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श्रेणी: राजनीति
प्रसंग: सर्वोच्च न्यायालय ने अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय में देरी के लिए तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष की कड़ी आलोचना की है।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अध्यक्ष पद की गरिमा बनाए रखने और राजनीतिक दलबदल को बिना सजा के जाने से रोकने के लिए दलबदल विरोधी मामलों का निपटारा तीन महीने के भीतर किया जाना चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि ऐसी कार्यवाहियाँ अक्सर अध्यक्षों द्वारा जानबूझकर की गई देरी के कारण “स्वाभाविक रूप से समाप्त” हो जाती हैं, जिससे दसवीं अनुसूची (दलबदल विरोधी कानून) का मज़ाक बनता है। न्यायालय ने तेलंगाना अध्यक्ष की इस बात के लिए आलोचना की कि उन्होंने सात महीने की देरी के बावजूद, जनवरी 2025 में मामला सर्वोच्च न्यायालय में लाए जाने के बाद ही नोटिस जारी किए।
मुख्य न्यायाधीश गवई ने इस बात पर जोर दिया कि दसवीं अनुसूची के तहत कार्य करते समय अध्यक्ष को न्यायिक समीक्षा से कोई संवैधानिक प्रतिरक्षा नहीं मिलती है, और उन्होंने सवाल किया कि क्या अध्यक्ष ने संसद की अपेक्षा के अनुरूप शीघ्रता से कार्य किया।
Learning Corner:
52वां संशोधन अधिनियम और दलबदल विरोधी कानून:
स्रोत: द हिंदू
श्रेणी: राजनीति
संदर्भ: तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने राज्यों के भाषाई पुनर्गठन की आलोचना करते हुए दावा किया कि इससे लोगों को भाषा के आधार पर विभाजित करके “द्वितीय श्रेणी के नागरिक” पैदा हो गए हैं।
मुख्य तथ्य:
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
1956 का पुनर्गठन:
Learning Corner:
पृष्ठभूमि: स्वतंत्रता के बाद का भारत (1950)
यह संरचना अस्थायी और अकुशल थी, जिसके कारण पुनर्गठन की मांग उठी, विशेष रूप से भाषाई आधार पर ।
प्रमुख आंदोलन और पहला भाषाई राज्य (1953)
पुनर्गठन पर प्रमुख समितियाँ
| समिति | वर्ष | सदस्य | प्रमुख सिफारिशें |
|---|---|---|---|
| धर आयोग | 1948 | एसके धर (अध्यक्ष) | केवल भाषाई आधार पर पुनर्गठन का विरोध किया गया; प्रशासनिक सुविधा का पक्ष लिया गया । |
| जेवीपी समिति | 1949 | जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल, पट्टाभि सीतारमैया | प्रारंभ में भाषाई राज्यों को अस्वीकार किया गया; भाषाई आकांक्षाओं की अपेक्षा राष्ट्रीय एकता को प्राथमिकता दी गई । |
| राज्य पुनर्गठन आयोग (एसआरसी) | 1953 | फजल अली (अध्यक्ष), केएम पणिक्कर, एचएन कुंजरू | प्रशासनिक व्यवहार्यता और राष्ट्रीय एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए मुख्य रूप से भाषाई आधार पर पुनर्गठन की सिफारिश की गई। |
राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956
बाद के राज्य गठन और परिवर्तन
| वर्ष | पुनर्निर्माण |
|---|---|
| 1960 | बम्बई महाराष्ट्र (मराठी) और गुजरात (गुजराती) में विभाजित हो गया । |
| 1966 | पंजाब का पुनर्गठन कर हरियाणा (हिंदी) बनाया गया, तथा चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। |
| 1971-72 | मणिपुर , त्रिपुरा और मेघालय पूर्ण राज्य बन गये। |
| 1987 | गोवा , अरुणाचल प्रदेश , मिजोरम राज्य बन गये। |
| 2000 | छत्तीसगढ़ (मध्य प्रदेश से), उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश से), झारखंड (बिहार से) का निर्माण । |
| 2014 | तेलंगाना भारत का 29वां राज्य बना। |
स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस
श्रेणी: भूगोल
संदर्भ: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने “राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) को सहायता अनुदान” नामक एक केंद्रीय क्षेत्र योजना को मंजूरी दी है।
मुख्य तथ्य:
Learning Corner:
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (National Cooperative Development Corporation (NCDC)
स्थापित:
उद्देश्य:
महत्वपूर्ण कार्य:
संगठनात्मक संरचना:
महत्वपूर्ण पहल:
स्रोत: पीआईबी
श्रेणी: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
प्रसंग: भारतीय नौसेना को 31 जुलाई 2025 को जीआरएसई, कोलकाता में आईएनएस हिमगिरि , एक उन्नत स्टील्थ फ्रिगेट और प्रोजेक्ट 17ए के तहत तीसरा जहाज प्राप्त हुआ।
मुख्य तथ्य:
हिमगिरि का शामिल होना नौसेना डिजाइन, प्रौद्योगिकी और रक्षा विनिर्माण में भारत की बढ़ती सामर्थ्य शक्ति को दर्शाता है।
Learning Corner:
भारत में प्रमुख रक्षा परियोजनाएँ
आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए कई प्रमुख रक्षा परियोजनाएँ शुरू की हैं । नीचे थलसेना, नौसेना और वायुसेना की कुछ महत्वपूर्ण रक्षा परियोजनाएँ दी गई हैं:
परियोजना 75 (पनडुब्बी विकास – नौसेना)
परियोजना 75I (पनडुब्बी विकास – नौसेना)
परियोजना 17A (फ्रिगेट निर्माण – नौसेना)
प्रोजेक्ट 18 (अगली पीढ़ी के विध्वंसक – नौसेना)
हल्का लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस – वायु सेना
उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) – वायु सेना
K-15 और K-4 मिसाइल परियोजनाएं (SLBMs – नौसेना)
अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक (सेना)
भविष्य का इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल (FICV) – सेना
आकाश, अस्त्र और प्रलय मिसाइलें
श्रेणी: अर्थशास्त्र
प्रसंग: बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 शासन, अनुपालन, लेखा परीक्षा और निवेशक संरक्षण में प्रमुख सुधारों के साथ भारत के बैंकिंग ढांचे का आधुनिकीकरण करता है।
प्रमुख प्रावधान:
Learning Corner:
भारत में बैंकिंग सुधारों पर प्रमुख समितियाँ
नरसिम्हम समिति I (1991) – वित्तीय प्रणाली पर समिति
नरसिम्हम समिति II (1998) – बैंकिंग क्षेत्र सुधार समिति
वर्मा समिति (1999) – कमजोर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर समिति
तारापोर समिति (1997 और 2006) – पूंजी खाता परिवर्तनीयता
रघुराम राजन समिति (2008) – वित्तीय क्षेत्र सुधार
नचिकेत मोर समिति (2013) – वित्तीय समावेशन
पीजे नायक समिति (2014) – बैंक बोर्डों का शासन
उषा थोराट समिति (2010) – नए शहरी सहकारी बैंकों का लाइसेंस
स्रोत: पीआईबी
केरल लंबे समय से लगभग सार्वभौमिक साक्षरता, शिक्षा में मजबूत लैंगिक समानता और मजबूत सार्वजनिक स्कूली शिक्षा प्रणाली के साथ एक सफल कहानी के रूप में उभरा है, इसे अक्सर भारत के शैक्षिक विमर्श में एक आदर्श राज्य के रूप में देखा जाता है।
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) 2022-23 के अनुसार, केरल में स्नातक बेरोजगारी दर 42.3% है, जो देश में सबसे अधिक है।
एक ऐसे राज्य के लिए जिसे अक्सर शैक्षिक रूप से अग्रणी माना जाता है, यह आंकड़ा अकादमिक शिक्षा, रोजगारपरकता और हमारी उच्च शिक्षा नीति के संरचनात्मक डिजाइन के बीच संबंधों के बारे में परेशान करने वाले प्रश्न उठाता है।
संक्षेप में, केरल की स्नातक बेरोज़गारी केवल एक राज्य-विशिष्ट समस्या नहीं है; यह भारत के शिक्षा-रोज़गार सातत्य में संरचनात्मक अक्षमताओं का दर्पण है। राष्ट्र को नामांकन संख्या का जश्न मनाने से आगे बढ़कर शिक्षा की उपयोगिता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
लगभग सार्वभौमिक साक्षरता के बावजूद केरल में स्नातकों की उच्च बेरोज़गारी भारत के शिक्षा-रोज़गार पारिस्थितिकी तंत्र में गहरी संरचनात्मक खामियों को उजागर करती है। समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मालदीव की दो दिवसीय राजकीय यात्रा संपन्न की, जो नवंबर 2023 में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के चुनाव के बाद तनाव की अवधि के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में पुनः सुधार का संकेत है।
श्री मोदी 26 जुलाई 2025 को राजधानी माले में आयोजित देश के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि भी थे।
भारत के लिए मालदीव के सामरिक महत्व पर चर्चा कीजिए। मालदीव में हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों के आलोक में, इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बनाए रखने में भारत के सामने आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए। साथ ही, द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के उपाय सुझाइए । (250 शब्द, 15 अंक)