयक को दोनों सदनों द्वारा उक्त अवधि की समाप्ति पर उस रूप में पारित माना जाता है जिस रूप में इसे लोकसभा द्वारा पारित किया गया था। फिर से, राज्य सभा धन विधेयक में संशोधन नहीं कर सकती है, यह केवल संशोधनों की सिफारिश कर सकती है और लोकसभा राज्यसभा द्वारा की गई सभी या किसी भी सिफारिश को स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है।
भारत सरकार का बजट हर साल राज्यसभा के सामने भी रखा जाता है और इसके सदस्य इस पर चर्चा करते हैं।
यद्यपि राज्य सभा विभिन्न मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर मतदान नहीं करती है – यह मामला विशेष रूप से लोकसभा के लिए आरक्षित है – हालांकि, भारत की संचित निधि से कोई पैसा नहीं निकाला जा सकता है, जब तक कि विनियोग विधेयक दोनों सदनों द्वारा पारित नहीं किया जाता है।
Incorrect
Solution (a)
Basic Info:
वित्तीय मामलों में राज्यसभा:
धन विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है। उस सदन द्वारा पारित होने के बाद, इसे राज्य सभा को उसकी सहमति या सिफारिश के लिए प्रेषित किया जाता है। ऐसे विधेयक के संबंध में राज्य सभा की शक्ति सीमित है। राज्य सभा को ऐसा विधेयक प्राप्त होने के चौदह दिनों की अवधि के भीतर लोकसभा को वापस करना होता है। यदि उस समय के भीतर इसे लोकसभा में वापस नहीं किया जाता है, तो विधेयक को दोनों सदनों द्वारा उक्त अवधि की समाप्ति पर उस रूप में पारित माना जाता है जिस रूप में इसे लोकसभा द्वारा पारित किया गया था। फिर से, राज्य सभा धन विधेयक में संशोधन नहीं कर सकती है, यह केवल संशोधनों की सिफारिश कर सकती है और लोकसभा राज्यसभा द्वारा की गई सभी या किसी भी सिफारिश को स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है।
भारत सरकार का बजट हर साल राज्यसभा के सामने भी रखा जाता है और इसके सदस्य इस पर चर्चा करते हैं।
यद्यपि राज्य सभा विभिन्न मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर मतदान नहीं करती है – यह मामला विशेष रूप से लोकसभा के लिए आरक्षित है – हालांकि, भारत की संचित निधि से कोई पैसा नहीं निकाला जा सकता है, जब तक कि विनियोग विधेयक दोनों सदनों द्वारा पारित नहीं किया जाता है।
-
Question 14 of 30
14. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- राज्यसभा के सदस्य हों या न हों, सदन का नेता हमेशा प्रधानमंत्री होता है।
- वर्तमान में राज्यसभा में विपक्ष का कोई नेता नहीं है।
निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
Solution (d)
Basic Info:
राज्यसभा के सदन के नेता:
राज्यसभा में सदन का नेता आम तौर पर प्रधान मंत्री होता है, यदि वह इसका सदस्य है। या कोई भी मंत्री जो सदन का सदस्य है, उसके द्वारा इस कार्य के लिए नामित किया जा सकता है।
उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी सदन में एक सामंजस्यपूर्ण और सार्थक बहस के लिए सदन के सभी वर्गों के बीच समन्वय बनाए रखना है।
विपक्ष के नेता:
राज्यसभा में विपक्ष का नेता राज्यसभा का निर्वाचित सदस्य होता है जो भारत की संसद के ऊपरी सदन में आधिकारिक विपक्ष का नेतृत्व करता है। राज्यसभा में विपक्ष का नेता राज्य सभा में सबसे बड़े राजनीतिक दल का संसदीय अध्यक्ष होता है जो सरकार में नहीं है।
वर्तमान विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे हैं।
Incorrect
Solution (d)
Basic Info:
राज्यसभा के सदन के नेता:
राज्यसभा में सदन का नेता आम तौर पर प्रधान मंत्री होता है, यदि वह इसका सदस्य है। या कोई भी मंत्री जो सदन का सदस्य है, उसके द्वारा इस कार्य के लिए नामित किया जा सकता है।
उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी सदन में एक सामंजस्यपूर्ण और सार्थक बहस के लिए सदन के सभी वर्गों के बीच समन्वय बनाए रखना है।
विपक्ष के नेता:
राज्यसभा में विपक्ष का नेता राज्यसभा का निर्वाचित सदस्य होता है जो भारत की संसद के ऊपरी सदन में आधिकारिक विपक्ष का नेतृत्व करता है। राज्यसभा में विपक्ष का नेता राज्य सभा में सबसे बड़े राजनीतिक दल का संसदीय अध्यक्ष होता है जो सरकार में नहीं है।
वर्तमान विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे हैं।
-
Question 15 of 30
15. Question
अयोग्यता (disqualification) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- इस सवाल पर कि क्या कोई सदस्य जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत किसी भी अयोग्यता के अधीन है, अध्यक्ष/सभापति का निर्णय अंतिम होता है।
- दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता का प्रश्न भारत के राष्ट्रपति द्वारा तय किया जाता है।
- दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता के संबंध में निर्णय न्यायिक समीक्षा के अधीन है।
निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
Correct
Solution (b)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 कथन 3 गलत गलत सही इस सवाल पर कि क्या कोई सदस्य आरपीए 1951 के तहत किसी भी अयोग्यता के अधीन है, राष्ट्रपति का निर्णय अंतिम होता है। हालांकि, उन्हें चुनाव आयोग की राय लेनी चाहिए और उसके अनुसार कार्य करना चाहिए।
दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता का प्रश्न राज्यसभा के मामले में सभापति और लोकसभा के मामले में अध्यक्ष द्वारा तय किया जाता है (और भारत के राष्ट्रपति द्वारा नहीं)। 1992 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता के संबंध में अध्यक्ष/ स्पीकर का निर्णय न्यायिक समीक्षा के अधीन है। Incorrect
Solution (b)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 कथन 3 गलत गलत सही इस सवाल पर कि क्या कोई सदस्य आरपीए 1951 के तहत किसी भी अयोग्यता के अधीन है, राष्ट्रपति का निर्णय अंतिम होता है। हालांकि, उन्हें चुनाव आयोग की राय लेनी चाहिए और उसके अनुसार कार्य करना चाहिए।
दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता का प्रश्न राज्यसभा के मामले में सभापति और लोकसभा के मामले में अध्यक्ष द्वारा तय किया जाता है (और भारत के राष्ट्रपति द्वारा नहीं)। 1992 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता के संबंध में अध्यक्ष/ स्पीकर का निर्णय न्यायिक समीक्षा के अधीन है। -
Question 16 of 30
16. Question
निम्नलिखित में से किस अधिनियम के तहत लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की संस्थाएं भारत में उत्पन्न हुईं?
Correct
Solution (b)
Basic Info:
भारत सरकार अधिनियम 1919 (मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड रिफॉर्म्स) के प्रावधानों के तहत 1921 में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की संस्थाओं की शुरुआत भारत में हुई थी।
उस समय स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को क्रमशः अध्यक्ष और उपाध्यक्ष कहा जाता था और यही नामकरण 1947 तक चलता रहा।
1935 के भारत सरकार अधिनियम ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के नामों को क्रमशः स्पीकर और डिप्टी स्पीकर में बदल दिया।
Incorrect
Solution (b)
Basic Info:
भारत सरकार अधिनियम 1919 (मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड रिफॉर्म्स) के प्रावधानों के तहत 1921 में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की संस्थाओं की शुरुआत भारत में हुई थी।
उस समय स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को क्रमशः अध्यक्ष और उपाध्यक्ष कहा जाता था और यही नामकरण 1947 तक चलता रहा।
1935 के भारत सरकार अधिनियम ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के नामों को क्रमशः स्पीकर और डिप्टी स्पीकर में बदल दिया।
-
Question 17 of 30
17. Question
लोकसभा स्पीकर को हटाया जा सकता है
- संसद के सदस्यों के पूर्ण बहुमत द्वारा पारित संकल्प
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किए जाने पर।
- राष्ट्रपति का एक आदेश।
नीचे दिए गए कूटों में से चुनें:
Correct
Solution (b)
अध्यक्ष को हटाने के संबंध में बुनियादी जानकारी:
संविधान ने निचले सदन को आवश्यकता पड़ने पर स्पीकर को हटाने का अधिकार दिया है।
उसे केवल लोकसभा द्वारा पूर्ण बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है (अर्थात,सदन के कुल सदस्यों का बहुमत) और सामान्य बहुमत से नहीं (अर्थात सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का बहुमत)।
हटाने के इस प्रस्ताव पर तभी विचार और चर्चा हो सकती है जब इसे कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन प्राप्त हो।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 7 और 8 के तहत लोकसभा सदस्य के अयोग्य होने पर स्पीकर को हटाया भी जा सकता है।
Incorrect
Solution (b)
अध्यक्ष को हटाने के संबंध में बुनियादी जानकारी:
संविधान ने निचले सदन को आवश्यकता पड़ने पर स्पीकर को हटाने का अधिकार दिया है।
उसे केवल लोकसभा द्वारा पूर्ण बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है (अर्थात,सदन के कुल सदस्यों का बहुमत) और सामान्य बहुमत से नहीं (अर्थात सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का बहुमत)।
हटाने के इस प्रस्ताव पर तभी विचार और चर्चा हो सकती है जब इसे कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन प्राप्त हो।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 7 और 8 के तहत लोकसभा सदस्य के अयोग्य होने पर स्पीकर को हटाया भी जा सकता है।
-
Question 18 of 30
18. Question
लोकसभा स्पीकर की भूमिका और शक्तियों के बारे में निम्नलिखित पर विचार करें:
- वह लोकसभा का मुखिया और प्रतिनिधि होता है।
- सभी संसदीय मामलों में उनका निर्णय अंतिम होता है।
- वह सदन के भीतर भारत के संविधान के प्रावधानों का अंतिम व्याख्याकार है।
- वह लोकसभा की सभी संसदीय समितियों के अध्यक्ष की नियुक्ति करता है और उनके कामकाज की निगरानी करता है।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Correct
Solution (c)
अध्यक्ष की कुछ महत्वपूर्ण भूमिकाएँ, शक्तियाँ और कार्य:
लोकसभा का स्पीकर लोकसभा का अध्यक्ष और उसका प्रतिनिधि होता है
वह सदस्यों, समग्र रूप से सदन और उसकी समितियों की शक्तियों और विशेषाधिकारों का संरक्षक है। वह सदन का प्रमुख प्रवक्ता होता है और सभी संसदीय मामलों में उसका निर्णय अंतिम होता है। इस प्रकार वह केवल लोकसभा के पीठासीन अधिकारी से कहीं अधिक है।
(a) वह भारत के संविधान के प्रावधानों का अंतिम व्याख्याकार है,
(b) लोकसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम, और
(c) सदन के भीतर संसदीय आधिकारिक निर्णय।
वह लोकसभा की सभी संसदीय समितियों के अध्यक्ष की नियुक्ति करता है और उनके कामकाज की निगरानी करता है। वह स्वयं कार्य मंत्रणा समिति, नियम समिति और सामान्य प्रयोजन समिति के अध्यक्ष हैं।
Incorrect
Solution (c)
अध्यक्ष की कुछ महत्वपूर्ण भूमिकाएँ, शक्तियाँ और कार्य:
लोकसभा का स्पीकर लोकसभा का अध्यक्ष और उसका प्रतिनिधि होता है
वह सदस्यों, समग्र रूप से सदन और उसकी समितियों की शक्तियों और विशेषाधिकारों का संरक्षक है। वह सदन का प्रमुख प्रवक्ता होता है और सभी संसदीय मामलों में उसका निर्णय अंतिम होता है। इस प्रकार वह केवल लोकसभा के पीठासीन अधिकारी से कहीं अधिक है।
(a) वह भारत के संविधान के प्रावधानों का अंतिम व्याख्याकार है,
(b) लोकसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम, और
(c) सदन के भीतर संसदीय आधिकारिक निर्णय।
वह लोकसभा की सभी संसदीय समितियों के अध्यक्ष की नियुक्ति करता है और उनके कामकाज की निगरानी करता है। वह स्वयं कार्य मंत्रणा समिति, नियम समिति और सामान्य प्रयोजन समिति के अध्यक्ष हैं।
-
Question 19 of 30
19. Question
प्रोटेम स्पीकर के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- वह लोकसभा द्वारा सदन के सदस्यों में से चुना जाता है।
- वह लोक सभा की बैठकों की अध्यक्षता करने के लिए तब तक उत्तरदायी होता है जब तक कि नया निर्वाचित अध्यक्ष संसदीय प्रक्रियाओं से परिचित न हो जाए।
- प्रोटेम स्पीकर के पास स्पीकर के सभी अधिकार होते हैं।
निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही हैं?
Correct
Solution (b)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 कथन 3 गलत गलत सही प्रोटेम स्पीकर निर्वाचित नहीं बल्कि राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। आमतौर पर इसके लिए लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य का चयन किया जाता है।
एक बार नया अध्यक्ष चुने जाने के बाद, प्रोटेम स्पीकर पद का कार्यकाल समाप्त हो जाता है। इस प्रकार प्रोटेम स्पीकर का पद प्रकृति में अस्थायी है।
प्रोटेम स्पीकर के पास स्पीकर की सभी शक्तियां होती हैं। वह नवनिर्वाचित लोकसभा की पहली बैठक की अध्यक्षता करता है।
Incorrect
Solution (b)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 कथन 3 गलत गलत सही प्रोटेम स्पीकर निर्वाचित नहीं बल्कि राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। आमतौर पर इसके लिए लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य का चयन किया जाता है।
एक बार नया अध्यक्ष चुने जाने के बाद, प्रोटेम स्पीकर पद का कार्यकाल समाप्त हो जाता है। इस प्रकार प्रोटेम स्पीकर का पद प्रकृति में अस्थायी है।
प्रोटेम स्पीकर के पास स्पीकर की सभी शक्तियां होती हैं। वह नवनिर्वाचित लोकसभा की पहली बैठक की अध्यक्षता करता है।
-
Question 20 of 30
20. Question
व्हिप/सचेतक के पद के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- व्हीप/सचेतक के पद का उल्लेख सदन के नियमों में किया गया है।
- यदि कोई संसद सदस्य अपनी पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करता है, तो उसे दलबदल विरोधी अधिनियम के तहत सदन से निष्कासन का सामना करना पड़ता है।
निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
Solution (b)
Basic Info:
‘व्हिप’ के पद का उल्लेख न तो भारत के संविधान में और न ही सदन के नियमों में और न ही किसी संसदीय क़ानून में है। यह संसदीय सरकार के सम्मेलनों पर आधारित है।
हर राजनीतिक दल, चाहे सत्ताधारी हो या विपक्ष, का संसद में अपना व्हिप होता है। उन्हें एक सहायक फ्लोर नेता के रूप में सेवा करने के लिए राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त किया जाता है। उन पर बड़ी संख्या में अपनी पार्टी के सदस्यों की उपस्थिति सुनिश्चित करने और किसी विशेष मुद्दे के पक्ष या विपक्ष में उनका समर्थन हासिल करने की जिम्मेदारी है। वह संसद में उनके व्यवहार को नियंत्रित और मॉनिटर करता है। सदस्यों से अपेक्षा की जाती है कि वे व्हिप द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें। अन्यथा अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
यदि कोई सांसद अपनी पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करता है, तो उसे दलबदल विरोधी अधिनियम के तहत सदन से निष्कासन का सामना करना पड़ता है। एकमात्र अपवाद तब होता है जब एक तिहाई से अधिक विधायक पार्टी को प्रभावी ढंग से विभाजित करने के निर्देश के खिलाफ मतदान करते हैं।
Incorrect
Solution (b)
Basic Info:
‘व्हिप’ के पद का उल्लेख न तो भारत के संविधान में और न ही सदन के नियमों में और न ही किसी संसदीय क़ानून में है। यह संसदीय सरकार के सम्मेलनों पर आधारित है।
हर राजनीतिक दल, चाहे सत्ताधारी हो या विपक्ष, का संसद में अपना व्हिप होता है। उन्हें एक सहायक फ्लोर नेता के रूप में सेवा करने के लिए राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त किया जाता है। उन पर बड़ी संख्या में अपनी पार्टी के सदस्यों की उपस्थिति सुनिश्चित करने और किसी विशेष मुद्दे के पक्ष या विपक्ष में उनका समर्थन हासिल करने की जिम्मेदारी है। वह संसद में उनके व्यवहार को नियंत्रित और मॉनिटर करता है। सदस्यों से अपेक्षा की जाती है कि वे व्हिप द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें। अन्यथा अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
यदि कोई सांसद अपनी पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करता है, तो उसे दलबदल विरोधी अधिनियम के तहत सदन से निष्कासन का सामना करना पड़ता है। एकमात्र अपवाद तब होता है जब एक तिहाई से अधिक विधायक पार्टी को प्रभावी ढंग से विभाजित करने के निर्देश के खिलाफ मतदान करते हैं।
-
Question 21 of 30
21. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार करें
- कैदी को एक विशिष्ट आवश्यकता को पूरा करने के लिए फर्लो (Furlough) दी जाती है जबकि पैरोल (Parole) बिना किसी कारण के दी जा सकती है।
- एक कैदी को दी गई फर्लो (Furlough) की अवधि को उसकी सजा की छूट के रूप में माना जाता है जबकि पैरोल (Parole) एक कैदी को सजा के निलंबन के साथ रिहा करने की एक प्रणाली है।
- फर्लो के विपरीत कैदी को पैरोल का दावा करने का पूर्ण कानूनी अधिकार नहीं है
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए
Correct
Solution (c)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 कथन 3 गलत सही गलत जबकि कैदी को एक विशिष्ट आवश्यकता को पूरा करने के लिए पैरोल (Parole) दी जाती है, बिना किसी कारण के फर्लो (Furlough) दी जा सकती है (एक निर्धारित संख्या में वर्षों की सेवा के बाद)। एक कैदी को दी गई फर्लो (Furlough) की अवधि को उसकी सजा की छूट के रूप में माना जाता है। जबकि पैरोल (Parole) एक कैदी को सजा के निलंबन के साथ रिहा करने की व्यवस्था है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालांकि बिना किसी कारण के फर्लो (Furlough) का दावा किया जा सकता है, कैदी को फर्लो (Furlough) का दावा करने का पूर्ण कानूनी अधिकार नहीं है। प्रसंग – सुप्रीम कोर्ट ने ‘फर्लो’ और ‘पैरोल’ के बीच मतभेदों और उन्हें प्रदान करने से संबंधित सिद्धांतों पर चर्चा की।
Incorrect
Solution (c)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 कथन 3 गलत सही गलत जबकि कैदी को एक विशिष्ट आवश्यकता को पूरा करने के लिए पैरोल (Parole) दी जाती है, बिना किसी कारण के फर्लो (Furlough) दी जा सकती है (एक निर्धारित संख्या में वर्षों की सेवा के बाद)। एक कैदी को दी गई फर्लो (Furlough) की अवधि को उसकी सजा की छूट के रूप में माना जाता है। जबकि पैरोल (Parole) एक कैदी को सजा के निलंबन के साथ रिहा करने की व्यवस्था है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालांकि बिना किसी कारण के फर्लो (Furlough) का दावा किया जा सकता है, कैदी को फर्लो (Furlough) का दावा करने का पूर्ण कानूनी अधिकार नहीं है। प्रसंग – सुप्रीम कोर्ट ने ‘फर्लो’ और ‘पैरोल’ के बीच मतभेदों और उन्हें प्रदान करने से संबंधित सिद्धांतों पर चर्चा की।
-
Question 22 of 30
22. Question
नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन (Nord Stream 2 pipeline) किस सागर के पार जाती है:
Correct
Solution (c)
नॉर्ड स्ट्रीम 2 बाल्टिक सागर के पार रूस से यूरोप तक चलने वाली एक निर्यात गैस पाइपलाइन है। नॉर्ड स्ट्रीम 2 का निर्माण 2018 में शुरू हुआ और इसे नॉर्ड स्ट्रीम 2,AG प्रोजेक्ट कंपनी द्वारा लागू किया जा रहा है।
प्रसंग – नॉर्ड स्ट्रीम 2 (NS2) जो रूस से जर्मनी तक संचालित है, अब पूरी हो गई है।
Incorrect
Solution (c)
नॉर्ड स्ट्रीम 2 बाल्टिक सागर के पार रूस से यूरोप तक चलने वाली एक निर्यात गैस पाइपलाइन है। नॉर्ड स्ट्रीम 2 का निर्माण 2018 में शुरू हुआ और इसे नॉर्ड स्ट्रीम 2,AG प्रोजेक्ट कंपनी द्वारा लागू किया जा रहा है।
प्रसंग – नॉर्ड स्ट्रीम 2 (NS2) जो रूस से जर्मनी तक संचालित है, अब पूरी हो गई है।
-
Question 23 of 30
23. Question
‘डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क’ के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- इसे एक तटस्थ मंच के रूप में परिकल्पित किया गया है जो यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) की तर्ज पर ओपन सोर्स में कैटलॉगिंग, वेंडर मैच और प्राइस डिस्कवरी के लिए प्रोटोकॉल सेट करेगा।
- इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा बनाया जा रहा है
सही कथन चुनें:
Correct
Solution (a)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 सही गलत ओएनडीसी को एक तटस्थ मंच के रूप में परिकल्पित किया गया है जो यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) की तर्ज पर ओपन सोर्स में कैटलॉगिंग, वेंडर मैच और प्राइस डिस्कवरी के लिए प्रोटोकॉल सेट करेगा। यह खरीदारों और विक्रेताओं को डिजिटल रूप से दिखाई देने और खुले नेटवर्क के माध्यम से लेनदेन करने में सक्षम करेगा, चाहे वे किसी भी प्लेटफॉर्म/एप्लिकेशन का उपयोग करें। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) डिजिटल कॉमर्स (ONDC) के लिए एक ओपन नेटवर्क’ बना रहा है। प्रसंग- भारतीय गुणवत्ता परिषद ने प्रस्तावित ओएनडीसी परियोजना (ONDC) को क्रियान्वित करने के लिए विशेषज्ञों की टीम गठित की ।
Incorrect
Solution (a)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 सही गलत ओएनडीसी को एक तटस्थ मंच के रूप में परिकल्पित किया गया है जो यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) की तर्ज पर ओपन सोर्स में कैटलॉगिंग, वेंडर मैच और प्राइस डिस्कवरी के लिए प्रोटोकॉल सेट करेगा। यह खरीदारों और विक्रेताओं को डिजिटल रूप से दिखाई देने और खुले नेटवर्क के माध्यम से लेनदेन करने में सक्षम करेगा, चाहे वे किसी भी प्लेटफॉर्म/एप्लिकेशन का उपयोग करें। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) डिजिटल कॉमर्स (ONDC) के लिए एक ओपन नेटवर्क’ बना रहा है। प्रसंग- भारतीय गुणवत्ता परिषद ने प्रस्तावित ओएनडीसी परियोजना (ONDC) को क्रियान्वित करने के लिए विशेषज्ञों की टीम गठित की ।
-
Question 24 of 30
24. Question
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः
- सदस्य बनने के लिए किसी देश को आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) का सदस्य होना आवश्यक है।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के सदस्य देशों को पिछले वर्ष के शुद्ध आयात के कम से कम 90 दिनों के बराबर कुल तेल स्टॉक स्तर बनाए रखना आवश्यक है।
- भारत अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) का सहयोगी सदस्य है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर उत्तर चुनिए:
Correct
Solution (d)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 कथन 3 सही सही सही IEA का सदस्य बनने के लिए, किसी देश को आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) का सदस्य होना आवश्यक है। कच्चे तेल और/या उत्पाद भंडार पिछले वर्ष के शुद्ध आयात के 90 दिनों के बराबर है, जिस तक सरकार की तत्काल पहुंच है (भले ही सीधे उनका स्वामित्व न हो) और इसका उपयोग वैश्विक तेल आपूर्ति में व्यवधानों को दूर करने के लिए किया जा सकता है। 2017 में, भारत एक सहयोगी सदस्य के रूप में शामिल हुआ। प्रसंग – अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने भारत, दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता को अपना पूर्णकालिक सदस्य बनने के लिए आमंत्रित किया है।
Incorrect
Solution (d)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 कथन 3 सही सही सही IEA का सदस्य बनने के लिए, किसी देश को आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) का सदस्य होना आवश्यक है। कच्चे तेल और/या उत्पाद भंडार पिछले वर्ष के शुद्ध आयात के 90 दिनों के बराबर है, जिस तक सरकार की तत्काल पहुंच है (भले ही सीधे उनका स्वामित्व न हो) और इसका उपयोग वैश्विक तेल आपूर्ति में व्यवधानों को दूर करने के लिए किया जा सकता है। 2017 में, भारत एक सहयोगी सदस्य के रूप में शामिल हुआ। प्रसंग – अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने भारत, दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता को अपना पूर्णकालिक सदस्य बनने के लिए आमंत्रित किया है।
-
Question 25 of 30
25. Question
‘ग्रीन डे अहेड मार्किट’ (Green Day Ahead Market) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- यह बिजली खरीद समझौते (PPA) आधारित अनुबंध से बाजार-आधारित मॉडल में क्रमिक बदलाव की ओर ले जाएगा।
- इसे सेबी के सहयोग से नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया है
निम्नलिखित कथनों को चुनिए जो गलत हैं:
Correct
Solution (b)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 सही गलत यह बिजली खरीद समझौते (PPA) आधारित अनुबंध से बाजार-आधारित मॉडल में क्रमिक बदलाव की ओर ले जाएगा। यह बिजली की लागत को कम करने के लिए प्रतिस्पर्धी मूल्य संकेत भी प्रदान करता है। केंद्रीय ऊर्जा और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने ग्रीन डे अहेड मार्केट का शुभारंभ किया। संदर्भ – ग्रीन डे अहेड मार्केट लॉन्च किया गया।
Incorrect
Solution (b)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 सही गलत यह बिजली खरीद समझौते (PPA) आधारित अनुबंध से बाजार-आधारित मॉडल में क्रमिक बदलाव की ओर ले जाएगा। यह बिजली की लागत को कम करने के लिए प्रतिस्पर्धी मूल्य संकेत भी प्रदान करता है। केंद्रीय ऊर्जा और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने ग्रीन डे अहेड मार्केट का शुभारंभ किया। संदर्भ – ग्रीन डे अहेड मार्केट लॉन्च किया गया।
-
Question 26 of 30
26. Question
शुरुआत में, राकेश इस दर से काम करता है कि वह 24 घंटे में एक काम खत्म कर सकता है, लेकिन वह केवल 18 घंटे के लिए इस दर पर काम करता है। उसके बाद, वह इस तरह से काम करता है कि वह पूरे काम को 16 घंटे में कर सकता है। यदि राम को इस कार्य को एक बार में पूरा करना है, तो वह इस कार्य को पूरा करने में कितने घंटे का समय लेगा?
Correct
Solution (c)
राकेश का 18 घंटे का कार्य = 18/24 = 3/4। शेष कार्य = 1 – 3/4 = 1/4
कार्य और समय सूत्र का उपयोग करें : यह 1/4×16 यानी 4 घंटे में पूरा हो जाएगा। अत: कार्य को पूरा करने में लिया गया कुल समय = 18 + 4 = 22 घंटे।
Incorrect
Solution (c)
राकेश का 18 घंटे का कार्य = 18/24 = 3/4। शेष कार्य = 1 – 3/4 = 1/4
कार्य और समय सूत्र का उपयोग करें : यह 1/4×16 यानी 4 घंटे में पूरा हो जाएगा। अत: कार्य को पूरा करने में लिया गया कुल समय = 18 + 4 = 22 घंटे।
-
Question 27 of 30
27. Question
शाम और मनोज एक काम को क्रमशः 90 और 80 दिनों में पूरा कर सकते हैं। उन्होंने एक साथ काम शुरू किया, लेकिन शाम कुछ दिनों के बाद छोड़ देता है और मनोज ने 63 दिनों में शेष काम खत्म कर दिया। कितने दिनों के बाद शाम ने छोड़ दिया?
Correct
Solution(d)
मनोज 63/80 कार्य को 63 दिनों में पूरा कर लेता।
शेष कार्य अर्थात 17/80 को शाम और मनोज ने मिलकर किया होगा।
वे पूरा काम 80 × 90 / (80 + 90) = 80 × 90/170 = 720/17 दिनों में कर सकते हैं।
तो, उन्होंने 17/60 कार्य 720/17 × 17/60 = 12 दिनों में किया होगा।
इसलिए, 12 दिनों के बाद शाम ने काम छोड़ दिया।
Incorrect
Solution(d)
मनोज 63/80 कार्य को 63 दिनों में पूरा कर लेता।
शेष कार्य अर्थात 17/80 को शाम और मनोज ने मिलकर किया होगा।
वे पूरा काम 80 × 90 / (80 + 90) = 80 × 90/170 = 720/17 दिनों में कर सकते हैं।
तो, उन्होंने 17/60 कार्य 720/17 × 17/60 = 12 दिनों में किया होगा।
इसलिए, 12 दिनों के बाद शाम ने काम छोड़ दिया।
-
Question 28 of 30
28. Question
अभि और बाबू 480 रुपये में एक काम करने का वादा करते हैं, अभि अकेला इसे 75 दिनों में कर सकता है जबकि बाबू अकेले इसे 40 दिनों में कर सकता है। मोहित की सहायता से वे कार्य को 25 दिनों में समाप्त करते हैं। मोहित को अपने काम के लिए कितना मिलना चाहिए?
Correct
Solution (a)
अभि काम को 75 दिनों में पूरा कर सकता है
अभि किसी काम को 1 दिन में कर सकता है = 1/75
बाबू काम को 40 दिनों में पूरा कर सकता है
बाबू किसी काम को 1 दिन में कर सकता है = 1/40
वे एक साथ काम का एक हिस्सा 1 दिन में कर सकते हैं = 1/75 + 1/40
मोहित की सहायता से वे कार्य को 25 दिनों में समाप्त करते हैं।
मोहित के साथ 1 दिन का काम = 1/25
तो, मोहित का 1 दिन का कार्य = 1/25 – ( (1/75) + (1/40))
मोहित का 1 दिन का कार्य = 1/600
उनके 1 दिन के काम का अनुपात = 1/75: 1/40: 1/600 (75, 40 और 600 का लघुतम समापवर्तक लेते हुए)
अभि, बाबू और मोहित के अनुपातों का योग = 8+15+1 =24
तो, मोहित का हिस्सा = 1/24 * 480
मोहित का हिस्सा = रु.20
Incorrect
Solution (a)
अभि काम को 75 दिनों में पूरा कर सकता है
अभि किसी काम को 1 दिन में कर सकता है = 1/75
बाबू काम को 40 दिनों में पूरा कर सकता है
बाबू किसी काम को 1 दिन में कर सकता है = 1/40
वे एक साथ काम का एक हिस्सा 1 दिन में कर सकते हैं = 1/75 + 1/40
मोहित की सहायता से वे कार्य को 25 दिनों में समाप्त करते हैं।
मोहित के साथ 1 दिन का काम = 1/25
तो, मोहित का 1 दिन का कार्य = 1/25 – ( (1/75) + (1/40))
मोहित का 1 दिन का कार्य = 1/600
उनके 1 दिन के काम का अनुपात = 1/75: 1/40: 1/600 (75, 40 और 600 का लघुतम समापवर्तक लेते हुए)
अभि, बाबू और मोहित के अनुपातों का योग = 8+15+1 =24
तो, मोहित का हिस्सा = 1/24 * 480
मोहित का हिस्सा = रु.20
-
Question 29 of 30
29. Question
A, B, C और D एक कार्य को 20 दिनों में कर सकते हैं। यदि A और B मिलकर इसे 50 दिनों में कर सकते हैं, और C अकेला 60 दिनों में कर सकता है, तो D अकेले इसे करने में लगने वाला समय ज्ञात करें।
Correct
Solution (c)
दिया गया है, A+B = 50 दिन, C = 60 दिन, A+B+C+D = 20 दिन
D अकेला यह कर सकता है = (A+B+C+D) – (A+B+C)
D = (1/20) – ((1/50) + (1/60))
D = (1/20 -( 110/3000)
D = (1/20 – 11/300)
D = 4/300 = 1/75
अत: D अकेला इसे 75 दिनों में कर सकता है
Incorrect
Solution (c)
दिया गया है, A+B = 50 दिन, C = 60 दिन, A+B+C+D = 20 दिन
D अकेला यह कर सकता है = (A+B+C+D) – (A+B+C)
D = (1/20) – ((1/50) + (1/60))
D = (1/20 -( 110/3000)
D = (1/20 – 11/300)
D = 4/300 = 1/75
अत: D अकेला इसे 75 दिनों में कर सकता है
-
Question 30 of 30
30. Question
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और गद्यांश के बाद आने वाले प्रश्न के उत्तर दीजिए। इन प्रश्न का आपका उत्तर केवल गद्यांश पर आधारित होना चाहिए।
नया साल संकल्पों का समय है। मानसिक रूप से कम से कम, हम में से अधिकांश क्या करें और क्या न करें की विकट/दुर्जेय सूची संकलित कर सकते हैं। वही पुराना पसंदीदा साल-दर-साल नीरस (monotonous) नियमितता के साथ बार-बार आता है। पिछले अनुभव ने हमें सिखाया है कि कुछ उपलब्धियां प्राप्ति से परे हैं
यदि हम अडिग धूम्रपान करने वाले बने रहते हैं, तो यह केवल इसलिए है क्योंकि हमने अक्सर असफलता के परिणामस्वरूप होने वाली निराशा का अनुभव किया है। हममें से अधिकांश लोग आत्म-सुधार के अपने प्रयासों में असफल हो जाते हैं क्योंकि हमारी योजनाएं बहुत महत्वाकांक्षी होती हैं और हमारे पास उन्हें पूरा करने का समय नहीं होता है।
हम सभी को अपने संकल्पों की घोषणा करने की बुनियादी गलती भी करते हैं ताकि जब हम अपने पुराने बुरे तरीकों में वापस आ जाएं तो हम और भी मूर्ख दिखें।
Q.30) मुहावरा ‘क्या करें और क्या न करें की दुर्जेय सूची’ का तात्पर्य है-
Correct
Solution (b)
“क्या करें और क्या न करें की दुर्जेय सूची”। गद्यांश का यह अंश कहता है कि इसका अर्थ है कि सूची इतनी लंबी है कि यह भयावह है।
Incorrect
Solution (b)
“क्या करें और क्या न करें की दुर्जेय सूची”। गद्यांश का यह अंश कहता है कि इसका अर्थ है कि सूची इतनी लंबी है कि यह भयावह है।
All the Best
IASbaba