Hindi Initiatives, IASbaba Prelims 60 Days Plan, Rapid Revision Series (RaRe)
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60 दिनों की रैपिड रिवीजन (RaRe) सीरीज IASbaba की एक महत्त्वपूर्ण पहल है जो टॉपर्स द्वारा अनुशंसित है और हर साल अभ्यर्थियों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद की जाती है।
यह सबसे व्यापक कार्यक्रम है जो आपको दैनिक आधार पर पाठ्यक्रम को पूरा करने, रिवीजन करने और टेस्ट का अभ्यास करने में मदद करेगा। दैनिक आधार पर कार्यक्रम में शामिल हैं
- उच्च संभावित टॉपिक्स पर दैनिक रैपिड रिवीजन (RaRe) सीरीज वीडियो (सोमवार – शनिवार)
- वीडियो चर्चा में, उन टॉपिक्स पर विशेष ध्यान दिया जाता है जिनकी UPSC प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्न पत्र में आने की उच्च संभावना होती है।
- प्रत्येक सत्र 20 मिनट से 30 मिनट का होगा, जिसमें कार्यक्रम के अनुसार इस वर्ष प्रीलिम्स परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण 15 उच्च संभावित टॉपिक्स (स्टैटिक और समसामयिक दोनों) का तेजी से रिवीजन शामिल होगा।
Note – वीडियो केवल अंग्रेज़ी में उपलब्ध होंगे
- रैपिड रिवीजन नोट्स
- परीक्षा को पास करने में सही सामग्री महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और रैपिड रिवीजन (RaRe) नोट्स में प्रीलिम्स विशिष्ट विषय-वार परिष्कृत नोट्स होंगे।
- मुख्य उद्देश्य छात्रों को सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक्स को रिवाइज़ करने में मदद करना है और वह भी बहुत कम सीमित समय सीमा के भीतर करना है
Note – दैनिक टेस्ट और विस्तृत व्याख्या की पीडीएफ और ‘दैनिक नोट्स’ को पीडीएफ प्रारूप में अपडेट किया जाएगा जो अंग्रेजी और हिन्दी दोनों में डाउनलोड करने योग्य होंगे।
- दैनिक प्रीलिम्स MCQs स्टेटिक (सोमवार – शनिवार)
- दैनिक स्टेटिक क्विज़ में स्टेटिक विषयों के सभी टॉपिक्स शामिल होंगे – राजनीति, इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, पर्यावरण तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी।
- 20 प्रश्न प्रतिदिन पोस्ट किए जाएंगे और इन प्रश्नों को शेड्यूल में उल्लिखित टॉपिक्स और RaRe वीडियो से तैयार किया गया है।
- यह आपके स्टैटिक टॉपिक्स का समय पर और सुव्यवस्थित रिवीजन सुनिश्चित करेगा।
- दैनिक करेंट अफेयर्स MCQs (सोमवार – शनिवार)
- दैनिक 5 करेंट अफेयर्स प्रश्न, ‘द हिंदू’, ‘इंडियन एक्सप्रेस’ और ‘पीआईबी’ जैसे स्रोतों पर आधारित, शेड्यूल के अनुसार सोमवार से शनिवार तक प्रकाशित किए जाएंगे।
- दैनिक CSAT Quiz (सोमवार –शनिवार)
- सीसैट कई अभ्यर्थियों के लिए परेशानी का कारण रहा है।
- दैनिक रूप से 5 सीसैट प्रश्न प्रकाशित किए जाएंगे।
Note – 20 स्टैटिक प्रश्नों, 5 करेंट अफेयर्स प्रश्नों और 5 CSAT प्रश्नों का दैनिक रूप से टेस्ट। (30 प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न) प्रश्नोत्तरी प्रारूप में अंग्रेजी और हिंदी दोनों में दैनिक आधार पर अपडेट किया जाएगा।
60 DAY रैपिड रिवीजन (RaRe) सीरीज के बारे में अधिक जानने के लिए – CLICK HERE
Download 60 Day Rapid Revision (RaRe) Series Schedule – CLICK HERE
Download 60 Day Rapid Revision (RaRe) Series Notes & Solutions DAY 7 – CLICK HERE
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Information
The following Test is based on the syllabus of 60 Days Plan-2022 for UPSC IAS Prelims 2022.
To view Solutions, follow these instructions:
- Click on – ‘Start Test’ button
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- Click on ‘Test Summary’ button
- Click on ‘Finish Test’ button
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Question 1 of 30
1. Question
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत (Continental Drift Theory) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- वेगनर ने सुझाव दिया कि महाद्वीपीय विस्थापन के लिए उत्तरदायी गति केवल पोलर अथवा ध्रुवीय फ्लीइंग बल (Polar fleeing force) के कारण था।
- पोलर अथवा ध्रुवीय फ्लीइंग बल (Polar fleeing force) पृथ्वी के घूर्णन से अभिकेन्द्रीय बल द्वारा और पृथ्वी के भूमध्य रेखा के थोड़े चपटे पर उभार द्वारा निर्मित होता है।
निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत हैं?
Correct
Solution (c)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 गलत गलत महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत (Continental Drift Theory) को जर्मन वैज्ञानिक अल्फ्रेड वेगनर ने 1915 में प्रस्तुत किया था। इस सिद्धांत के अनुसार, क्रस्ट का हिस्सा दुनिया भर में क्षैतिज गति करने में सक्षम है, जिससे महाद्वीप एक दूसरे के संबंध में धीरे-धीरे अपनी स्थिति बदलते हैं।
विस्थापन दो दिशाओं में था- गुरुत्वाकर्षण बल, पोलर अथवा ध्रुवीय फ्लीइंग बल (Polar fleeing force) और उत्प्लावकता की परस्पर क्रिया के कारण भूमध्य रेखा की ओर और पृथ्वी की गति के कारण ज्वारीय धाराओं (tidal currents) के कारण पश्चिम की ओर।
वेगेनर ने सुझाव दिया कि ज्वारीय बल ने भी एक प्रमुख भूमिका निभाई।
पोलर अथवा ध्रुवीय फ्लीइंग बल (Polar fleeing force) पृथ्वी के घूर्णन से अपकेन्द्रीय बल द्वारा और थोड़ा चपटा पृथ्वी के भूमध्य रेखा पर उभार द्वारा बनाया जाता है। यह पृथ्वी के घूर्णन से संबंधित है। पृथ्वी एक पूर्ण गोला नहीं है; भूमध्य रेखा पर एक उभार है। यह उभार पृथ्वी के घूर्णन के कारण होता है। [भूमध्य रेखा पर अधिक अपकेन्द्रीय बल]।
ध्रुवों से भूमध्य रेखा की ओर बढ़ने पर अपकेन्द्रीय बल में वृद्धि होती है। अपकेन्द्रीय बल में इस वृद्धि के कारण ध्रुव फ्लीइंग हुआ है।
Incorrect
Solution (c)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 गलत गलत महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत (Continental Drift Theory) को जर्मन वैज्ञानिक अल्फ्रेड वेगनर ने 1915 में प्रस्तुत किया था। इस सिद्धांत के अनुसार, क्रस्ट का हिस्सा दुनिया भर में क्षैतिज गति करने में सक्षम है, जिससे महाद्वीप एक दूसरे के संबंध में धीरे-धीरे अपनी स्थिति बदलते हैं।
विस्थापन दो दिशाओं में था- गुरुत्वाकर्षण बल, पोलर अथवा ध्रुवीय फ्लीइंग बल (Polar fleeing force) और उत्प्लावकता की परस्पर क्रिया के कारण भूमध्य रेखा की ओर और पृथ्वी की गति के कारण ज्वारीय धाराओं (tidal currents) के कारण पश्चिम की ओर।
वेगेनर ने सुझाव दिया कि ज्वारीय बल ने भी एक प्रमुख भूमिका निभाई।
पोलर अथवा ध्रुवीय फ्लीइंग बल (Polar fleeing force) पृथ्वी के घूर्णन से अपकेन्द्रीय बल द्वारा और थोड़ा चपटा पृथ्वी के भूमध्य रेखा पर उभार द्वारा बनाया जाता है। यह पृथ्वी के घूर्णन से संबंधित है। पृथ्वी एक पूर्ण गोला नहीं है; भूमध्य रेखा पर एक उभार है। यह उभार पृथ्वी के घूर्णन के कारण होता है। [भूमध्य रेखा पर अधिक अपकेन्द्रीय बल]।
ध्रुवों से भूमध्य रेखा की ओर बढ़ने पर अपकेन्द्रीय बल में वृद्धि होती है। अपकेन्द्रीय बल में इस वृद्धि के कारण ध्रुव फ्लीइंग हुआ है।
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Question 2 of 30
2. Question
समानांतर और मध्याह्न रेखा के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- एक बृहत वृत्त तब बनता है जब पृथ्वी के केंद्र से गुजरने वाला एक रेखा पृथ्वी की सतह को काटता है।
- जब कोई रेखा पृथ्वी से होकर गुजरती है, लेकिन पृथ्वी के केंद्र से नहीं होकर, पृथ्वी की सतह को काटती है तब एक छोटा वृत्त बनता है।
- मध्याह्न रेखा वास्तव में बृहत वृत्तों के आधे भाग होते हैं, जबकि भूमध्य रेखा को छोड़कर सभी समानांतर छोटे वृत्त होते हैं।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
Correct
Solution (c)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 कथन 3 सही सही सही मेरिडियन और समानांतर दो प्रकार के वृत्तों से बने होते हैं: बड़े और छोटे। एक बड़ा वृत्त तब बनता है जब पृथ्वी के केंद्र से गुजरने वाली एक रेखा पृथ्वी के सतह को काटती है।
यह ग्लोब को दो बराबर हिस्सों में समद्विभाजित करता है।
जब कोई रेखा पृथ्वी से होकर गुजरती है, लेकिन पृथ्वी के केंद्र से नहीं होकर, पृथ्वी की सतह को काटती है तब एक छोटा वृत्त तब बनता है। मध्याह्न रेखा वास्तव में बड़े वृत्तों के आधे भाग होते हैं, जबकि भूमध्य रेखा को छोड़कर सभी समानांतर छोटे वृत्त होते हैं। Incorrect
Solution (c)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 कथन 3 सही सही सही मेरिडियन और समानांतर दो प्रकार के वृत्तों से बने होते हैं: बड़े और छोटे। एक बड़ा वृत्त तब बनता है जब पृथ्वी के केंद्र से गुजरने वाली एक रेखा पृथ्वी के सतह को काटती है।
यह ग्लोब को दो बराबर हिस्सों में समद्विभाजित करता है।
जब कोई रेखा पृथ्वी से होकर गुजरती है, लेकिन पृथ्वी के केंद्र से नहीं होकर, पृथ्वी की सतह को काटती है तब एक छोटा वृत्त तब बनता है। मध्याह्न रेखा वास्तव में बड़े वृत्तों के आधे भाग होते हैं, जबकि भूमध्य रेखा को छोड़कर सभी समानांतर छोटे वृत्त होते हैं। -
Question 3 of 30
3. Question
पुराचुम्बकत्व या पेलियोमैग्नेटिज्म के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- इसके अनुसार, तापमान में परिवर्तन और कोर पर संवहन धाराएं पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में उतार-चढ़ाव को निर्धारित करती हैं।
- यह प्लेट विवर्तनिकी के सिद्धांत और महाद्वीपों के निर्माण का समर्थन करने के लिए प्रमाण प्रदान करता है।
निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही हैं?
Correct
Solution (c)
Basic Info:
चुंबकीय क्षेत्र के इतिहास को रिकॉर्ड करने के लिए चुंबकीय चट्टानों और अवसादों का अध्ययन है। कुछ चट्टानों और पदार्थों में खनिज होते हैं जो चुंबकीय क्षेत्र पर प्रतिक्रिया देते हैं। इसलिए, जब चट्टानें बनती हैं, तो खनिज अपनी स्थिति को बनाए रखते हुए चुंबकीय क्षेत्र के साथ संरेखित हो जाते हैं।
इसके अनुसार, तापमान में परिवर्तन और क्रोड/कोर पर संवहन धाराएं पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में उतार-चढ़ाव को निर्धारित करती हैं।
-पृथ्वी के चुंबकीय अतीत का अधिक विस्तृत रिकॉर्ड महाद्वीपों के निर्माण के साथ-साथ हमारे चुंबकीय क्षेत्र के व्यवहार के बारे में उत्तर प्रदान करता है।
-पैलियोमैग्नेटिज्म प्लेट विवर्तनिकी में सिद्धांतों का समर्थन करने के लिए सबूत भी प्रदान करता है, क्योंकि समुद्र तल ज्यादातर बेसाल्ट से बना होता है, एक लौह युक्त पदार्थ जिसमें खनिज होते हैं जो चुंबकीय क्षेत्र के साथ संरेखित होते हैं।
-पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र अतीत में व्युत्क्रम और उलट गया है। चुंबकीय रिकॉर्ड के आधार पर, अंतिम चुंबकीय ध्रुव स्थानांतरण 7, 81, 000 साल पहले हुआ था। बाह्य कोर पर तापमान और संवहन धाराओं में परिवर्तन के कारण पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र के शक्ति में भी कभी कभार उतार-चढ़ाव होता है।
Incorrect
Solution (c)
Basic Info:
चुंबकीय क्षेत्र के इतिहास को रिकॉर्ड करने के लिए चुंबकीय चट्टानों और अवसादों का अध्ययन है। कुछ चट्टानों और पदार्थों में खनिज होते हैं जो चुंबकीय क्षेत्र पर प्रतिक्रिया देते हैं। इसलिए, जब चट्टानें बनती हैं, तो खनिज अपनी स्थिति को बनाए रखते हुए चुंबकीय क्षेत्र के साथ संरेखित हो जाते हैं।
इसके अनुसार, तापमान में परिवर्तन और क्रोड/कोर पर संवहन धाराएं पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में उतार-चढ़ाव को निर्धारित करती हैं।
-पृथ्वी के चुंबकीय अतीत का अधिक विस्तृत रिकॉर्ड महाद्वीपों के निर्माण के साथ-साथ हमारे चुंबकीय क्षेत्र के व्यवहार के बारे में उत्तर प्रदान करता है।
-पैलियोमैग्नेटिज्म प्लेट विवर्तनिकी में सिद्धांतों का समर्थन करने के लिए सबूत भी प्रदान करता है, क्योंकि समुद्र तल ज्यादातर बेसाल्ट से बना होता है, एक लौह युक्त पदार्थ जिसमें खनिज होते हैं जो चुंबकीय क्षेत्र के साथ संरेखित होते हैं।
-पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र अतीत में व्युत्क्रम और उलट गया है। चुंबकीय रिकॉर्ड के आधार पर, अंतिम चुंबकीय ध्रुव स्थानांतरण 7, 81, 000 साल पहले हुआ था। बाह्य कोर पर तापमान और संवहन धाराओं में परिवर्तन के कारण पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र के शक्ति में भी कभी कभार उतार-चढ़ाव होता है।
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Question 4 of 30
4. Question
कार्स्ट स्थलाकृति (Karst Topography) से जुड़े निम्नलिखित भू-आकृतियों पर विचार करें:
- सिंक होल
- डोलिन्स
- युवाला
- लाइमस्टोन पेवमेन्ट
ऊपर दिए गए भू-आकृतियों को उनके गठन के सही क्रम में व्यवस्थित करें:
Correct
Solution (d)
Basic Info:
– घोल रन्ध्र (Sink Holes) – जब कभी कार्बन डाइऑक्साइड युक्त जल चूने के प्रदेश में प्रवेश करता है तो अपनी घुलन शक्ति द्वारा धरातल पर छोटे – छोटे असंख्य छिद्रों का निर्माण करता है जिसे घोल रन्ध्र कहते हैं । ये कीप अथवा बेलनाकार (Funnel – shaped or Cylindrical) होते हैं। भारत में मेघालय के चूना पत्थर के संस्तरों के दक्षिणी छोर पर ये घोल रन्ध्र पाए जाते हैं। इन घोल रन्ध्रों के कारण रेलों तथा सड़कों के निर्माण में बाधा आती है।
– डोलाइन (Doline) – जब विलय रन्ध्र भी घुलन से बड़े हो जाते हैं तो वे डोलाइन कहलाते हैं। यह नाम यूगोस्लाविया के कार्स्ट क्षेत्र पाए जाने वाले खड्ढा के नाम से लिया गया है। ये भूमि के भीतर बेलनाकार तथा भूमि के ऊपर कीप के आकार के होते हैं। ये 8 से 12 मीटर चौड़े तथा 4 से 20 मीटर गहरे होते हैं। यूरोप के पेरेनीज क्षेत्र में भी डोलाइन मिलते हैं।
– सकुण्ड अथवा युवाला (Uvalas) भूमिगत जल की घुलन क्रिया द्वारा अपरदन के फलस्वरूप अनेक डोलाइनों के बीच की दीवारें गिर जाती हैं जिससे ये आपस में मिल जाते हैं। इस प्रकार एक बहुत विशाल गर्त का निर्माण हो जाता है जिसे सकुण्ड या युवाला कहते है। इसका आकार डोलाइन से बड़ा होता है।
– अवकूट (Lapies) – जब चूनायुक्त चट्टानों की रन्ध्रों तथा सन्धियों में कार्बनयुक्त भूमिगत जल प्रवेश करता है तो वह आस – पास की चट्टानों को घोल देता है और उन रन्ध्रों तथा सन्धियों को चौड़ा कर देता है। इस प्रकार सीधी दीवारों कहते हैं। ऐसी आकृति को जर्मन भाषा में वाले गड्ढे बन जाते हैं जिन्हें फ्रांसीसी भाषा में लेपीज कारेन (Karren), अंग्रेज़ी में क्लिण्ट (Clint) तथा हिन्दी में अवकूट कहते हैं।
– लैपी क्षेत्र अंततः कुछ हद तक लाइमस्टोन पेवमेन्ट में बदल सकता है।
Incorrect
Solution (d)
Basic Info:
– घोल रन्ध्र (Sink Holes) – जब कभी कार्बन डाइऑक्साइड युक्त जल चूने के प्रदेश में प्रवेश करता है तो अपनी घुलन शक्ति द्वारा धरातल पर छोटे – छोटे असंख्य छिद्रों का निर्माण करता है जिसे घोल रन्ध्र कहते हैं । ये कीप अथवा बेलनाकार (Funnel – shaped or Cylindrical) होते हैं। भारत में मेघालय के चूना पत्थर के संस्तरों के दक्षिणी छोर पर ये घोल रन्ध्र पाए जाते हैं। इन घोल रन्ध्रों के कारण रेलों तथा सड़कों के निर्माण में बाधा आती है।
– डोलाइन (Doline) – जब विलय रन्ध्र भी घुलन से बड़े हो जाते हैं तो वे डोलाइन कहलाते हैं। यह नाम यूगोस्लाविया के कार्स्ट क्षेत्र पाए जाने वाले खड्ढा के नाम से लिया गया है। ये भूमि के भीतर बेलनाकार तथा भूमि के ऊपर कीप के आकार के होते हैं। ये 8 से 12 मीटर चौड़े तथा 4 से 20 मीटर गहरे होते हैं। यूरोप के पेरेनीज क्षेत्र में भी डोलाइन मिलते हैं।
– सकुण्ड अथवा युवाला (Uvalas) भूमिगत जल की घुलन क्रिया द्वारा अपरदन के फलस्वरूप अनेक डोलाइनों के बीच की दीवारें गिर जाती हैं जिससे ये आपस में मिल जाते हैं। इस प्रकार एक बहुत विशाल गर्त का निर्माण हो जाता है जिसे सकुण्ड या युवाला कहते है। इसका आकार डोलाइन से बड़ा होता है।
– अवकूट (Lapies) – जब चूनायुक्त चट्टानों की रन्ध्रों तथा सन्धियों में कार्बनयुक्त भूमिगत जल प्रवेश करता है तो वह आस – पास की चट्टानों को घोल देता है और उन रन्ध्रों तथा सन्धियों को चौड़ा कर देता है। इस प्रकार सीधी दीवारों कहते हैं। ऐसी आकृति को जर्मन भाषा में वाले गड्ढे बन जाते हैं जिन्हें फ्रांसीसी भाषा में लेपीज कारेन (Karren), अंग्रेज़ी में क्लिण्ट (Clint) तथा हिन्दी में अवकूट कहते हैं।
– लैपी क्षेत्र अंततः कुछ हद तक लाइमस्टोन पेवमेन्ट में बदल सकता है।
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Question 5 of 30
5. Question
“ज्वालामुखी एक अंतर्जात प्रक्रिया है जिसमें पिघली हुई चट्टानों (मैग्मा) का पृथ्वी की सतह पर या उसकी ओर संचलन शामिल है। इस संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः
- मैग्मा के ठंडा होने और जमने की प्रक्रिया पृथ्वी के क्रस्ट में या पृथ्वी की सतह पर हो सकती है।
- पृथ्वी की सतह पर पिघले हुए पदार्थ के अचानक ठंडा होने से छोटे और चिकने कण बन जाते हैं।
- अम्लीय लावा में क्षारीय लावा की तुलना में सिलिका का प्रतिशत कम होता है।
उपरोक्त में से कौन सा कथन सही हैं?
Correct
Solution (b)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 कथन 3 सही सही गलत ज्वालामुखी में पिघली हुई चट्टानों (मैग्मा) की पृथ्वी की सतह पर या उसकी ओर गति और कई अंतर्वेधी और बहिर्वेधी ज्वालामुखी रूपों का निर्माण भी शामिल है। जब मैग्मा ऊपर की ओर गति करते हुए ठंडा होकर ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है, तो इसे आग्नेय चट्टान कहते हैं।
शीतलन और जमने की प्रक्रिया पृथ्वी के क्रस्ट में या पृथ्वी की सतह पर हो सकती है।
आग्नेय चट्टानों को उनकी बनावट के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। बनावट कणों के आकार और व्यवस्था या पदार्थ की अन्य भौतिक स्थितियों पर निर्भर करती है। यदि पिघले हुए पदार्थ को बहुत अधिक गहराई पर धीरे-धीरे ठंडा किया जाता है, तो खनिज कण बहुत बड़े हो सकते हैं।
(सतह पर) अचानक ठंडा होने के परिणामस्वरूप छोटे और चिकने कण होते हैं।
अम्लीय लावा में क्षारीय लावा की तुलना में सिलिका का प्रतिशत अधिक होता है। Incorrect
Solution (b)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 कथन 3 सही सही गलत ज्वालामुखी में पिघली हुई चट्टानों (मैग्मा) की पृथ्वी की सतह पर या उसकी ओर गति और कई अंतर्वेधी और बहिर्वेधी ज्वालामुखी रूपों का निर्माण भी शामिल है। जब मैग्मा ऊपर की ओर गति करते हुए ठंडा होकर ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है, तो इसे आग्नेय चट्टान कहते हैं।
शीतलन और जमने की प्रक्रिया पृथ्वी के क्रस्ट में या पृथ्वी की सतह पर हो सकती है।
आग्नेय चट्टानों को उनकी बनावट के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। बनावट कणों के आकार और व्यवस्था या पदार्थ की अन्य भौतिक स्थितियों पर निर्भर करती है। यदि पिघले हुए पदार्थ को बहुत अधिक गहराई पर धीरे-धीरे ठंडा किया जाता है, तो खनिज कण बहुत बड़े हो सकते हैं।
(सतह पर) अचानक ठंडा होने के परिणामस्वरूप छोटे और चिकने कण होते हैं।
अम्लीय लावा में क्षारीय लावा की तुलना में सिलिका का प्रतिशत अधिक होता है। -
Question 6 of 30
6. Question
वलित पर्वतों (Fold Mountains) के निर्माण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः
- वलित पर्वत (Fold Mountain) बड़े पैमाने पर स्थलमंडलीय संचलनों के कारण होते हैं।
- वलित पर्वत तब बनते हैं जब दो विवर्तनिकी प्लेट एक अपसारी प्लेट सीमा पर टकराते है, जिससे क्रस्ट अधिक मोटा हो जाता है।
निम्नलिखित में से कौन से कथन गलत हैं?
Correct
Solution (b)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 सही गलत वलित पर्वत (Fold Mountain) बड़े पैमाने पर स्थलमंडलीय संचलनों के कारण होते हैं। जब पृथ्वी के क्रस्ट में तनाव स्थापित हो जाता है तो ऐसा तनाव उपरिशायी चट्टानों (overlaying rock) के बढ़ते भार, मेंटल में प्रवाह की गति, क्रस्ट में मैग्मैटिक अंतर्वेधन, या पृथ्वी के कुछ हिस्से के विस्तार या संकुचन के कारण हो सकता है।
वलित पर्वतों का निर्माण होता है जहां पृथ्वी की दो या दो से अधिक टेक्टोनिक प्लेट्स एक दूसरे से टकराती हैं। इन टकरावों से संकुचित सीमाओं, चट्टानों और मलबे को विकृत और मोड़दार चट्टानी बहिर्वाह, पहाड़ों और संपूर्ण पर्वत श्रेणियों में परिवर्तित कर दिया जाता है।
वलित पर्वत तब बनते हैं जब दो विवर्तनिकी प्लेट एक अभिसरण प्लेट सीमा पर टकराते है,जिससे क्रस्ट अधिक मोटा हो जाता है।
यह प्रक्रिया कम सघन क्रस्ट को सघन मेंटल चट्टानों के ऊपर तैरने के लिए मजबूर करती है
पहाड़ियों, पठारों या पहाड़ों को बनाने के लिए ऊपर की ओर मजबूर – जबकि अधिक मात्रा में
सामग्री को मेंटल में नीचे की ओर धकेला जाता है।
Incorrect
Solution (b)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 सही गलत वलित पर्वत (Fold Mountain) बड़े पैमाने पर स्थलमंडलीय संचलनों के कारण होते हैं। जब पृथ्वी के क्रस्ट में तनाव स्थापित हो जाता है तो ऐसा तनाव उपरिशायी चट्टानों (overlaying rock) के बढ़ते भार, मेंटल में प्रवाह की गति, क्रस्ट में मैग्मैटिक अंतर्वेधन, या पृथ्वी के कुछ हिस्से के विस्तार या संकुचन के कारण हो सकता है।
वलित पर्वतों का निर्माण होता है जहां पृथ्वी की दो या दो से अधिक टेक्टोनिक प्लेट्स एक दूसरे से टकराती हैं। इन टकरावों से संकुचित सीमाओं, चट्टानों और मलबे को विकृत और मोड़दार चट्टानी बहिर्वाह, पहाड़ों और संपूर्ण पर्वत श्रेणियों में परिवर्तित कर दिया जाता है।
वलित पर्वत तब बनते हैं जब दो विवर्तनिकी प्लेट एक अभिसरण प्लेट सीमा पर टकराते है,जिससे क्रस्ट अधिक मोटा हो जाता है।
यह प्रक्रिया कम सघन क्रस्ट को सघन मेंटल चट्टानों के ऊपर तैरने के लिए मजबूर करती है
पहाड़ियों, पठारों या पहाड़ों को बनाने के लिए ऊपर की ओर मजबूर – जबकि अधिक मात्रा में
सामग्री को मेंटल में नीचे की ओर धकेला जाता है।
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Question 7 of 30
7. Question
निम्नलिखित में से कौन सी प्रक्रिया पटलविरूपण से सबसे अच्छी तरह जुड़ी हो सकती है?
- अपक्षय, वृहत् क्षरण, अपरदन और निक्षेपण।
- पृथ्वी के आंतरिक भाग में रेडियोधर्मी तत्वों द्वारा उत्पन्न ऊष्मा।
- पृथ्वी की क्रस्ट के तीव्र वलन के माध्यम से पर्वत निर्माण प्रक्रिया।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
Correct
Solution (c)
Basic Info:
पटलविरूपण, जिसे विवर्तनिकी भी कहा जाता है, प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा पृथ्वी के क्रस्ट का एक बड़े पैमाने पर विरूपण है, जो महाद्वीपों और महासागरीय घाटियों, पर्वत प्रणालियों, पठारों, भ्रंश घाटियों और अन्य विशेषताओं जैसे कि लिथोस्फेरिक प्लेट संचलन (यानी प्लेट विवर्तनिकी), ज्वालामुखी आरोहण, या वलन के निर्माण की ओर जाता है।
इसमें शामिल है:
- तीव्र वलन के माध्यम से पर्वत निर्माण और पृथ्वी के क्रस्ट के लंबे और संकीर्ण बेल्ट को प्रभावित करने वाली पर्वतनिर्माणकारी प्रक्रियाएं (Orogenic processes) ।
- महादेशजनक प्रक्रियाएं (Epeirogenic processes) जिसमें पृथ्वी के क्रस्ट के बड़े हिस्से का उत्थान या वलन शामिल है;
स्थानीय अपेक्षाकृत मामूली हलचल वाले भूकंप;
प्लेट विवर्तनिकी जिसमें क्रस्टल प्लेटों की क्षैतिज गति शामिल है।
पृथ्वी के आंतरिक भाग में रेडियोधर्मी तत्वों द्वारा ऊष्मा उत्पन्न करने से मैग्मा और विवर्तनिक गतिविधियों का संचलन होता है।
पटलविरूपण (Diastrophism) एक अंतर्जात भू-आकृति प्रक्रिया है, जबकि अपक्षय, वृहत् क्षरण, अपरदन और निक्षेपण बहिर्जात भू-आकृति प्रक्रियाएं हैं।
Incorrect
Solution (c)
Basic Info:
पटलविरूपण, जिसे विवर्तनिकी भी कहा जाता है, प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा पृथ्वी के क्रस्ट का एक बड़े पैमाने पर विरूपण है, जो महाद्वीपों और महासागरीय घाटियों, पर्वत प्रणालियों, पठारों, भ्रंश घाटियों और अन्य विशेषताओं जैसे कि लिथोस्फेरिक प्लेट संचलन (यानी प्लेट विवर्तनिकी), ज्वालामुखी आरोहण, या वलन के निर्माण की ओर जाता है।
इसमें शामिल है:
- तीव्र वलन के माध्यम से पर्वत निर्माण और पृथ्वी के क्रस्ट के लंबे और संकीर्ण बेल्ट को प्रभावित करने वाली पर्वतनिर्माणकारी प्रक्रियाएं (Orogenic processes) ।
- महादेशजनक प्रक्रियाएं (Epeirogenic processes) जिसमें पृथ्वी के क्रस्ट के बड़े हिस्से का उत्थान या वलन शामिल है;
स्थानीय अपेक्षाकृत मामूली हलचल वाले भूकंप;
प्लेट विवर्तनिकी जिसमें क्रस्टल प्लेटों की क्षैतिज गति शामिल है।
पृथ्वी के आंतरिक भाग में रेडियोधर्मी तत्वों द्वारा ऊष्मा उत्पन्न करने से मैग्मा और विवर्तनिक गतिविधियों का संचलन होता है।
पटलविरूपण (Diastrophism) एक अंतर्जात भू-आकृति प्रक्रिया है, जबकि अपक्षय, वृहत् क्षरण, अपरदन और निक्षेपण बहिर्जात भू-आकृति प्रक्रियाएं हैं।
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Question 8 of 30
8. Question
निम्नलिखित में से किसे अंतर्वेधी स्थलाकृति के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है?
- बैथोलिथ
- लेपोलिथ
- सिल
- डाइक
- फैकोलिथ
नीचे दिए गए कूटों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Correct
Solution (c)
Basic Info:
– ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान ठंडा होने पर जो लावा निकलता है वह आग्नेय चट्टानों में विकसित हो जाता है। शीतलन या तो सतह पर पहुंचने पर या लावा के क्रस्टल भाग में रहने पर भी हो सकता है। क्रस्टल भागों के भीतर ठंडा होने वाला लावा विभिन्न रूप धारण करता है। इन रूपों को अंतर्वेधी के रूप कहा जाता है। वे हैं:
– बैथोलिथ– ये ग्रेनाइट के बने पिंड होते हैं जिनका निर्माण मैग्मा भंडारों के जमाव से होता है। यदि मैग्मा का बड़ा भाग भूपर्पटी में अधिक गहराई पर ठंडा हो जाए तो यह एक गुंबद के आकार में विकसित हो जाता है। कालांतर में अनाच्छादन प्रव्रियाओं द्वारा इनके ऊपर के पदार्थों के हटने से धरातल पर ये प्रकट होते हैं।
– लैकोलिथ– ये गुंबद के आकार की विशाल अंतर्वेधी चट्टानें हैं जो गहराई में पाई जाती हैं। इनका तल सपाट और एक नली द्वारा नीचे से जुड़ा होता है।
– लैपोलिथ, फैकोलिथ, सिलऊपर उठते हुए लावा का कुछ भाग जब क्षैतिज रूप में पाए जाने वाले कमज़ोर धरातल में चला जाता है तो अलग-अलग आकृतियों का निर्माण होता है। यदि यह तश्तरी के आकार में जम जाए तो लैपोलिथ कहलाता है और अगर अंतर्वेधी आग्नेट चट्टानों की मोड़दार अवस्था में लावा का जमाव होता है तो ये फैकोलिथ कहलाती हैं। अंतर्वेधी आग्नेय चट्टानों का क्षैतिज तल में एक चादर के रूप में ठंडा होना सिल या शीट कहलाता है। कम मोटाई वाले जमाव ‘शीट’ एवं घने मोटाई वाले जमाव ‘सिल’ कहलाते हैं।
– डाइक– जब दरारों में धरातल के समकोण पर लावा का प्रवाह होता है और अगर यह इसी स्थिति में ठंडा हो जाए तो दीवार की भाँति एक संरचना का निर्माण होता है। इसे ही डाइक कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर हम देखते हैं कि पश्चिम महाराष्ट्र क्षेत्र की अंतर्वेधी आग्नेय चट्टानों में यह आकृति काफी पाई जाती है।
– सतह पर पहुँचने पर लावा के ठंडा होने से भू-आकृतियों का बनना बहिर्वेधी भू-आकृतियाँ कहलाती हैं। उनमें से कुछ में लावा मेसा, लावा पठार, सिंडर कोन आदि शामिल हैं।
Incorrect
Solution (c)
Basic Info:
– ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान ठंडा होने पर जो लावा निकलता है वह आग्नेय चट्टानों में विकसित हो जाता है। शीतलन या तो सतह पर पहुंचने पर या लावा के क्रस्टल भाग में रहने पर भी हो सकता है। क्रस्टल भागों के भीतर ठंडा होने वाला लावा विभिन्न रूप धारण करता है। इन रूपों को अंतर्वेधी के रूप कहा जाता है। वे हैं:
– बैथोलिथ– ये ग्रेनाइट के बने पिंड होते हैं जिनका निर्माण मैग्मा भंडारों के जमाव से होता है। यदि मैग्मा का बड़ा भाग भूपर्पटी में अधिक गहराई पर ठंडा हो जाए तो यह एक गुंबद के आकार में विकसित हो जाता है। कालांतर में अनाच्छादन प्रव्रियाओं द्वारा इनके ऊपर के पदार्थों के हटने से धरातल पर ये प्रकट होते हैं।
– लैकोलिथ– ये गुंबद के आकार की विशाल अंतर्वेधी चट्टानें हैं जो गहराई में पाई जाती हैं। इनका तल सपाट और एक नली द्वारा नीचे से जुड़ा होता है।
– लैपोलिथ, फैकोलिथ, सिलऊपर उठते हुए लावा का कुछ भाग जब क्षैतिज रूप में पाए जाने वाले कमज़ोर धरातल में चला जाता है तो अलग-अलग आकृतियों का निर्माण होता है। यदि यह तश्तरी के आकार में जम जाए तो लैपोलिथ कहलाता है और अगर अंतर्वेधी आग्नेट चट्टानों की मोड़दार अवस्था में लावा का जमाव होता है तो ये फैकोलिथ कहलाती हैं। अंतर्वेधी आग्नेय चट्टानों का क्षैतिज तल में एक चादर के रूप में ठंडा होना सिल या शीट कहलाता है। कम मोटाई वाले जमाव ‘शीट’ एवं घने मोटाई वाले जमाव ‘सिल’ कहलाते हैं।
– डाइक– जब दरारों में धरातल के समकोण पर लावा का प्रवाह होता है और अगर यह इसी स्थिति में ठंडा हो जाए तो दीवार की भाँति एक संरचना का निर्माण होता है। इसे ही डाइक कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर हम देखते हैं कि पश्चिम महाराष्ट्र क्षेत्र की अंतर्वेधी आग्नेय चट्टानों में यह आकृति काफी पाई जाती है।
– सतह पर पहुँचने पर लावा के ठंडा होने से भू-आकृतियों का बनना बहिर्वेधी भू-आकृतियाँ कहलाती हैं। उनमें से कुछ में लावा मेसा, लावा पठार, सिंडर कोन आदि शामिल हैं।
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Question 9 of 30
9. Question
समस्थिति (lsostasy) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन है:
- यह घूर्णन करती पृथ्वी पर पृथ्वी के क्रस्ट और कोर के बीच यांत्रिक स्थिरता है।
- यह उत्प्लावन बल और गुरुत्वाकर्षण बल के बीच संतुलन की स्थिति बनाए रखता है।
निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
Correct
Solution (b)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 गलत सही समस्थिति (lsostasy) शब्द का प्रयोग सबसे पहले अमेरिकी भूविज्ञानी डटन (Dutton) ने किया था। समस्थिति (lsostasy) का शाब्दिक अर्थ “संतुलन का चरण” है। यह पृथ्वी के क्रस्ट (मैदानों, पठारों, पर्वतों, आदि जैसे ऊपरी हिस्से और समुद्र तल जैसे निचली हिस्से) और घूर्णन करती पृथ्वी पर मेंटल के बीच यांत्रिक स्थिरता है।
यह उत्प्लावन बल और गुरुत्वाकर्षण बल के बीच संतुलन की स्थिति बनाए रखता है। उत्प्लावन बल क्रस्ट को ऊपर की ओर खींचता है और गुरुत्वाकर्षण बल क्रस्ट को नीचे की ओर धकेलता है।
Incorrect
Solution (b)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 गलत सही समस्थिति (lsostasy) शब्द का प्रयोग सबसे पहले अमेरिकी भूविज्ञानी डटन (Dutton) ने किया था। समस्थिति (lsostasy) का शाब्दिक अर्थ “संतुलन का चरण” है। यह पृथ्वी के क्रस्ट (मैदानों, पठारों, पर्वतों, आदि जैसे ऊपरी हिस्से और समुद्र तल जैसे निचली हिस्से) और घूर्णन करती पृथ्वी पर मेंटल के बीच यांत्रिक स्थिरता है।
यह उत्प्लावन बल और गुरुत्वाकर्षण बल के बीच संतुलन की स्थिति बनाए रखता है। उत्प्लावन बल क्रस्ट को ऊपर की ओर खींचता है और गुरुत्वाकर्षण बल क्रस्ट को नीचे की ओर धकेलता है।
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Question 10 of 30
10. Question
विभिन्न प्रकार के मैदानों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- निक्षेपात्मक मैदान तुलनात्मक रूप से समतल होते हैं लेकिन निकटवर्ती उच्चभूमि की ओर धीरे-धीरे बढ़ते हैं।
- संरचनात्मक मैदानों का निर्माण क्षैतिज संस्तरित शैलों से होता है, जो पृथ्वी की भूपर्पटी गतियों से अपेक्षाकृत अप्रभावित रहते हैं।
- अपरदन, बारिश, नदियों, बर्फ और पवनों के वाहकों द्वारा अपरदित मैदानों को निर्मित किया गया है।
निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही हैं?
Correct
Solution (c)
मैदान निम्नभूमि का क्षेत्र है, या तो समतल या लहरदार। यह शायद ही कभी समुद्र तल से कुछ सौ फीट से अधिक ऊपर उठता है ,समुद्र तल से नीचली पहाड़ियाँ हो सकती हैं।
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 कथन 3 सही सही सही परिवहन के विभिन्न वाहकों द्वारा लाई गई सामग्रियों के जमाव से निक्षेपात्मक मैदान बनते हैं वे तुलनात्मक रूप से समतल होते हैं लेकिन निकटवर्ती उच्चभूमि की ओर धीरे से उठते हैं।
उनकी उर्वरता और आर्थिक विकास बहुत हद तक उनके द्वारा निर्धारित अवसादों के प्रकारों पर निर्भर करता है।
संरचनात्मक मैदान दुनिया के संरचनात्मक रूप से अवसादित क्षेत्र हैं जो पृथ्वी पर कुछ सबसे व्यापक प्राकृतिक निम्नभूमि का निर्माण करते हैं। संरचनात्मक मैदानों का निर्माण क्षैतिज संस्तरित शैलों से होता है, जो पृथ्वी की भूपर्पटी गतियों से अपेक्षाकृत अप्रभावित रहते हैं।
अपरदन, बारिश, नदियों, बर्फ और पवनों के वाहकों द्वारा अपरदित मैदानों को निर्मित किया गया है, जो पृथ्वी की सतह की अनियमितताओं को दूर करने में मदद करते हैं, और लाखों वर्षों के संदर्भ में, यहां तक कि ऊंचे पहाड़ को भी कम लहरदार मैदानों में निम्नीकृत किया जा सकता है। Incorrect
Solution (c)
मैदान निम्नभूमि का क्षेत्र है, या तो समतल या लहरदार। यह शायद ही कभी समुद्र तल से कुछ सौ फीट से अधिक ऊपर उठता है ,समुद्र तल से नीचली पहाड़ियाँ हो सकती हैं।
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 कथन 3 सही सही सही परिवहन के विभिन्न वाहकों द्वारा लाई गई सामग्रियों के जमाव से निक्षेपात्मक मैदान बनते हैं वे तुलनात्मक रूप से समतल होते हैं लेकिन निकटवर्ती उच्चभूमि की ओर धीरे से उठते हैं।
उनकी उर्वरता और आर्थिक विकास बहुत हद तक उनके द्वारा निर्धारित अवसादों के प्रकारों पर निर्भर करता है।
संरचनात्मक मैदान दुनिया के संरचनात्मक रूप से अवसादित क्षेत्र हैं जो पृथ्वी पर कुछ सबसे व्यापक प्राकृतिक निम्नभूमि का निर्माण करते हैं। संरचनात्मक मैदानों का निर्माण क्षैतिज संस्तरित शैलों से होता है, जो पृथ्वी की भूपर्पटी गतियों से अपेक्षाकृत अप्रभावित रहते हैं।
अपरदन, बारिश, नदियों, बर्फ और पवनों के वाहकों द्वारा अपरदित मैदानों को निर्मित किया गया है, जो पृथ्वी की सतह की अनियमितताओं को दूर करने में मदद करते हैं, और लाखों वर्षों के संदर्भ में, यहां तक कि ऊंचे पहाड़ को भी कम लहरदार मैदानों में निम्नीकृत किया जा सकता है। -
Question 11 of 30
11. Question
लघु प्लेटों के स्थान के संबंध में निम्नलिखित युग्मों पर विचार करें:
- फ़ूजी प्लेट: जापान का उत्तर-पूर्व।
- नाज़का प्लेट: उत्तरी अमेरिका और प्रशांत प्लेटों के बीच
- कैरोलीन प्लेट: फिलीपीन और भारतीय प्लेटों के बीच
- कोको प्लेट: मध्य अमेरिका और प्रशांत प्लेटों के बीच
उपरोक्त में से कौन सा युग्म गलत सुमेलित है:
Correct
Solution (a)
महत्वपूर्ण लघु प्लेटें
कोकोस प्लेट: मध्य अमेरिका और प्रशांत प्लेट के बीच
नाज़का प्लेट: दक्षिण अमेरिका और प्रशांत प्लेट के बीच
अरेबियन प्लेट : अधिकतर सऊदी अरब का भूभाग
फिलीपीन प्लेट: एशियाई और प्रशांत प्लेट के बीच
कैरोलीन प्लेट : फिलीपीन और भारतीय प्लेटों के बीच
फ़ूजी प्लेट: ऑस्ट्रेलिया का उत्तर-पूर्व।
Incorrect
Solution (a)
महत्वपूर्ण लघु प्लेटें
कोकोस प्लेट: मध्य अमेरिका और प्रशांत प्लेट के बीच
नाज़का प्लेट: दक्षिण अमेरिका और प्रशांत प्लेट के बीच
अरेबियन प्लेट : अधिकतर सऊदी अरब का भूभाग
फिलीपीन प्लेट: एशियाई और प्रशांत प्लेट के बीच
कैरोलीन प्लेट : फिलीपीन और भारतीय प्लेटों के बीच
फ़ूजी प्लेट: ऑस्ट्रेलिया का उत्तर-पूर्व।
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Question 12 of 30
12. Question
सागर नितल प्रसरण (Sea Floor Spreading) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः
- यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निरंतर ज्वालामुखी विस्फोटों के माध्यम से धीरे-धीरे नए समुद्री क्रस्ट बनते हैं।
- इस प्रक्रिया में शामिल बल संवहन धारा है।
निम्नलिखित में से कौन से कथन सही हैं?
Correct
Solution (c)
Important points:
-यह सिद्धांत हैरी हेस द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
-सागर नितल प्रसरण को संवहनी धारा के रूप में पाया गया जैसा कि आर्थर होम्स द्वारा प्रतिपादित किया गया था।
– हैरी हेस ने अपने सिद्धांत में प्रतिपादित किया कि अधिकांश महासागरों में दरारें मौजूद हैं। इन दरारों के दोनों ओर के भूखंड एक-दूसरे से दूर हट रहे हैं।
– इन दरारों के सहारे ज्वालामुखी उद्गार हो रहा है। भूखंडों का दूसरा सिरा महाद्वीपों के नीचे क्षेपित हो जाता है जो गहराई में उच्च तापमान के कारण पिघल जाता है। यह पिघला हुआ मैग्मा महासागरीय दरारों की ओर प्रवाहित होता है। इस प्रकार एक कन्वेयर बेल्ट का निर्माण होता है। इसी के आधार पर हैरी हेस ने सागरीय अधस्थल विस्तार की परिकल्पना का प्रतिपादन किया।
महासागरीय क्रस्ट की नवीनता मध्य महासागरीय कटक से बढ़ती दूरी के साथ घटती जाती है। अर्थात् कटकों के पास नवीन चट्टानें तो गर्तों के पास पुरानी चट्टानें मिलती हैं।
– चुंबकीय व्युत्क्रमण सिद्धांत के अनुसार, कटक से बढ़ती दूरी के साथ कटक के दोनों ओर की चट्टानों में चुम्बकत्व संबंधी सामयिक व्युत्क्रमणता पाई जाती है।
Incorrect
Solution (c)
Important points:
-यह सिद्धांत हैरी हेस द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
-सागर नितल प्रसरण को संवहनी धारा के रूप में पाया गया जैसा कि आर्थर होम्स द्वारा प्रतिपादित किया गया था।
– हैरी हेस ने अपने सिद्धांत में प्रतिपादित किया कि अधिकांश महासागरों में दरारें मौजूद हैं। इन दरारों के दोनों ओर के भूखंड एक-दूसरे से दूर हट रहे हैं।
– इन दरारों के सहारे ज्वालामुखी उद्गार हो रहा है। भूखंडों का दूसरा सिरा महाद्वीपों के नीचे क्षेपित हो जाता है जो गहराई में उच्च तापमान के कारण पिघल जाता है। यह पिघला हुआ मैग्मा महासागरीय दरारों की ओर प्रवाहित होता है। इस प्रकार एक कन्वेयर बेल्ट का निर्माण होता है। इसी के आधार पर हैरी हेस ने सागरीय अधस्थल विस्तार की परिकल्पना का प्रतिपादन किया।
महासागरीय क्रस्ट की नवीनता मध्य महासागरीय कटक से बढ़ती दूरी के साथ घटती जाती है। अर्थात् कटकों के पास नवीन चट्टानें तो गर्तों के पास पुरानी चट्टानें मिलती हैं।
– चुंबकीय व्युत्क्रमण सिद्धांत के अनुसार, कटक से बढ़ती दूरी के साथ कटक के दोनों ओर की चट्टानों में चुम्बकत्व संबंधी सामयिक व्युत्क्रमणता पाई जाती है।
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Question 13 of 30
13. Question
भूकंपीय तरंगों (Earthquake Waves) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- सभी प्राकृतिक भूकंप दुर्बलतामंडल या एस्थेनोस्फीयर में होते हैं।
- भुगर्भिक तरंगें धरातलीय तरंगों की तुलना में तेज होती हैं और सतह पर सबसे पहले पहुंचती हैं इसलिए वे धरातलीय तरंगों की तुलना में अधिक हानिकारक होती हैं।
- एस-तरंगे के प्रसार से पता चलता है कि पृथ्वी का बाहरी कोर तरल रूप में है।
- पी-तरंगें अनुदैर्ध्य रूप से फैलती हैं जबकि एस-तरंगें अनुप्रस्थ रूप से फैलती हैं।
उपरोक्त में से कौन सा कथन गलत हैं?
Correct
Solution (a)
Basic Info:
सरल शब्दों में भूकंप का अर्थ है- पृथ्वी का कंपन । यह एक प्राकृतिक घटना है। पृथ्वी के अंदर से ऊर्जा के निकलने के कारण तरंग उत्पन्न होती है जो सभी दिशाओं में फैलकर भूकंप लाती है। सभी प्राकृतिक भूकंप लिथोस्फीयर या स्थलमंडल में होते हैं।
भूकंपीय तरंगें:
भूकंप की तरंगों को सीस्मोग्राफ (seismograph) पर रिकॉर्ड किया जाता है। भूकंप तरंगें मूल रूप से दो प्रकार की होती हैं – भुगर्भिक तरंगें और धरातलीय तरंगें।
भुगर्भिक तरंगें फोकस या केंद्र-बिंदु पर उत्पन्न होती हैं और पृथ्वी के निकाय (3-आयामी) के माध्यम से सभी दिशाओं में चलती हैं। वे सतह पर पहुंचने में सबसे तेज हैं।
वे दो प्रकार के होते हैं जो हैं: प्राथमिक तरंगें/पी-तरंगें और द्वितीयक तरंगें/एस तरंगें।
प्राथमिक तरंगें/P तरंगें: P तरंगें अनुदैर्ध्य रूप से चलती हैं यानी ध्वनि तरंगों के समान प्रसार और कंपन एक ही दिशा में होते हैं। वे सभी भूकंप तरंगों में सबसे तेज हैं।
ये तरंगें ठोस, तरल और गैसों के माध्यम से यात्रा करने में सक्षम हैं।
द्वितीयक तरंगें/एस-तरंगें: इन्हें गौण तरंगे ( Secon dary Waves ) अथवा अनुप्रस्थ तरंगें ( Transverse Waves ) भी कहते हैं। इन्हें गौण तरंगे ( Secon dary Waves ) अथवा अनुप्रस्थ तरंगें ( Transverse Waves ) भी कहते हैं । इन तरंगों की संचरण दिशा तथा कणों के दोलन की दिशा एक – दूसरे के समकोण पर होती हैं। इनकी औसत गति 4 कि ० मी ० प्रति सेकण्ड होती है। ये ठोस माध्यम से ही गुजर सकती हैं और तरल माध्यम में लुप्त हो जाती हैं ।
धरातलीय तरंगें तब उत्पन्न होती हैं जब निकाय की तरंगें सतह की चट्टानों के साथ परस्पर क्रिया करती हैं।
जैसे-जैसे वे सतह के साथ आगे बढ़ते हैं और कंपन की दिशा प्रसार के लंबवत होती है, इन तरंगों को सबसे हानिकारक माना जाता है।
Incorrect
Solution (a)
Basic Info:
सरल शब्दों में भूकंप का अर्थ है- पृथ्वी का कंपन । यह एक प्राकृतिक घटना है। पृथ्वी के अंदर से ऊर्जा के निकलने के कारण तरंग उत्पन्न होती है जो सभी दिशाओं में फैलकर भूकंप लाती है। सभी प्राकृतिक भूकंप लिथोस्फीयर या स्थलमंडल में होते हैं।
भूकंपीय तरंगें:
भूकंप की तरंगों को सीस्मोग्राफ (seismograph) पर रिकॉर्ड किया जाता है। भूकंप तरंगें मूल रूप से दो प्रकार की होती हैं – भुगर्भिक तरंगें और धरातलीय तरंगें।
भुगर्भिक तरंगें फोकस या केंद्र-बिंदु पर उत्पन्न होती हैं और पृथ्वी के निकाय (3-आयामी) के माध्यम से सभी दिशाओं में चलती हैं। वे सतह पर पहुंचने में सबसे तेज हैं।
वे दो प्रकार के होते हैं जो हैं: प्राथमिक तरंगें/पी-तरंगें और द्वितीयक तरंगें/एस तरंगें।
प्राथमिक तरंगें/P तरंगें: P तरंगें अनुदैर्ध्य रूप से चलती हैं यानी ध्वनि तरंगों के समान प्रसार और कंपन एक ही दिशा में होते हैं। वे सभी भूकंप तरंगों में सबसे तेज हैं।
ये तरंगें ठोस, तरल और गैसों के माध्यम से यात्रा करने में सक्षम हैं।
द्वितीयक तरंगें/एस-तरंगें: इन्हें गौण तरंगे ( Secon dary Waves ) अथवा अनुप्रस्थ तरंगें ( Transverse Waves ) भी कहते हैं। इन्हें गौण तरंगे ( Secon dary Waves ) अथवा अनुप्रस्थ तरंगें ( Transverse Waves ) भी कहते हैं । इन तरंगों की संचरण दिशा तथा कणों के दोलन की दिशा एक – दूसरे के समकोण पर होती हैं। इनकी औसत गति 4 कि ० मी ० प्रति सेकण्ड होती है। ये ठोस माध्यम से ही गुजर सकती हैं और तरल माध्यम में लुप्त हो जाती हैं ।
धरातलीय तरंगें तब उत्पन्न होती हैं जब निकाय की तरंगें सतह की चट्टानों के साथ परस्पर क्रिया करती हैं।
जैसे-जैसे वे सतह के साथ आगे बढ़ते हैं और कंपन की दिशा प्रसार के लंबवत होती है, इन तरंगों को सबसे हानिकारक माना जाता है।
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Question 14 of 30
14. Question
निम्नलिखित में से कौन सा कथन पृथ्वी के क्रस्ट के संबंध में सही हैं
- महाद्वीपीय क्रस्ट की तुलना में महासागरीय क्रस्ट पतला है।
- मोहोरोविकिक (Moho) असंततता क्रस्ट और मेंटल के बीच की सीमा बनाती है।
- पृथ्वी के क्रस्ट के कमजोर क्षेत्र को दुर्बलतामंडल या एस्थेनोस्फीयर कहा जाता है।
नीचे दिए गए कूटों में से चुनें:
Correct
Solution (a)
Basic Info:
पृथ्वी की पपड़ी: यह पृथ्वी का सबसे बाहरी ठोस भाग है। यह प्रकृति में भंगुर है। क्रस्ट की मोटाई महासागर और महाद्वीपीय क्षेत्रों के अंतर्गत भिन्न होती है। महासागरीय क्रस्ट महाद्वीपीय क्रस्ट की तुलना में पतला है। महासागरीय क्रस्ट की मोटाई 5 किमी है जबकि महाद्वीपीय क्रस्ट की मोटाई लगभग 30 किमी है।
महाद्वीपीय क्रस्ट प्रमुख पर्वत प्रणालियों के क्षेत्रों में मोटा है। यह हिमालयी क्षेत्र में 70 से 100 किमी जितना मोटा है।
क्रस्ट के ऊपरी भाग में ग्रेनाइट चट्टानें हैं और महाद्वीपों का निर्माण करते हैं। इसके मुख्य खनिजों में सिलिका और एल्यूमिना हैं। क्रस्ट के निचले हिस्से में बेसाल्टिक चट्टानें होती हैं जो महासागरीय तल का निर्माण करती हैं, जिसमें मुख्य रूप से सिलिका, लोहा और मैग्नीशियम शामिल हैं।
मोहोरोविकिक (Moho) असंततता क्रस्ट और मेंटल के बीच की सीमा बनाती है।
एस्थेनोस्फीयर पृथ्वी के मेंटल का एक कमजोर क्षेत्र है न कि पृथ्वी के क्रस्ट का। ऐसा माना जाता है,पृथ्वी के मेंटल की ऊपरी परत, लिथोस्फीयर के नीचे, जिसमें सुघट्य प्रवाह और संवहन के लिए अपेक्षाकृत कम प्रतिरोध होता है।
Incorrect
Solution (a)
Basic Info:
पृथ्वी की पपड़ी: यह पृथ्वी का सबसे बाहरी ठोस भाग है। यह प्रकृति में भंगुर है। क्रस्ट की मोटाई महासागर और महाद्वीपीय क्षेत्रों के अंतर्गत भिन्न होती है। महासागरीय क्रस्ट महाद्वीपीय क्रस्ट की तुलना में पतला है। महासागरीय क्रस्ट की मोटाई 5 किमी है जबकि महाद्वीपीय क्रस्ट की मोटाई लगभग 30 किमी है।
महाद्वीपीय क्रस्ट प्रमुख पर्वत प्रणालियों के क्षेत्रों में मोटा है। यह हिमालयी क्षेत्र में 70 से 100 किमी जितना मोटा है।
क्रस्ट के ऊपरी भाग में ग्रेनाइट चट्टानें हैं और महाद्वीपों का निर्माण करते हैं। इसके मुख्य खनिजों में सिलिका और एल्यूमिना हैं। क्रस्ट के निचले हिस्से में बेसाल्टिक चट्टानें होती हैं जो महासागरीय तल का निर्माण करती हैं, जिसमें मुख्य रूप से सिलिका, लोहा और मैग्नीशियम शामिल हैं।
मोहोरोविकिक (Moho) असंततता क्रस्ट और मेंटल के बीच की सीमा बनाती है।
एस्थेनोस्फीयर पृथ्वी के मेंटल का एक कमजोर क्षेत्र है न कि पृथ्वी के क्रस्ट का। ऐसा माना जाता है,पृथ्वी के मेंटल की ऊपरी परत, लिथोस्फीयर के नीचे, जिसमें सुघट्य प्रवाह और संवहन के लिए अपेक्षाकृत कम प्रतिरोध होता है।
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Question 15 of 30
15. Question
कायांतरित या रूपांतरित चट्टान (Metamorphic rocks) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा सही नहीं है?
Correct
Solution (a)
Basic Info:
कायांतरित या रूपांतरित चट्टान (Metamorphic rocks): रूपांतरित शब्द का अर्थ है ‘रूप का परिवर्तन’। ये चट्टानें दाब , आयतन और तापमान (PVT) परिवर्तन की क्रिया के तहत बनती हैं।
आग्नेय चट्टानें पृथ्वी के आंतरिक भाग से मैग्मा और लावा से बनती हैं।
कायांतरण तब होता है जब चट्टानों को विवर्तनिक प्रक्रियाओं द्वारा निचले स्तर तक नीचे की ओर बल दिया जाता है अथवा जब भूपृष्ठ में पिघली हुई मैग्मा भूपर्पटी चट्टानों/शैलों के संपर्क में आता है या नीचे स्थित चट्टानों को ऊपरी भाग की द्रोणियों द्वारा अत्यधिक दबाव दिया जाता है।
जब पर्यावरण में परिवर्तन होता है तो चट्टानों में टूट-फूट व रासायनिक क्रिया होती है जिस कारण से उनका आकार व रूप बदल जाता है और इससे कायांतरित चट्टानों का निर्माण होता है। तापीय कायांतरण के कारण चट्टानों की सामग्री रासायनिक रूप से बदल जाती है और पुनः क्रिस्टलीकृत हो जाती है।
कुछ चट्टानों में कायांतरण की प्रक्रिया में कंकरीट या खनिज परतों या रेखाओं में व्यवस्थित हो जाते हैं। कायांतरित चट्टानों में खनिजों या कंकरीटों की ऐसी व्यवस्था को फोलिएशन या पत्रण या रेखांकन कहा जाता है।
कभी-कभी विभिन्न समूहों के खनिजों या सामग्रियों को हल्के और गहरे रंगों में दिखाई देने वाली पतली से मोटी परतों में व्यवस्थित किया जाता है। कायांतरित चट्टानों में ऐसी संरचना को बैंडिंग (banding) कहा जाता हैं।
ग्नेसोइड, ग्रेनाइट, साइनाइट, स्लेट, सिस्ट, संगमरमर, क्वार्टजाइट आदि कायांतरित चट्टानों के कुछ उदाहरण हैं।
Incorrect
Solution (a)
Basic Info:
कायांतरित या रूपांतरित चट्टान (Metamorphic rocks): रूपांतरित शब्द का अर्थ है ‘रूप का परिवर्तन’। ये चट्टानें दाब , आयतन और तापमान (PVT) परिवर्तन की क्रिया के तहत बनती हैं।
आग्नेय चट्टानें पृथ्वी के आंतरिक भाग से मैग्मा और लावा से बनती हैं।
कायांतरण तब होता है जब चट्टानों को विवर्तनिक प्रक्रियाओं द्वारा निचले स्तर तक नीचे की ओर बल दिया जाता है अथवा जब भूपृष्ठ में पिघली हुई मैग्मा भूपर्पटी चट्टानों/शैलों के संपर्क में आता है या नीचे स्थित चट्टानों को ऊपरी भाग की द्रोणियों द्वारा अत्यधिक दबाव दिया जाता है।
जब पर्यावरण में परिवर्तन होता है तो चट्टानों में टूट-फूट व रासायनिक क्रिया होती है जिस कारण से उनका आकार व रूप बदल जाता है और इससे कायांतरित चट्टानों का निर्माण होता है। तापीय कायांतरण के कारण चट्टानों की सामग्री रासायनिक रूप से बदल जाती है और पुनः क्रिस्टलीकृत हो जाती है।
कुछ चट्टानों में कायांतरण की प्रक्रिया में कंकरीट या खनिज परतों या रेखाओं में व्यवस्थित हो जाते हैं। कायांतरित चट्टानों में खनिजों या कंकरीटों की ऐसी व्यवस्था को फोलिएशन या पत्रण या रेखांकन कहा जाता है।
कभी-कभी विभिन्न समूहों के खनिजों या सामग्रियों को हल्के और गहरे रंगों में दिखाई देने वाली पतली से मोटी परतों में व्यवस्थित किया जाता है। कायांतरित चट्टानों में ऐसी संरचना को बैंडिंग (banding) कहा जाता हैं।
ग्नेसोइड, ग्रेनाइट, साइनाइट, स्लेट, सिस्ट, संगमरमर, क्वार्टजाइट आदि कायांतरित चट्टानों के कुछ उदाहरण हैं।
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Question 16 of 30
16. Question
झीलों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व की सबसे बड़ी झील सुपीरियर झील है।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी मीठे पानी की झील बैकाल झील है।
निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही हैं?
Correct
Solution (d)
Basic Info:
- एक झील (लैटिन लैकस से) भूमि के भीतर जल का एक बड़ा हिस्सा (तालाब से बड़ा और गहरा) है।
- जैसे झील समुद्र से अलग हो जाती है, वैसे ही वह समुद्र नहीं होती है।
- कुछ झीलें बहुत बड़ी हैं, और अतीत में लोग उन्हें कभी-कभी समुद्र कहते थे।
- झीलें नदियों की तरह नहीं बहती हैं, लेकिन कई में नदियाँ बहती हैं और उनमें से निकलती हैं।
- पृथ्वी की सतह पर अधिकांश झीलें ताजे पानी की हैं और अधिकांश उत्तरी गोलार्ध में हैं।
- क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी झील कैस्पियन सागर है, जिसका क्षेत्रफल 394,299 वर्ग किमी है।
- क्षेत्र के हिसाब से सबसे बड़ी मीठे पानी की झील सुपीरियर झील (82,414 वर्ग किमी) है, जो ग्रेट लेक्स का हिस्सा है।
Incorrect
Solution (d)
Basic Info:
- एक झील (लैटिन लैकस से) भूमि के भीतर जल का एक बड़ा हिस्सा (तालाब से बड़ा और गहरा) है।
- जैसे झील समुद्र से अलग हो जाती है, वैसे ही वह समुद्र नहीं होती है।
- कुछ झीलें बहुत बड़ी हैं, और अतीत में लोग उन्हें कभी-कभी समुद्र कहते थे।
- झीलें नदियों की तरह नहीं बहती हैं, लेकिन कई में नदियाँ बहती हैं और उनमें से निकलती हैं।
- पृथ्वी की सतह पर अधिकांश झीलें ताजे पानी की हैं और अधिकांश उत्तरी गोलार्ध में हैं।
- क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी झील कैस्पियन सागर है, जिसका क्षेत्रफल 394,299 वर्ग किमी है।
- क्षेत्र के हिसाब से सबसे बड़ी मीठे पानी की झील सुपीरियर झील (82,414 वर्ग किमी) है, जो ग्रेट लेक्स का हिस्सा है।
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Question 17 of 30
17. Question
अंतर्जात प्रक्रियाओं के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- यह ऊर्जा पृथ्वी की उत्पत्ति से रेडियोधर्मिता और मौलिक ऊष्मा द्वारा उत्पन्न होती है।
- पृथ्वी के भीतर से निकलने वाली ऊर्जा अंतर्जातीय भौगोलिक प्रक्रियाओं के पीछे प्रमुख शक्ति है।
निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही हैं?
Correct
Solution (c)
Basic Info:
अंतर्जात प्रक्रियाएं: पृथ्वी के भीतर से निकलने वाली ऊर्जा अंतर्जातीय भौगोलिक प्रक्रियाओं के पीछे प्रमुख शक्ति है।
यह ऊर्जा ज्यादातर रेडियोधर्मिता, घूर्णन और ज्वारीय घर्षण और पृथ्वी की उत्पत्ति से मौलिक ऊष्मा से उत्पन्न होती है।
भूतापीय प्रवणता और भीतर से ऊष्मा प्रवाह के कारण यह ऊर्जा स्थलमंडल में पटलविरूपण और ज्वालामुखी को प्रेरित करती है।
भू-तापीय प्रवणता में भिन्नता और भीतर से ऊष्मा के प्रवाह, क्रस्ट की मोटाई और शक्ति के कारण, अंतर्जात बलों की क्रिया एक समान नहीं होती है और इसलिए विवर्तनिकी रूप से नियंत्रित वास्तविक भूपर्पटी सतह असमान होती है।
Incorrect
Solution (c)
Basic Info:
अंतर्जात प्रक्रियाएं: पृथ्वी के भीतर से निकलने वाली ऊर्जा अंतर्जातीय भौगोलिक प्रक्रियाओं के पीछे प्रमुख शक्ति है।
यह ऊर्जा ज्यादातर रेडियोधर्मिता, घूर्णन और ज्वारीय घर्षण और पृथ्वी की उत्पत्ति से मौलिक ऊष्मा से उत्पन्न होती है।
भूतापीय प्रवणता और भीतर से ऊष्मा प्रवाह के कारण यह ऊर्जा स्थलमंडल में पटलविरूपण और ज्वालामुखी को प्रेरित करती है।
भू-तापीय प्रवणता में भिन्नता और भीतर से ऊष्मा के प्रवाह, क्रस्ट की मोटाई और शक्ति के कारण, अंतर्जात बलों की क्रिया एक समान नहीं होती है और इसलिए विवर्तनिकी रूप से नियंत्रित वास्तविक भूपर्पटी सतह असमान होती है।
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Question 18 of 30
18. Question
नदी संबंधी अपरदनात्मक स्थालाकृति (Fluvial Erosional landforms) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है/हैं?
- पोथहोल (Potholes) आमतौर पर मोटे कणों वाली चट्टानों जैसे कि बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट में बनते हैं।
- नदी चक्र अपरदन के युवा चरण के दौरान पोथहोल (Potholes) ड्रिलिंग के तंत्र के माध्यम से घाटियों के सक्रिय तल कटाव के कारण गार्ज का निर्माण होता है।
- जलप्रपात चट्टानों के सापेक्ष प्रतिरोध में भिन्नता के कारण बनते हैं।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
Correct
Solution (c)
Basic Info:
इरोशनल लैंडफॉर्म या अपरदनात्मक भू-आकृतियाँ:
– जल गर्तिका (Pot Hole) नदी की तलहटी में जब कभी कोई कोमल चट्टान आती है तो उसका अपरदन हो जाता है और वहाँ पर एक छोटा – सा गर्त बन जाता है। नदी का जल इस गर्त में भँवर के रूप में घूमने लगता है और एक प्रकार का छेदक का कार्य करता है। इस प्रकार नदी के जल में उपस्थित तलछट इस गर्त की दीवारों तथा तल का अपरदन करते रहते हैं और यह गर्त गहरा तथा चौड़ा हो जाता है। नदी की तलहटी पर जल द्वारा बने इस गर्त को जल गर्तिका कहते हैं।
जल – प्रपात (Waterfall) जब नदी का जल अचानक ऊँचाई से नीचे गिरता है तो वह जल – प्रपात बनाता है। नदी के मार्ग में अनेक कोमल तथा कठोर चट्टानें आती हैं। कोमल चट्टानें शीघ्र कट जाती हैं और उस स्थान पर नदी की तलहटी नीची हो जाती है। इस प्रकार नदी का जल तीव्र गति से नीचे की ओर गिरने लगता है और जल – प्रपात का निर्माण होता है। ये निम्नलिखित अवस्थाओं में बनते हैं : (क) जब कठोर शैल तथा कोमल शैल क्षैतिज दिशा में स्थित हों तो कोमल शैल शीघ्र घिस जाते हैं और कठोर शैल का अपरदन कम होता है। इससे दोनों शैलों के तल में अन्तर आ जाता है और जल – प्रपात का निर्माण हो जाता है। ऊँचाई से गिरते हुए जल से जल की अपरदन क्रिया के कारण प्रपात के आधार पर एक गर्त बन जाता है जिसे जल – कुण्ड (Plung Pool) कहते हैं।
– महाखड्ड अथवा गॉर्ज (Gorge) – उच्च पर्वतीय प्रदेशों में जब नदी कठोर चट्टानों पर प्रवाहित होती है तो इसका अधिकांश कार्य लम्बवत् अपरदन (Down Cutting) का होता है और पाश्विक अपरदन (Side Cutting) का कार्य बहुत ही निकम होता है। इस प्रकार किनारे पर कठोर चट्टानें पूर्ववत् खड़ी Suge रहती हैं और एक गहरी घाटी का निर्माण होता है जिसे गॉर्ज कहते हैं। भारत में सतलुज, सिन्धु, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, गण्डक, कोसी आदि नदियों ने अपने पर्वतीय भागों में गॉर्ज बना रखे हैं।
Incorrect
Solution (c)
Basic Info:
इरोशनल लैंडफॉर्म या अपरदनात्मक भू-आकृतियाँ:
– जल गर्तिका (Pot Hole) नदी की तलहटी में जब कभी कोई कोमल चट्टान आती है तो उसका अपरदन हो जाता है और वहाँ पर एक छोटा – सा गर्त बन जाता है। नदी का जल इस गर्त में भँवर के रूप में घूमने लगता है और एक प्रकार का छेदक का कार्य करता है। इस प्रकार नदी के जल में उपस्थित तलछट इस गर्त की दीवारों तथा तल का अपरदन करते रहते हैं और यह गर्त गहरा तथा चौड़ा हो जाता है। नदी की तलहटी पर जल द्वारा बने इस गर्त को जल गर्तिका कहते हैं।
जल – प्रपात (Waterfall) जब नदी का जल अचानक ऊँचाई से नीचे गिरता है तो वह जल – प्रपात बनाता है। नदी के मार्ग में अनेक कोमल तथा कठोर चट्टानें आती हैं। कोमल चट्टानें शीघ्र कट जाती हैं और उस स्थान पर नदी की तलहटी नीची हो जाती है। इस प्रकार नदी का जल तीव्र गति से नीचे की ओर गिरने लगता है और जल – प्रपात का निर्माण होता है। ये निम्नलिखित अवस्थाओं में बनते हैं : (क) जब कठोर शैल तथा कोमल शैल क्षैतिज दिशा में स्थित हों तो कोमल शैल शीघ्र घिस जाते हैं और कठोर शैल का अपरदन कम होता है। इससे दोनों शैलों के तल में अन्तर आ जाता है और जल – प्रपात का निर्माण हो जाता है। ऊँचाई से गिरते हुए जल से जल की अपरदन क्रिया के कारण प्रपात के आधार पर एक गर्त बन जाता है जिसे जल – कुण्ड (Plung Pool) कहते हैं।
– महाखड्ड अथवा गॉर्ज (Gorge) – उच्च पर्वतीय प्रदेशों में जब नदी कठोर चट्टानों पर प्रवाहित होती है तो इसका अधिकांश कार्य लम्बवत् अपरदन (Down Cutting) का होता है और पाश्विक अपरदन (Side Cutting) का कार्य बहुत ही निकम होता है। इस प्रकार किनारे पर कठोर चट्टानें पूर्ववत् खड़ी Suge रहती हैं और एक गहरी घाटी का निर्माण होता है जिसे गॉर्ज कहते हैं। भारत में सतलुज, सिन्धु, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, गण्डक, कोसी आदि नदियों ने अपने पर्वतीय भागों में गॉर्ज बना रखे हैं।
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Question 19 of 30
19. Question
“प्लेट विवर्तनिकी” (Plate Tectonics) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- यदि दो टेक्टोनिक प्लेट आपस में टकराती हैं, तो वे एक अभिसरण प्लेट सीमा बनाती हैं।
- मध्य-महासागरीय कटक अभिसरण प्लेट सीमाओं के साथ पाए जाते हैं।
- पूर्वी अफ्रीकी रिफ्टवैली/दरार घाटी अफ्रीकी और सोमाली प्लेटों के अपसरण के कारण बनने वाली सबसे महत्वपूर्ण भूआकृतिकीय विशेषता है।
निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही हैं?
Correct
Solution (d)
Basic Info:
प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत:
– प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonics) – सागरीय तल विस्तार की परिकल्पना के बाद प्लेट विवर्तनिकी के आधार पर महाद्वीपों तथा महासागरों के वितरण को एक नई दिशा मिली । प्लेट विवर्तनिकी की अवधारणा को सन् 1967 में मैक्केन्ज़ी (Mckenzie), पारकर तथा डब्लू . जे . मोरगन (W.J. Morgan) आदि विद्वानों ने स्वतंत्र रूप से उपलब्ध विचारों के आधार पर प्रस्तुत किया। पृथ्वी का बाह्य भाग दृढ़ खण्डों का बना है। इन दृढ़ खण्डों को प्लेट कहते हैं। पृथ्वी का स्थलमण्डल कई प्लेटों में बँटा हुआ है। स्थलमंडल में पर्पटी तथा ऊपरी मैंटल को सम्मिलित किया जाता है। इसकी मोटाई महासागरों में 5 से 100 किमी तथा महाद्वीपीय भागों में लगभग 200 किमी होती है। किसी भी प्लेट की पर्पटी महाद्वीपीय महासागरीय अथवा दोनों ही प्रकार की हो सकती है। सभी प्लेटे स्वतन्त्र रूप में पृथ्वी के दुर्बलतामण्डल (Asthenosphere) पर भिन्न – भिन्न दिशाओं में भ्रमण करती हैं। इनके भ्रमण के लिए ऊर्जा, पृथ्वी के आन्तरिक भागों में ऊष्मा की भिन्नता के कारण उत्पन्न होने वाली संवहन धाराओं से प्राप्त होती है। प्लेटों की सीमाएँ – प्लेटों में तीन प्रकार की गति होती है। जिसके परिणामस्वरूप तीन प्रकार की प्लेट सीमाएँ बनती हैं।
अपसारी सीमाएँ (Divergent Boundaries) – जब दो प्लेटें एक – दूसरे से दूर जाती हैं तो इन्हें अपसारी (Diverging) प्लेटें कहते हैं। ये प्लेटें अपसारी सीमाओं का निर्माण करती हैं। विश्व के अधिकांश अपसारी किनारे महासागरीय मध्य कटकों (Mid – Ocean Ridges) के साथ – साथ हैं। वह स्थल जहाँ से प्लेटें एक – दूसरे से दूर हटती हैं, प्रसारी स्थान (Spreading Site) कहलाता है। इन किनारों के साथ – साथ पृथ्वी के भीतरी भाग से लावा निरन्तर ऊपर को उठता रहता है। अपसारी सीमा का सबसे उत्तम उदाहरण मध्य – अटलांटिक कटक है , जहाँ पर अमेरिकी प्लेटें, यूरेशियन तथा अफ्रीकी प्लेटों से अलग हो रही हैं।
अभिसरण सीमाएँ (Convergent Boundaries ) कुछ प्लेटें एक – दूसरे के निकट आती हैं और आपस में टकराती हैं। ऐसी प्लेटों को अभिसरण प्लेट (Converging Plates) कहते हैं। इन दो प्लेटों के बीच वाले किनारे को अभिसरण किनारा कहते हैं। जब एक महासागरीय प्लेट किसी महाद्वीपीय प्लेट से टकराती है तो महासागरीय प्लेट भारी होने के कारण महाद्वीपीय हल्की प्लेट के नीचे धँस जाती है। अधिक गहराई पर जाने से इसका कुछ भाग पिघल जाता है और यह मैंटल में विलीन हो जाती है। इसे प्रविष्ठन कहते हैं। ऊपर की चट्टानों के दबाव के कारण भी ऊष्मा पैदा होती है जिससे धँसी हुई प्लेटें पिघल जाती हैं। पिघला हुआ मैग्मा महाद्वीपीय किनारे के निकट ऊपर को उठता है जिससे ज्वालामुखी पर्वतों का निर्माण होता है। दूसरे विकल्प के रूप में एक खाई बन जाती है। पेरू की खाई नाजका (Nazca) महासागरीय प्लेट तथा दक्षिणी अमेरिकी महाद्वीपीय प्लेट के टकराव का परिणाम है।
जब दो प्लेटें एक – दूसरे के निकट आती हैं और कोई भी प्लेट नीचे नहीं धँसती तो उनके बीच स्थित अवसाद में वलन की प्रक्रिया शुरू होती है और बलन पर्वतों का निर्माण होता है । हिमालय तथा आलस जैसे बलन पर्वतों का निर्माण इसी प्रकार है।
रूपान्तर सीमाएँ (Transform Boundaries) जब दो प्लेट एक – दूसरे के पास से ट्रांसफॉर्म भ्रंश (Transform Fault) के साथ क्षैतिज दिशा में आगे बढ़ती है रूपान्तर सीमा बनती है। जिस सीमा के साथ – साथ ये आगे बढ़ती हैं तो उसे ट्रांसफॉर्म सीमा (Transform Boundary) कहते हैं। इन सीमाओं पर बहुत से भूकम्प आते केलीफोर्निया का सान एंड्रियास मंश स्पांतर सीमा को अच्छा उदाहरण है।
Incorrect
Solution (d)
Basic Info:
प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत:
– प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonics) – सागरीय तल विस्तार की परिकल्पना के बाद प्लेट विवर्तनिकी के आधार पर महाद्वीपों तथा महासागरों के वितरण को एक नई दिशा मिली । प्लेट विवर्तनिकी की अवधारणा को सन् 1967 में मैक्केन्ज़ी (Mckenzie), पारकर तथा डब्लू . जे . मोरगन (W.J. Morgan) आदि विद्वानों ने स्वतंत्र रूप से उपलब्ध विचारों के आधार पर प्रस्तुत किया। पृथ्वी का बाह्य भाग दृढ़ खण्डों का बना है। इन दृढ़ खण्डों को प्लेट कहते हैं। पृथ्वी का स्थलमण्डल कई प्लेटों में बँटा हुआ है। स्थलमंडल में पर्पटी तथा ऊपरी मैंटल को सम्मिलित किया जाता है। इसकी मोटाई महासागरों में 5 से 100 किमी तथा महाद्वीपीय भागों में लगभग 200 किमी होती है। किसी भी प्लेट की पर्पटी महाद्वीपीय महासागरीय अथवा दोनों ही प्रकार की हो सकती है। सभी प्लेटे स्वतन्त्र रूप में पृथ्वी के दुर्बलतामण्डल (Asthenosphere) पर भिन्न – भिन्न दिशाओं में भ्रमण करती हैं। इनके भ्रमण के लिए ऊर्जा, पृथ्वी के आन्तरिक भागों में ऊष्मा की भिन्नता के कारण उत्पन्न होने वाली संवहन धाराओं से प्राप्त होती है। प्लेटों की सीमाएँ – प्लेटों में तीन प्रकार की गति होती है। जिसके परिणामस्वरूप तीन प्रकार की प्लेट सीमाएँ बनती हैं।
अपसारी सीमाएँ (Divergent Boundaries) – जब दो प्लेटें एक – दूसरे से दूर जाती हैं तो इन्हें अपसारी (Diverging) प्लेटें कहते हैं। ये प्लेटें अपसारी सीमाओं का निर्माण करती हैं। विश्व के अधिकांश अपसारी किनारे महासागरीय मध्य कटकों (Mid – Ocean Ridges) के साथ – साथ हैं। वह स्थल जहाँ से प्लेटें एक – दूसरे से दूर हटती हैं, प्रसारी स्थान (Spreading Site) कहलाता है। इन किनारों के साथ – साथ पृथ्वी के भीतरी भाग से लावा निरन्तर ऊपर को उठता रहता है। अपसारी सीमा का सबसे उत्तम उदाहरण मध्य – अटलांटिक कटक है , जहाँ पर अमेरिकी प्लेटें, यूरेशियन तथा अफ्रीकी प्लेटों से अलग हो रही हैं।
अभिसरण सीमाएँ (Convergent Boundaries ) कुछ प्लेटें एक – दूसरे के निकट आती हैं और आपस में टकराती हैं। ऐसी प्लेटों को अभिसरण प्लेट (Converging Plates) कहते हैं। इन दो प्लेटों के बीच वाले किनारे को अभिसरण किनारा कहते हैं। जब एक महासागरीय प्लेट किसी महाद्वीपीय प्लेट से टकराती है तो महासागरीय प्लेट भारी होने के कारण महाद्वीपीय हल्की प्लेट के नीचे धँस जाती है। अधिक गहराई पर जाने से इसका कुछ भाग पिघल जाता है और यह मैंटल में विलीन हो जाती है। इसे प्रविष्ठन कहते हैं। ऊपर की चट्टानों के दबाव के कारण भी ऊष्मा पैदा होती है जिससे धँसी हुई प्लेटें पिघल जाती हैं। पिघला हुआ मैग्मा महाद्वीपीय किनारे के निकट ऊपर को उठता है जिससे ज्वालामुखी पर्वतों का निर्माण होता है। दूसरे विकल्प के रूप में एक खाई बन जाती है। पेरू की खाई नाजका (Nazca) महासागरीय प्लेट तथा दक्षिणी अमेरिकी महाद्वीपीय प्लेट के टकराव का परिणाम है।
जब दो प्लेटें एक – दूसरे के निकट आती हैं और कोई भी प्लेट नीचे नहीं धँसती तो उनके बीच स्थित अवसाद में वलन की प्रक्रिया शुरू होती है और बलन पर्वतों का निर्माण होता है । हिमालय तथा आलस जैसे बलन पर्वतों का निर्माण इसी प्रकार है।
रूपान्तर सीमाएँ (Transform Boundaries) जब दो प्लेट एक – दूसरे के पास से ट्रांसफॉर्म भ्रंश (Transform Fault) के साथ क्षैतिज दिशा में आगे बढ़ती है रूपान्तर सीमा बनती है। जिस सीमा के साथ – साथ ये आगे बढ़ती हैं तो उसे ट्रांसफॉर्म सीमा (Transform Boundary) कहते हैं। इन सीमाओं पर बहुत से भूकम्प आते केलीफोर्निया का सान एंड्रियास मंश स्पांतर सीमा को अच्छा उदाहरण है।
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Question 20 of 30
20. Question
निम्नलिखित में से कौन सुनामी का कारण है/हैं?
- अतिरिक्त स्थलीय टकराव (क्षुद्रग्रह, उल्का)
- ज्वालामुखी का विस्फोट
- भूस्खलन
- भूकंप
नीचे दिए गए कूटों में से चुनें:
Correct
Solution (d)
सभी सूनामी के कारण हैं
बुनियादी जानकारी:
सुनामी आमतौर पर समुद्र या महासागर की सतहों पर देखी जाने वाली बड़ी लहरों की एक श्रृंखला है जो जीवन और संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा सकती है। यह जल का अचानक विस्थापन है जो किसी भी जलनिकाय में हो सकता है यदि अंतर्निहित कारण वहां मौजूद हों।
कारण:
भूकंप: पृथ्वी की सतह विवर्तनिकी प्लेटों से बनी होती है और जब ये प्लेटें किसी भी विवर्तनिकी गतिविधि (विस्तार, क्षेपण और रूपांतरण) से गुजरती हैं, तो वे सुनामी का कारण बन सकती हैं। हालांकि, सभी भूकंप सुनामी का कारण नहीं बनते हैं।
ज्वालामुखी विस्फोट: ज्वालामुखी विस्फोट आवेगी गड़बड़ी का कारण बनते हैं और इस प्रकार व्यापक सुनामी उत्पन्न करने वाले पानी की एक बड़ी मात्रा को विस्थापित कर सकते हैं।
भूस्खलन: तटों के किनारे होने वाली भूस्खलन बड़ी मात्रा में जल को समुद्र में ले जा सकती है जिससे जल में अशांति पैदा हो सकती है जिसके परिणामस्वरूप सुनामी उत्पन्न हो सकती है।
अतिरिक्त-स्थलीय घटनाएं: हाल के इतिहास में अतिरिक्त-स्थलीय टकरावों के कारण होने वाली सुनामी घटित नहीं हुई है, लेकिन यह माना जाता है कि यदि क्षुद्रग्रह या उल्का जैसे आकाशीय पिंड समुद्र से टकराते हैं, तो सुनामी के कारण बड़ी मात्रा में जल विस्थापित हो जाएगा।
Incorrect
Solution (d)
सभी सूनामी के कारण हैं
बुनियादी जानकारी:
सुनामी आमतौर पर समुद्र या महासागर की सतहों पर देखी जाने वाली बड़ी लहरों की एक श्रृंखला है जो जीवन और संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा सकती है। यह जल का अचानक विस्थापन है जो किसी भी जलनिकाय में हो सकता है यदि अंतर्निहित कारण वहां मौजूद हों।
कारण:
भूकंप: पृथ्वी की सतह विवर्तनिकी प्लेटों से बनी होती है और जब ये प्लेटें किसी भी विवर्तनिकी गतिविधि (विस्तार, क्षेपण और रूपांतरण) से गुजरती हैं, तो वे सुनामी का कारण बन सकती हैं। हालांकि, सभी भूकंप सुनामी का कारण नहीं बनते हैं।
ज्वालामुखी विस्फोट: ज्वालामुखी विस्फोट आवेगी गड़बड़ी का कारण बनते हैं और इस प्रकार व्यापक सुनामी उत्पन्न करने वाले पानी की एक बड़ी मात्रा को विस्थापित कर सकते हैं।
भूस्खलन: तटों के किनारे होने वाली भूस्खलन बड़ी मात्रा में जल को समुद्र में ले जा सकती है जिससे जल में अशांति पैदा हो सकती है जिसके परिणामस्वरूप सुनामी उत्पन्न हो सकती है।
अतिरिक्त-स्थलीय घटनाएं: हाल के इतिहास में अतिरिक्त-स्थलीय टकरावों के कारण होने वाली सुनामी घटित नहीं हुई है, लेकिन यह माना जाता है कि यदि क्षुद्रग्रह या उल्का जैसे आकाशीय पिंड समुद्र से टकराते हैं, तो सुनामी के कारण बड़ी मात्रा में जल विस्थापित हो जाएगा।
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Question 21 of 30
21. Question
‘जन योजना अभियान’ (People’s Plan Campaign) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें
- यह ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) की तैयारी सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावी रणनीति है।
- यह नागरिक समाज संगठनों, निजी क्षेत्र और सरकार द्वारा समन्वित है।
सही कथन चुनें
Correct
Solution (a)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 सही गलत जन योजना अभियान (PPC) अभियान मोड में जीपीडीपी की तैयारी सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावी रणनीति है। अभियान के दौरान आगामी वित्तीय वर्ष 2022-2023 के लिए पंचायत विकास योजना तैयार करने के लिए संरचित ग्राम सभा (structured Gram Sabha) की बैठकें आयोजित की जाएंगी। जन योजना अभियान (PPC) राज्य स्तर पर पंचायती राज विभाग (DoPR) द्वारा समन्वित है। इसमें नागरिक समाज संगठन और निजी क्षेत्र शामिल नहीं हैं। प्रसंग- पंचायती राज मंत्रालय द्वारा हाल ही में जन योजना अभियान (PPC) शुरू किया गया था ।
Incorrect
Solution (a)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 सही गलत जन योजना अभियान (PPC) अभियान मोड में जीपीडीपी की तैयारी सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावी रणनीति है। अभियान के दौरान आगामी वित्तीय वर्ष 2022-2023 के लिए पंचायत विकास योजना तैयार करने के लिए संरचित ग्राम सभा (structured Gram Sabha) की बैठकें आयोजित की जाएंगी। जन योजना अभियान (PPC) राज्य स्तर पर पंचायती राज विभाग (DoPR) द्वारा समन्वित है। इसमें नागरिक समाज संगठन और निजी क्षेत्र शामिल नहीं हैं। प्रसंग- पंचायती राज मंत्रालय द्वारा हाल ही में जन योजना अभियान (PPC) शुरू किया गया था ।
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Question 22 of 30
22. Question
‘डिप्टी स्पीकर या उपाध्यक्ष’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः
- भारत के संविधान में ‘डिप्टी स्पीकर या उपाध्यक्ष’ के पद का उल्लेख नहीं है
- डिप्टी स्पीकर का पद परंपरागत रूप से संसद में दूसरे सबसे बड़े दल को दिया जाता है
सही कथन चुनें
Correct
Solution (d)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 गलत गलत ‘डिप्टी स्पीकर या उपाध्यक्ष’ के पद का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 93 और अनुच्छेद 94 में किया गया है। डिप्टी स्पीकर (मोरारजी देसाई सरकार के बाद से) का पद पारंपरिक रूप से सदन में सबसे बड़ी विपक्षी दल/पार्टी को दिया जाता है, कुछ अपवादों को छोड़कर। प्रसंग – दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2 साल से अधिक समय से डिप्टी स्पीकर के रिक्त पद पर एक याचिका पर लोकसभा सचिवालय से जवाब मांगा।
Incorrect
Solution (d)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 गलत गलत ‘डिप्टी स्पीकर या उपाध्यक्ष’ के पद का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 93 और अनुच्छेद 94 में किया गया है। डिप्टी स्पीकर (मोरारजी देसाई सरकार के बाद से) का पद पारंपरिक रूप से सदन में सबसे बड़ी विपक्षी दल/पार्टी को दिया जाता है, कुछ अपवादों को छोड़कर। प्रसंग – दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2 साल से अधिक समय से डिप्टी स्पीकर के रिक्त पद पर एक याचिका पर लोकसभा सचिवालय से जवाब मांगा।
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Question 23 of 30
23. Question
समाचारों में देखी जाने वाली ‘अर्ली हार्वेस्ट स्कीम’ (Early Harvest Scheme) का प्रयोग किस संदर्भ में किया जाता है?
Correct
Solution (c)
अर्ली हार्वेस्ट योजना दो व्यापारिक साझेदारों के बीच एफटीए का पूर्ववर्ती है। यह दोनों व्यापारिक देशों को एफटीए वार्ता के समापन तक टैरिफ उदारीकरण के लिए कुछ उत्पादों की पहचान करने में मदद करने के लिए है। यह मुख्य रूप से एक विश्वास निर्माण उपाय है।
संदर्भ – भारत कुछ देशों के साथ “‘अर्ली हार्वेस्ट” व्यापार समझौते को समाप्त करने का इच्छुक है
Incorrect
Solution (c)
अर्ली हार्वेस्ट योजना दो व्यापारिक साझेदारों के बीच एफटीए का पूर्ववर्ती है। यह दोनों व्यापारिक देशों को एफटीए वार्ता के समापन तक टैरिफ उदारीकरण के लिए कुछ उत्पादों की पहचान करने में मदद करने के लिए है। यह मुख्य रूप से एक विश्वास निर्माण उपाय है।
संदर्भ – भारत कुछ देशों के साथ “‘अर्ली हार्वेस्ट” व्यापार समझौते को समाप्त करने का इच्छुक है
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Question 24 of 30
24. Question
निम्नलिखित में से किस समूह में तीनों देश शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य हैं?
Correct
Solution (d)
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) 15 जून 2001 को शंघाई में स्थापित एक अंतर सरकारी संगठन है। एससीओ में वर्तमान में आठ सदस्य राज्य (चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान) शामिल हैं, अफगानिस्तान, ईरान, बेलारूस और मंगोलिया SCO में पर्यवेक्षक (Observer) के रूप में शामिल हैं और छह “डायलॉग पार्टनर्स” (आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की) है।
प्रसंग – शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 21वीं बैठक हुई ।
Incorrect
Solution (d)
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) 15 जून 2001 को शंघाई में स्थापित एक अंतर सरकारी संगठन है। एससीओ में वर्तमान में आठ सदस्य राज्य (चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान) शामिल हैं, अफगानिस्तान, ईरान, बेलारूस और मंगोलिया SCO में पर्यवेक्षक (Observer) के रूप में शामिल हैं और छह “डायलॉग पार्टनर्स” (आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की) है।
प्रसंग – शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 21वीं बैठक हुई ।
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Question 25 of 30
25. Question
‘अंटार्कटिक संधि’ (Antarctic Treaty) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें।
- इसका एक उद्देश्य इसे परमाणु परीक्षण से मुक्त क्षेत्र के रूप में स्थापित करना और रेडियोधर्मी अपशिष्ट का निपटान करना है।
- भारत एक सदस्य है और इस संधि के मूल हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक था।
- इस संधि पर हस्ताक्षर करने के परिणामस्वरूप भारत ने मैत्री, भारती और हिमाद्री अनुसंधान केंद्र स्थापित किए हैं।
सही कथनों का चयन करें
Correct
Solution (a)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 कथन 3 सही गलत गलत अंटार्कटिक विज्ञान में सक्रिय बारह देशों द्वारा अनुसमर्थन के बाद 23 जून 1961 को अंटार्कटिक संधि लागू हुई। इसके उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में सरल लेकिन अद्वितीय हैं। वह हैं: - अंटार्कटिका को विसैन्यीकरण करने के लिए,
- इसे परमाणु परीक्षण और रेडियोधर्मी अपशिष्ट के निपटान से मुक्त क्षेत्र के रूप में स्थापित करना और यह सुनिश्चित करना कि इसका उपयोग केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाता है;
- अंटार्कटिका में अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देना; क्षेत्रीय संप्रभुता पर विवादों को अलग करने के लिए।
भारत ने 1983 में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए और इसे परामर्श का दर्जा प्राप्त है। भारत ने अंटार्कटिका में भारती और मैत्री अनुसंधान केंद्र स्थापित किए हैं। हिमाद्री आर्कटिक क्षेत्र में भारत का पहला स्थायी शोध केंद्र है। संदर्भ – भारत ने अंटार्कटिक पर्यावरण की रक्षा के लिए और पूर्वी अंटार्कटिका और वेडेल सागर को समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (MPAs) के रूप में नामित करने के लिए समर्थन दिया।
Incorrect
Solution (a)
कथन विश्लेषण:
कथन 1 कथन 2 कथन 3 सही गलत गलत अंटार्कटिक विज्ञान में सक्रिय बारह देशों द्वारा अनुसमर्थन के बाद 23 जून 1961 को अंटार्कटिक संधि लागू हुई। इसके उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में सरल लेकिन अद्वितीय हैं। वह हैं: - अंटार्कटिका को विसैन्यीकरण करने के लिए,
- इसे परमाणु परीक्षण और रेडियोधर्मी अपशिष्ट के निपटान से मुक्त क्षेत्र के रूप में स्थापित करना और यह सुनिश्चित करना कि इसका उपयोग केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाता है;
- अंटार्कटिका में अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देना; क्षेत्रीय संप्रभुता पर विवादों को अलग करने के लिए।
भारत ने 1983 में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए और इसे परामर्श का दर्जा प्राप्त है। भारत ने अंटार्कटिका में भारती और मैत्री अनुसंधान केंद्र स्थापित किए हैं। हिमाद्री आर्कटिक क्षेत्र में भारत का पहला स्थायी शोध केंद्र है। संदर्भ – भारत ने अंटार्कटिक पर्यावरण की रक्षा के लिए और पूर्वी अंटार्कटिका और वेडेल सागर को समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (MPAs) के रूप में नामित करने के लिए समर्थन दिया।
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Question 26 of 30
26. Question
दो संख्याएँ 4:5 के अनुपात में हैं। यदि संख्याओं का योग 63 है, तो संख्याएँ ज्ञात कीजिए।
Correct
Solution (c)
अनुपात के पदों का योग = 4 + 5 = 9संख्याओं का योग = 63
अतः पहली संख्या = 4/9 × 63 = 28
दूसरी संख्या = 5/9 × 63 = 35
इसलिए, दो संख्याएँ 28 और 35 हैं।
Incorrect
Solution (c)
अनुपात के पदों का योग = 4 + 5 = 9संख्याओं का योग = 63
अतः पहली संख्या = 4/9 × 63 = 28
दूसरी संख्या = 5/9 × 63 = 35
इसलिए, दो संख्याएँ 28 और 35 हैं।
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Question 27 of 30
27. Question
माँ ने धन को टिम, सैम और इयान के बीच 4:5:6 के अनुपात में विभाजित किया। यदि इयान को $300 मिले, तो टिम द्वारा प्राप्त कुल राशि और धन ज्ञात कीजिए।
Correct
Solution (b)
माना टिम, सैम और इयान द्वारा प्राप्त धन क्रमशः 4x, 5x, 6x है।यह देखते हुए कि इयान को 300 डॉलर मिले हैं।
इसलिए, 6x = 300
या, x = 300/6
या, x = 50
अत: टिम को प्राप्त हुआ = 4x
= $ 4 × 50 = $200
सैम को प्राप्त हुआ = 5x
= 5 × 50 = $250
इसलिए, कुल राशि $(200 + 250 + 300) = $750
Incorrect
Solution (b)
माना टिम, सैम और इयान द्वारा प्राप्त धन क्रमशः 4x, 5x, 6x है।यह देखते हुए कि इयान को 300 डॉलर मिले हैं।
इसलिए, 6x = 300
या, x = 300/6
या, x = 50
अत: टिम को प्राप्त हुआ = 4x
= $ 4 × 50 = $200
सैम को प्राप्त हुआ = 5x
= 5 × 50 = $250
इसलिए, कुल राशि $(200 + 250 + 300) = $750
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Question 28 of 30
28. Question
लड़कों और लड़कियों की संख्या का अनुपात 4 : 3 है। यदि एक कक्षा में 21 लड़कियां हैं, तो कक्षा में छात्रों की कुल संख्या ज्ञात कीजिए।
Correct
Solution (a)
कक्षा में लड़कियों की संख्या = 21लड़के और लड़कियों का अनुपात = 4 : 3
प्रश्न के अनुसार,
लड़के/लड़कियां = 4/3
लड़के/21= 4/3
लड़के = (4 × 21)/3 = 28
अत: विद्यार्थियों की कुल संख्या = 28 + 21 = 49।
Incorrect
Solution (a)
कक्षा में लड़कियों की संख्या = 21लड़के और लड़कियों का अनुपात = 4 : 3
प्रश्न के अनुसार,
लड़के/लड़कियां = 4/3
लड़के/21= 4/3
लड़के = (4 × 21)/3 = 28
अत: विद्यार्थियों की कुल संख्या = 28 + 21 = 49।
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Question 29 of 30
29. Question
यदि 2A = 3B = 4C है, तो A : B : C ज्ञात करें।
Correct
Solution (b)
मान लीजिए 2A = 3B = 4C = xतो, A = x/2 B = x/3 C = x/4
2, 3 और 4 का लघुत्तम समापवर्त्य 12 है
इसलिए, A : B : C = x/2 × 12 : x/3 × 12 : x/4 = 12
= 6x : 4x : 3x
= 6 : 4 : 3इसलिए, A : B : C = 6 : 4 : 3
Incorrect
Solution (b)
मान लीजिए 2A = 3B = 4C = xतो, A = x/2 B = x/3 C = x/4
2, 3 और 4 का लघुत्तम समापवर्त्य 12 है
इसलिए, A : B : C = x/2 × 12 : x/3 × 12 : x/4 = 12
= 6x : 4x : 3x
= 6 : 4 : 3इसलिए, A : B : C = 6 : 4 : 3
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Question 30 of 30
30. Question
निम्नलिखित गघांश को पढ़िए और गद्यांश के बाद आने वाले प्रश्न के उत्तर दीजिए। प्रश्न का आपका उत्तर केवल गद्यांश पर आधारित होना चाहिए
पिज्जा खाना बहुत से लोगों को पसंद होता है, लेकिन इसे बनाना हर कोई नहीं जानता। परफेक्ट पिज़्ज़ा बनाना जटिल हो सकता है, लेकिन आपके लिए घर पर अधिक बेसिक वर्जन या बुनियादी संस्करण बनाने के कई तरीके हैं। जब आप पिज्जा बनाते हैं, तो आपको क्रस्ट से शुरू करना चाहिए। क्रस्ट बनाना मुश्किल हो सकता है। यदि आप स्वयं क्रस्ट बनाना चाहते हैं, तो आपको आटा, पानी और खमीर का उपयोग करके आटा बनाना होगा। आपको हाथ से आटा गूंथना होगा। यदि आपके पास ऐसा करने के लिए पर्याप्त समय नहीं है, तो आप एक तैयार क्रस्ट का उपयोग कर सकते हैं जिसे आप स्टोर से खरीदते हैं।
अपना क्रस्ट चुनने के बाद, आपको सॉस डालना होगा। स्क्रैच से अपना सॉस बनाने में काफी समय लग सकता है। आपको टमाटर खरीदना है, उन्हें छीलना है और फिर उन्हें मसालों के साथ पकाना है। यदि यह बहुत अधिक काम लगता है, तो आप स्टोर से जार का सॉस भी खरीद सकते हैं। कई जार के सॉस का स्वाद लगभग उतना ही अच्छा होता है जितना आप घर पर बनाते हैं।
अब जब आपके पास क्रस्ट और सॉस है, तो आपको चीज़ को शामिल करने की जरूरत है। चीज़ दूध से आता है, जो गायों से आता है। क्या आपके पिछवाड़े में गाय है? क्या आप जानते हैं कि गाय को दूध कैसे पिलाया जाता है? क्या आप जानते हैं कि उस दूध को चीज़ में कैसे बदला जाता है? यदि नहीं, तो आप चीज़ को स्वयं बनाने के बजाय किराने की दुकान से खरीदने की सोच सकते हैं।
जब आपके पास क्रस्ट, सॉस और चीज़ तैयार हो जाए, तो आप अन्य टॉपिंग डाल सकते हैं। कुछ लोग अपने पिज्जा पर मांस डालना पसंद करते हैं, जबकि अन्य लोग सब्जियां डालना पसंद करते हैं। कुछ लोग अनानास भी डालना पसंद करते हैं! घर पर पिज़्ज़ा बनाने का सबसे अच्छा हिस्सा यह है कि आप अपनी पसंदीदा सामग्री डालकर इसे कस्टमाइज़ (customize) कर सकते हैं।
Q.30) इस गघांश को लिखने में लेखक का मुख्य उद्देश्य है:
Correct
Solution (c)
पहले पैराग्राफ में, लेखक मुख्य विचार प्रस्तुत करता है। लेखक कहते हैं, “परफेक्ट पिज़्ज़ा बनाना जटिल हो सकता है, लेकिन आपके लिए घर पर अधिक बेसिक वर्जन या बुनियादी संस्करण बनाने के कई तरीके हैं।” यहां, लेखक हमें बताता है कि वह हमें घर पर अधिक बुनियादी पिज्जा बनाने के कुछ तरीके देना चाहता है। लेखक पिज्जा बनाने के लिए आवश्यक कदमों को रेखांकित करते हुए बाकी के गघांश में बताता है। इसका मतलब है कि विकल्प c सही है। गघांश विकल्प a, b, d का समर्थन करने के लिए जानकारी प्रदान नहीं करता है। इसलिए वे गलत हैं।
Incorrect
Solution (c)
पहले पैराग्राफ में, लेखक मुख्य विचार प्रस्तुत करता है। लेखक कहते हैं, “परफेक्ट पिज़्ज़ा बनाना जटिल हो सकता है, लेकिन आपके लिए घर पर अधिक बेसिक वर्जन या बुनियादी संस्करण बनाने के कई तरीके हैं।” यहां, लेखक हमें बताता है कि वह हमें घर पर अधिक बुनियादी पिज्जा बनाने के कुछ तरीके देना चाहता है। लेखक पिज्जा बनाने के लिए आवश्यक कदमों को रेखांकित करते हुए बाकी के गघांश में बताता है। इसका मतलब है कि विकल्प c सही है। गघांश विकल्प a, b, d का समर्थन करने के लिए जानकारी प्रदान नहीं करता है। इसलिए वे गलत हैं।
All the Best
IASbaba