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(PRELIMS + MAINS FOCUS)
विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day)
भाग : GS- Prelims and GS-1: समाज
समाचार में:
- हर साल 11जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- 2020 के लिए विषय: Covid-19 महामारी के दौरान महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य और अधिकारों की रक्षा कैसे करें।
- यह 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की तत्कालीन गवर्निंग काउंसिल द्वारा स्थापित किया गया था, यह 11 जुलाई 1987 को “पांच बिलियन दिवस” में जनहित में प्रेरित था।
Value Addition
- वर्तमान अनुमानों से पता चलता है कि लगभग 83 मिलियन लोग हर साल विश्व की जनसंख्या में जुड़ रहे हैं।
- भारत में विश्व का मात्र 2% भू–भाग और 16% वैश्विक जनसंख्या है।
- हालांकि भारत में कुल प्रजनन दर (TFR) में गिरावट आ रही है, लेकिन बिहार (3.2), उत्तर प्रदेश (3.0), राजस्थान (2.6) और झारखंड (2.5) जैसे गरीब राज्यों में अभी भी टीएफआर (TFR) 2.2 के राष्ट्रीय औसत से ऊपर है।
- कुल प्रजनन दर (TFR) महिलाओं के प्रजनन वर्षों के दौरान पैदा हुए बच्चों की औसत संख्या है । जनसंख्या स्थिर रहने के लिए, 2.1 की कुल प्रजनन दर की आवश्यकता है।
ASEEM पोर्टल
भाग :GS- Prelims and GS-3: अर्थव्यवस्था; GS-2: शासन
समाचार में:
- कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) ने कुशल लोगों को आजीविका के सतत अवसर खोजने में मदद करने के लिए ‘आत्मनिर्भर कुशल कर्मचारी नियोक्ता मानचित्रण (ASEEM) पोर्टल की शुरुआत की है।
मुख्य बिंदु (Key Takeaways)
- ASEEM पोर्टल नियोक्ताओं को कुशल कर्मचारियों की संख्या की उपलब्धता का आकलन करने और उनकी भर्ती योजना तैयार करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
- यह पोर्टल क्षेत्रों और स्थानीय उद्योग की मांगों के आधार पर श्रमिकों के विवरण का आलेख्यपत्र तैयार करेगा तथा सभी क्षेत्रों में कुशल कर्मचारियों की संख्या की मांग–आपूर्ति के अंतर को पूरा करेगा ।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मंच प्रासंगिक कौशल आवश्यकताओं और रोज़गार की संभावनाओं की पहचान करके वास्तविक समय की विस्तृत जानकारी भी प्रदान करेगा।
- एक एप्लिकेशन (App) के रूप में भी उपलब्ध होगी, इसमें तीन आईटी आधारित इंटरफेस शामिल हैं:
-
- नियोक्ता पोर्टल: नियोक्ता ज्ञानप्राप्ति (ऑनबोर्डिंग), मांग एकत्रीकरण, उम्मीदवार चयन।
- डैशबोर्ड: रिपोर्ट, रुझान, विश्लेषण पद्धति (एनालिटिक्स) , और अंतरालों को प्रकाश डालना।
- उम्मीदवार आवेदन: उम्मीदवार प्रोफाइल बनाना, ट्रैक करना तथा नौकरी के सुझाव साझा करना है।
रीवा सौर ऊर्जा परियोजना (Rewa solar power project)
भाग :GS- Prelims and GS-3: अवसंरचना, ऊर्जा
समाचार में
- मध्य प्रदेश में 750 मेगावाट का रीवा सौर ऊर्जा संयंत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया।
मुख्य बिंदु (Key Takeaways)
- संयंत्र में तीन सौर ऊर्जा उत्पादक इकाइयां शामिल हैं जो कि 1,500 हेक्टेयर के सौर पार्क के अंदर 500 हेक्टेयर भूमि पर स्थित हैं।
- इस सोलर प्लांट की स्थापना रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड ने की थी, जो मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड और केंद्र के सौर ऊर्जा निगम (SECI) के बीच संयुक्त उपक्रम है ।
- इस परियोजना से प्रति वर्ष लगभग 15 लाख टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, जो 26 मिलियन पेड़ लगाने के बराबर है।
क्या आप जानते हैं?
- इस परियोजना के लिए भारत में पहली बार परियोजनाओं के लिए बोली लगाने की रिवर्स नीलामी की प्रक्रिया शुरू की गई थी।
- इसकी क्रय दर 2.97 रुपये प्रति यूनिट है, जो आज तक की सबसे कम दर है।
- विश्व बैंक समूह की कंपनी इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन ने इस परियोजना में 440 मिलियन डॉलर या 2,800 करोड़ रुपये के करीब का निवेश किया है।
- राजस्थान में जोधपुर जिले में भाडला सोलर पार्क की क्षमता 2,245 मेगावाट है और कर्नाटक के तुमकुर जिले में पावागड़ा सोलर पार्क की क्षमता 2,050 मेगावाट है।
(मुख्य लेख)
बजट/ अर्थव्यवस्था/ शासन
विषय: सामान्य अध्ययन 2,3:
- सांविधिक, नियामक और विभिन्न अर्ध–न्यायिक निकाय
- सरकारी बजट।
क्या हमें राजकोषीय परिषद (fiscal council) की आवश्यकता है?
संदर्भ: आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव (D. Subbarao) ने इस बारे में अपनी राय दी हैं कि हमें राजकोषीय परिषद की आवश्यकता है या नहीं।
सरकार को अभी ऋण लेने और अधिक खर्च करने की आवश्यकता है
- कमजोर परिवारों का सहयोग करने के लिए
- आर्थिक सुधार हेतु योजना बनाने में
बढ़ती ऋण राशियों (उधारी) के संबंध में चुनौतियाँ
- कर्ज में वृद्धि से मध्यम अवधि की विकास की संभावनाओं को खतरा होगा।
- अंतर–पीढ़ी गत इक्विटी का नुकसान: बढ़ी हुई उधारी से भावी पीढ़ी पर ब्याज का बोझ बढ़ता है तथा उनकी उधार लेने की क्षमता कम हो जाती है।
- रेटिंग एजेंसियों द्धारा भारत की रैंकिंग में गिरावट, देश में विदेशी निवेश की मंदी का कारण बन सकती है।
- निकट अवधि में मुद्रास्फ़ीति।
- सरकार की राजकोषीय लापरवाही के कारण बाजार के विश्वास में कमी आयी है।
बाजार का विश्वास बढ़ाने के साथ ऋण राशियों को कैसे बढ़ाएं?
- सरकार को बाजार का विश्वास बनाए रखने हेतु राजकोषीय समेकन के लिए COVID-19 पश्चात् एक विश्वसनीय योजना तैयार करनी होगी।
- सरकार राजकोषीय अनुशासन लागू करने के लिए कुछ नए संस्थागत तंत्र स्थापित करके अपने नैतिकता का संकेत दे सकती है, उदाहरण के लिए एक राजकोषीय परिषद।
राजकोषीय परिषद के बारे में
- यह पहली बार तेरहवें वित्त आयोग द्वारा अनुशासित किया गया था तथा बाद में चौदहवें वित्त आयोग और फिर FRBM (राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन) समीक्षा समिति द्वारा समर्थन किया गया था जिसकी अध्यक्षता एन.के. सिंह द्धारा की गई थी।
- राजकोषीय परिषद, इसके मूल में, सरकार की राजकोषीय योजनाओं और अनुमानों को व्यापक आर्थिक स्थिरता के मापदंडों के खिलाफ स्वतंत्र रूप से आकलन करने के लिए जनादेश के साथ एक स्थायी एजेंसी है।
- इसके बाद यह अपने निष्कर्षों को सार्वजनिक पटल (अधिकार क्षेत्र) पर रखेगा।
- इस तरह की खुली जांच, सरकार को राजकोषीय सदाचार के सीधे और संकीर्ण रास्ते पर रखेगी तथा इसे किसी भी चूक (डिफ़ॉल्ट) के लिए जिम्मेदार ठहराएगी।
- यह सरकार के राजकोषीय रुख का स्वतंत्र और विशेषज्ञ मूल्यांकन करेगा, तथा इस तरह संसद में एक सूचित बहस में मदद करेगा।
राजकोषीय परिषद का अधिदेश/ कार्य क्या होगा?
राजकोषीय परिषद के अधिदेश में शामिल होंगे:
- बहु–वर्षीय राजकोषीय अनुमान बनाना, राजकोषीय स्थिरता विश्लेषण तैयार करना।
- केंद्र सरकार के राजकोषीय प्रदर्शन का एक स्वतंत्र मूल्यांकन प्रदान करना तथा राजकोषीय नियमों का अनुपालन करना।
- वार्षिक वित्तीय विवरण की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए राजकोषीय रणनीति में उपयुक्त परिवर्तनों की सिफारिश करना।
- राजकोषीय आंकड़ों की गुणवत्ता में सुधार के लिए कदम उठाना।
- एक वार्षिक राजकोषीय रणनीति रिपोर्ट का उत्पादन करना जो सार्वजनिक रूप से जारी की जाएगी।
राजकोषीय परिषद के संबंध में चुनौतियाँ
- राजनीतिक इच्छा की कमी से गंभीर राजकोषीय गैरजिम्मेदारी (Chronic fiscal irresponsibility) बढ़ेगी
- 2003 में जब एफआरबीएम को कानून के दायरे में रखा गया था, यह राजकोषीय संकट के लिए एक आकर्षण उपाय के रूप में के सोचा गया था।
- एफआरबीएम (FRBM) में सरकार को पूर्व निर्धारित राजकोषीय लक्ष्यों के अनुरूप नियम बनाने के लिए और लक्ष्यों की विफलता की स्थिति में तथा विचलन के कारणों को समझाना शामिल है।
- सरकार को अपने राजकोषीय प्रकृति की विश्वसनीयता प्रदर्शित करने के लिए संसद में ‘राजकोषीय नीति रणनीति वक्तव्य‘ (FPS) प्रस्तुत करना भी आवश्यक है।
- हालांकि, राजकोषीय प्रकृति पर संसद में गहराई से चर्चा की कमी है और एफपीएस (FPS) का प्रस्ताव अक्सर बिना किसी सूचना के भी पारित हो जाता है।
- इसकी कार्य प्रणाली भ्रम पैदा कर सकती है
- राजकोषीय परिषद व्यापक आर्थिक पूर्वानुमान देगी जो वित्त मंत्रालय को बजट बनाने के लिए उपयोग करने की उम्मीद है और यदि मंत्रालय उन अनुमानों से अलग होने का निर्णय लेता है, तो यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि यह अनुमान अलग क्यों है।
- इसके अलावा, वित्त मंत्रालय को किसी और के अनुमानों का उपयोग करने के लिए मजबूर करने से इसकी जवाबदेही कमजोर हो जाएगी।
- यदि राजकोषीय परिषद के आकलन धराशायी हो जाते हैं, तो सरकार साधारणतः राजकोषीय परिषद को दोषी ठहराएगी।
- कार्य की आवृत्ति (दोहराव)
- अभी तक, केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) और आरबीआई दोनों ही विकास और अन्य वृहद आर्थिक प्रभावों के पूर्वानुमान देते हैं, राजकोषीय परिषद के अनुमानों की आवश्यकता के बारे में प्रश्न उठाए जा सकते हैं।
- एक वित्तीय परिषद के समर्थन में किया गया एक और तर्क यह है कि यह निगरानी के रूप में कार्य करेगा और सरकार को रचनात्मक लेखांकन के जरिए राजकोषीय नियमों में फेरबदल करने से रोकेगा।
- हालांकि, सरकारी खर्च के ऑडिट और राजकोषीय प्रहरी का काम करने के लिए कैग (CAG) के रूप में पहले से ही एक संस्थागत तंत्र है।
आगे की राह– छोटे कदमों से शुरुआत
- निर्धारित बजट प्रस्तुति से एक हफ्ते पहले, सीएजी, एक संवैधानिक प्राधिकरण को, संसद में पेश किए जाने के बाद बजट की जांच के सीमित आदेश के साथ पांच सप्ताह की अवधि के लिए तीन सदस्यीय समिति नियुक्त करना चाहिए।
- समिति सरकार की राजकोषीय प्रकृति और आंकड़ों की वास्तविकता की छानबीन करेगी तथा एक सार्वजनिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
- कैग (CAG) का कार्यालय समिति को अपने संसाधनों से सचिवीय (मंत्री–संबंधी) और तार्किक सहायता प्रदान करेगा।
- वित्त मंत्रालय, आरबीआई, सीएसओ (CSO) और नीति आयोग सचिवालय में सेवा देने के लिए प्रत्येक अधिकारी की प्रति नियुक्ति करेंगे।
- समिति अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद समाप्त हो जाएगी।
Connecting the dots:
- एन के सिंह समिति (N.K. Singh) की सिफारिशें
अर्थव्यवस्था/ शासन
विषय: सामान्य अध्ययन 3:
- भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधनों का संग्रहण, संवृद्धि, विकास और रोज़गार से संबंधित मुद्दे ।
चीन से विकासात्मक दृष्टिकोण में बढ़त लेना (Developmental Approach to take on China)
संदर्भ: औद्योगिक नीति को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है, ताकि कोविड-19 के पश्चात् विश्व में चीन से आगे बढ़त हासिल की जाए
1991 के बाद भारत का विकासात्मक दृष्टिकोण
- सेवा क्षेत्र द्धारा नेतृत्व किया गया और विनिर्माण क्षेत्र को उपेक्षित (undermined) किया गया।
- इसके साथ ही चीन ने मैन्युफैक्चरिग (manufacturing) में तेजी से प्रगति की है जिसके परिणामस्वरूप दोनों के बीच असमान संतुलन बना हुआ है।
परिणाम
- 1991 में, आर्थिक सुधार शुरू होने के बाद से सकल घरेलू उत्पाद और रोज़गार में विनिर्माण का हिस्सा स्थिर हो गया है, तथा विनिर्माण क्षेत्र में रोज़गार वास्तव में 2014 के बाद से गिर गया था।
- चीन ने व्यावहारिक अभियांत्रिकी (applied engineering ) और रासायनिक प्रक्रियाओं में एक व्यापक विकास में क्षमताएं विकसित की हैं और वैश्विक बाजारों पर कब्ज़ा करने का प्रयास किया है।
- दूसरी ओर भारत विभिन्न निचले स्तर के सेवाओं के साथ जुड़ा हुआ है, जिसकी गुंजाईश तेजी से घट रही है।
- दोनों देशों के बीच वार्षिक व्यापार–घाटा, $50 बिलियन से अधिक है ।
वर्तमान भारत–चीन व्यापार संतुलन क्यों अस्थिर है?
- अधिकांश भारतीय निर्यात कच्चे माल या उस शैली में (कम तकनीक और निम्न रोज़गार, जैसे कच्ची धातु, दुर्लभ खनिज, रसायन) हैं, जबकि आयात विनिर्माण (उच्च तकनीक) में होते हैं।
- इस तरह के व्यापार पैटर्न अनिवार्य रूप से समय में व्यापार की असमान शर्तों के परिणामस्वरूप होते हैं।
- यहां तक कि जिन क्षेत्रों में भारत की कुछ क्षमता है, वहां भी चीन से महत्वपूर्ण जानकारियाँ आयात की जाती हैं। उदाहरण के लिए
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- फार्मास्यूटिकल्स (सक्रिय अवयवों के लिए चीन पर 68% निर्भरता)
- ऑटो उद्योग (इलेक्ट्रिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और ईंधन अन्तःक्षेपण (fuel injection) के लिए चीन पर 15-20% निर्भरता)
- एक निरंतर चालू खाता घाटे ने भारत को ज़मीनी कार्य करने के लिए भी ऋण के लिए बहुपक्षीयों का नेतृत्व किया है,तथा फिर चालू खाते को संतुलित करने के लिए विदेशी मुद्रा का उपयोग करना पड़ता है।
- चीन से उच्च आयात भी चीन को सार्थक नौकरियों का निर्यात करता है।
चीन के साथ व्यापार संतुलन सुधारने के लिए भारत को क्या करना चाहिए?
- इसके लिए, विकास हेतु भारत के दृष्टिकोण को विनिर्माण के पक्ष में बदलना होगा।
- साथ ही, चीन से निचले स्तर के (लो–एंड) उत्पादों और उपभोक्ता वस्तुओं के आयात पर भी निकट प्रतिबंध लगाना होगा। 3,000 से ज्यादा आयातित (चीनी) वस्तुओं (खिलौने, घड़ियां, प्लास्टिक उत्पाद) को स्थानीय आपूर्ति द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है।
- चीन से सस्ती वस्तुओं का आयात नहीं कर पाने से उपभोक्ताओं, व्यापारियों और घरेलू विनिर्माताओं को 2-3 साल तक अल्पकालिक वित्तीय नुकसान होगा, लेकिन इसमें धीरे–धीरे कमी आएगी।
- चीन से आयात कम होने से व्यापार की समग्र शर्तें भी बेहतर होंगी तथा इसलिए रुपये का स्थिरीकरण होगा, जिसके परिणामस्वरूप पेट्रोलियम उत्पादों का रूपए मूल्य कम हो जाएगा।
क्या उपरोक्त दृष्टिकोण अतीत के आयात–प्रतिस्थापन मॉडल के समान नहीं है?
- स्थानीय कंपनियों को मजबूत करने के लिए विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी (प्रस्तावित) और कैप्टिव बाजारों के लिए लाइसेंस के तहत उत्पादन कंपनियों (पूर्व) के बीच एक स्पष्ट अंतर है।
- पहले, स्थानीय उद्योग नियंत्रण के कारण उद्योग आकार में विकसित नहीं हो सकते थे, पर अब वह ऐसा कर सकते हैं।
- पहले वे मनोवैज्ञानिक रूप से अंतरराष्ट्रीय बाजारों का सामना करने के लिए तैयार नहीं थे, अब वह ऐसा करने में सक्षम हैं।
- साथ ही, यहां प्रस्तावित दृष्टिकोण आयात को पूरी तरह से प्रति स्थापित करने के लिए नहीं है बल्कि भारतीय उद्योग को अंतर्राष्ट्रीय श्रम प्रभाग में शामिल होने के साथ–साथ विदेशी मुद्रा और नौकरियों को बचाने के लिए अनावश्यक आयात को कम करना है।
आगे की राह
- सरकार और उद्योग को टैरिफ, सब्सिडी, भूमि और श्रम कानून सहजता, बुनियादी ढांचे आदि के माध्यम से उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने और आपसी विश्वास पैदा करने की जरूरत है।
- भारत की 66 मिलियन MSME में खामियों को दूर करते हुए विकसित अर्थव्यवस्थाओं को प्राप्त करने के लिए बेहतर दृष्टिकोण की आवश्यकता है। “one-state/ district-one product approach” विशाल इकाई बनाने के लिए एसएमई (SMEs) को एक साथ लाया जा सकता है ।
- लक्षित अनुसंधान एवं विकास में भारी निवेश करने की आवश्यकता है, जिसके लिए निजी–सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी आवश्यक है। अनुसंधान एवं विकास पर व्यय वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद के 0.7% से 3-4 गुना बढ़ना चाहिए।
- शिक्षा, प्रशिक्षण और मानव पूँजी निर्माण में निवेश सकल घरेलू उत्पाद के वर्तमान 3% से बढ़कर 6% हो जाना चाहिए, जिसमें अधिक उद्योग आधारित प्रशिक्षण, गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- भारत से ब्रेन ड्रेन को रोकना: जो (शीर्ष इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों से) विदेशों की ओर होते हैं। पश्चिम में सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी भारत में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए एक दृष्टिकोण हो सकता है।
Connecting the dots:
- आत्मनिर्भर भारत अभियान
- मेक इन इंडिया – तार्किक विश्लेषण
(TEST YOUR KNOWLEDGE)
मॉडल प्रश्न: (You can now post your answers in comment section)
ध्यान दें:
- आज के प्रश्नों के सही उत्तर अगले दिन के डीएनए (DNA) सेक्शन में दिए जाएंगे । कृपया इसे देखें और अपने उत्तरों को अपडेट करें।
- Comments Up-voted by IASbaba are also the “correct answers”.
Q.1) विश्व जनसंख्या दिवस कब मनाया जाता है?
- 9 जुलाई
- 10 जुलाई
- 11 जुलाई
- 12 जुलाई
Q.2) राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NHFS) के अनुसार कुल प्रजनन दर (TFR) के निर्धारक निम्नलिखित में से कौन हैं?
- शिक्षा
- गर्भनिरोधक उपयोग
- धर्म
- आय/ धन
उपरोक्त में से कौन सा कथन सही है?
- केवल 1, 2 और 3
- 1, 3 और 4
- 1, 2, 3 और 4
- केवल 1 और 3
Q.3) ASEEM पोर्टल, हाल ही में किसके द्वारा आरंभ किया गया था?
- कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय
- गृह मंत्रालय
- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय
- ग्रामीण विकास मंत्रालय
Q.4) भारत का राष्ट्रीय सौर मिशन राष्ट्रीय कार्य योजना जलवायु परिवर्तन के अंतर्गत आता है। भारत के राष्ट्रीय सौर मिशन के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा वक्तव्य सही है?
- 2022 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य है।
- इस लक्ष्य में रूफटॉप परियोजनाओं के साथ–साथ बड़े और मध्यम पैमाने पर ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट शामिल हैं।
- राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत, भारतीय रेलवे अपने नेटवर्क में 1000 MW सौर ऊर्जा संयंत्रों को कमीशन करने की योजना बना रहा है।
उपरोक्त में से कौन सा कथन सही है?
- 1 और 2
- 2 और 3
- 1 और 3
- 1, 2 और 3
ANSWERS FOR 10th July 2020 TEST YOUR KNOWLEDGE (TYK)
1 | D |
2 | A |
3 | B |
4 | D |
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