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(PRELIMS  Focus)


ऊर्जा मिश्रण/ Energy Mix (2025)

श्रेणी: ऊर्जा

प्रसंग: भारत के केंद्रीय बजट 2025-26 में 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए एक बड़े प्रयास की घोषणा की गई

मुख्य तथ्य:

भारत की परमाणु ऊर्जा यात्रा:

100 गीगावाट लक्ष्य को पूरा करने में चुनौतियाँ:

  1. वर्तमान बाधाएँ:
    • मौजूदा क्षमता सिर्फ 8.2 गीगावाट है।
    • नई क्षमता वृद्धि (5.4 गीगावाट) अभी भी प्रगति पर है।
    • सभी संयंत्र सार्वजनिक क्षेत्र की एनपीसीआईएल के स्वामित्व में हैं; मौजूदा कानून के तहत निजी और विदेशी भागीदारी की अनुमति नहीं है।
  2. नीतिगत एवं कानूनी सुधार आवश्यक:
    • संशोधन:
      • परमाणु ऊर्जा अधिनियम (1962) – निजी क्षेत्र के स्वामित्व/नियंत्रण की अनुमति देने के लिए।
      • सीएलएनडी अधिनियम (2010) – देयता और बीमा चिंताओं को दूर करने के लिए।
      • विद्युत अधिनियम (2003) – विवाद समाधान और खुली पहुंच को सक्षम करने के लिए।
    • परमाणु विनियमन पर पुनर्विचार: पृथक नियामक निकाय की आवश्यकता (जैसे एईआरबी स्वतंत्र हो)।
  3. वित्त एवं अर्थशास्त्र:
    • उच्च पूंजीगत लागत (₹60-₹90 करोड़/मेगावाट) परमाणु ऊर्जा को कम आकर्षक बनाती है।
    • रिटर्न में देरी, सुरक्षा संबंधी चिंताएं और जोखिम प्रबंधन के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण, सार्वजनिक-निजी भागीदारी और वित्तीय गारंटी की आवश्यकता होती है।

Learning Corner:

भारत का ऊर्जा मिश्रण (2025)

भारत की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता लगभग 485 गीगावाट है। ऊर्जा मिश्रण स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक मजबूत बदलाव के साथ विकसित हो रहा है, हालाँकि बिजली उत्पादन में कोयले का प्रभुत्व बना हुआ है।

स्थापित क्षमता (स्रोत के अनुसार):

बिजली उत्पादन हिस्सेदारी:

प्रमुख रुझान:

स्रोत: द हिंदू


जैव उत्तेजक (Bio stimulants)

श्रेणी: कृषि

संदर्भ: जैव उत्तेजक पदार्थ अब कृषि मंत्रालय की जांच के दायरे में आ गए हैं।

जैव उत्तेजक क्या हैं?

जांच के दायरे में क्यों?

कानूनी ढांचा

Learning Corner:

बायोफोर्टीफिकेशन /जैव-सुदृढ़ीकरण

जैव-उर्वरक (Biofertilizers)

परिशुद्ध खेती (Precision Farming)

पोषक तत्व उपयोग दक्षता (Nutrient Use Efficiency (NUE)

एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन (Integrated Nutrient Management (INM)

नैनोउर्वरक

पर्ण पोषण (Foliar Nutrition)

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस


अनुच्छेद 143 (Article 143)

श्रेणी: राजनीति

संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रपति के संदर्भ के आधार पर केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया है, जिसमें राज्य विधानमंडल विधेयकों पर कार्रवाई करने के लिए राष्ट्रपति और राज्यपालों की शक्तियों और समयसीमा पर स्पष्टता मांगी गई है।

महत्वपूर्ण मुद्दे:

राष्ट्रपति संदर्भ:

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अनुच्छेद 143(1) के तहत सर्वोच्च न्यायालय से 14 प्रमुख कानूनी प्रश्न पूछे हैं:

Learning Corner:

अनुच्छेद 143 – सर्वोच्च न्यायालय का सलाहकार क्षेत्राधिकार

उल्लेखनीय मामले:

अनुच्छेद 200 – राज्यपाल द्वारा विधेयकों को स्वीकृति

मुख्य अवलोकन:

उल्लेखनीय मुद्दा:

अनुच्छेद 201 – आरक्षित विधेयकों पर राष्ट्रपति की शक्ति

उल्लेखनीय मामले/मुद्दे:

स्रोत: द हिंदू


अपाचे हेलीकॉप्टर (Apache Helicopters)

श्रेणी: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

संदर्भ: भारतीय सेना ने अपाचे हेलीकॉप्टरों के पहले बैच को शामिल किया

Learning Corner:

अपाचे हेलीकॉप्टर (AH-64E)

अपाचे एएच-64ई बोइंग द्वारा विकसित एक उन्नत बहु-भूमिका वाला हमलावर हेलीकॉप्टर है, जिसे दुनिया के सबसे शक्तिशाली और बहुमुखी लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में से एक माना जाता है।

प्रमुख विशेषताऐं:

स्रोत : द हिंदू


यूनेस्को (UNESCO)

श्रेणी: अंतर्राष्ट्रीय

संदर्भ: अमेरिका ने यूनेस्को से बाहर निकलने को कहा है।

 

अमेरिका दिसंबर 2026 तक यूनेस्को से बाहर हो जाएगा, क्योंकि उसे वैचारिक चिंताओं, फ़िलिस्तीन की सदस्यता के विरोध और अपनी “अमेरिका फ़र्स्ट” नीति के साथ तालमेल का हवाला देना पड़ रहा है। 2023 में फिर से शामिल होने के बावजूद, यह तीसरी बार (1984 और 2017 के बाद) अमेरिका का यूनेस्को से बाहर होना है। इस कदम से वैश्विक शिक्षा, संस्कृति और तकनीकी प्रशासन में अमेरिका का प्रभाव कम हो सकता है। यूनेस्को ने खेद व्यक्त किया है, लेकिन वह अमेरिकी समर्थन के बिना भी जारी रहने के लिए तैयार है।

Learning Corner:

यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है, जिसकी स्थापना 1945 में हुई थी। इसका उद्देश्य शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और संचार में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से शांति और सतत विकास को बढ़ावा देना है।

महत्वपूर्ण कार्य:

मुख्यालय: पेरिस, फ्रांस
सदस्य: 194 देश (2025 तक)

यूनेस्को की प्रमुख रिपोर्ट:

स्रोत: द हिंदू


(MAINS Focus)


दूरस्थ कार्य के पीछे की वास्तविकताएँ (Realities behind Remote Work) (GS पेपर I - भारतीय समाज)

परिचय (संदर्भ)

महामारी के बाद घर से काम करने का चलन बढ़ा है। कभी श्रम का भविष्य कहे जाने वाले ‘घर से काम (Work from Home)’ की प्रक्रिया, कल्पना से कहीं ज़्यादा जटिल हो गई है।

40 देशों के 16,000 कॉलेज-शिक्षित श्रमिकों को कवर करते हुए “ग्लोबल सर्वे ऑफ वर्किंग अरेंजमेंट्स” (आईएफओ इंस्टीट्यूट + स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, 2024-25) के आधार पर इस मुद्दे का यहाँ विश्लेषण किया गया है।

घर से काम (Work from Home)

इसमें पारंपरिक कार्यालय व्यवस्था के बाहर, आमतौर पर अपने घर से ही, नौकरी के कर्तव्यों का निर्वहन करना शामिल है। यह व्यवस्था लचीलापन प्रदान करती है और कई कर्मचारियों के लिए कार्य-जीवन संतुलन को बेहतर बना सकती है।

लाभ:

कार्य व्यवस्थाओं पर वैश्विक सर्वेक्षण के निष्कर्ष

आईएफओ इंस्टीट्यूट और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित “कार्य व्यवस्था का वैश्विक सर्वेक्षण”, जिसमें 2024 और 2025 के बीच 40 देशों के 16,000 से अधिक कॉलेज-शिक्षित श्रमिकों को शामिल किया गया, में कहा गया:

क्षेत्रीय विविधताएँ:

वैश्विक औसत

एशिया में पिछड़ने के कारण

लिंग डेटा

वर्क फ्रॉम होम में गिरावट क्यों आई है?

लोगों की ओर से अनिच्छा

स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ

आगे की राह

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न

भारत में लैंगिक समानता, कार्य संस्कृति और सार्वजनिक नीति पर दूरस्थ कार्य (वर्क फ्रॉम होम) प्रतिमान के निहितार्थों का विश्लेषण करें। (250 शब्द, 15 अंक)

स्रोत: https://www.thehindu.com/opinion/op-ed/realities-behind-the-global-experiment-of-remote-work/article69843766.ece


विद्युत क्षेत्र में सुधार (Reforms in Power Sector) (जीएस पेपर III - विज्ञान और प्रौद्योगिकी, जीएस पेपर III - अर्थव्यवस्था)

परिचय (संदर्भ)

2015 में, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों के लिए SO2 मानदंड अधिसूचित किए थे। देश के लगभग 600 विद्युत संयंत्रों के लिए फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (FGD प्रणाली) की स्थापना अनिवार्य कर दी गई थी। हालाँकि, 2025 में मंत्रालय ने अपना निर्णय वापस ले लिया है। यहाँ इस मुद्दे का विश्लेषण प्रस्तुत है।

फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन क्या है?

2015 में, भारत सरकार ने उत्सर्जन मानकों को पूरा करने के लिए कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में एफजीडी प्रणालियों की स्थापना को अनिवार्य कर दिया है।

हालाँकि, विशेषज्ञों ने इससे संबंधित कई सवाल उठाए थे, जैसे:

संशोधित दिशानिर्देश

एफजीडी से संबंधित चिंताएं:

एफजीडी प्रौद्योगिकी को आर्थिक रूप से अव्यवहार्य क्यों कहा जाता है?

आगे की राह 

निष्कर्ष

एफजीडी मानदंडों को वापस लेना आर्थिक व्यवहार्यता और पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी के बीच भारत की निरंतर दुविधा को दर्शाता है। ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक व्यवहार्यता को कम किए बिना जन स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली एक संतुलित नीति अपनाना महत्वपूर्ण है।

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न

“पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा ताप विद्युत संयंत्रों के लिए फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (FGD) मानदंडों में ढील देने के हालिया निर्णय का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। पर्यावरण संरक्षण और भारत के ऊर्जा क्षेत्र पर इसके प्रभावों की चर्चा कीजिए।” (250 शब्द, 15 अंक)

स्रोत: https://indianexpress.com/article/opinion/columns/the-reform-indias-power-sector-needed-10143372/

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