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IAS UPSC Prelims and Mains Exam (हिंदी) – 8th July 2020
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(PRELIMS + MAINS FOCUS)
अमेरिका द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वियों के विरोध हेतु बनाए गए दंडात्मक अधिनियम (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act -CAATSA)
भाग: – GS Prelims and Mains II and III- अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका; सुरक्षा मुद्दे
CAATSA क्या है?
- CAATSA, जो जनवरी 2018 से लागू हुआ; अमेरिकी सरकार को रूस, ईरान या उत्तर कोरिया के रक्षा या खुफिया क्षेत्रों के साथ महत्वपूर्ण लेनदेन में संलग्न संस्थाओं को दंडित करने में सक्षम बनाता है।
यह कानून रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) को दंडित करने के लिए बनाया गया है
- 2014 में यूक्रेन से क्रीमिया का अधिग्रहण
- सीरियाई गृह–युद्ध में संलग्नता
- 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दखल देना
समाचार में
- हाल ही में, हमने रक्षा अधिग्रहण परिषद के बारे में पढ़ा कि 21 मिग-29 लड़ाकू विमानों की खरीद को मंजूरी दी गई है और इनमें से 59 रूसी विमानों को अपग्रेड किया गया है तथा 12 एसयू-30 एमकेआई विमानों का अधिग्रहण किया गया है।
- भारत ने रूस से S-400 ट्रायम्फ मिसाइल डिफेंस सिस्टम को खरीदने के लिए लगभग 5 बिलियन डॉलर की योजना भी बनाई है।
- उपरोक्त सौदे CAATSA प्रतिबंधों को आकर्षित कर सकते हैं।
- CAATSA कानून रूस से रक्षा हार्डवेयर खरीदने वाले देशों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान प्रदान करते हैं।
समाचार में प्रजातियां: गोल्डन बर्डविंग (Species in news: Golden Birdwing)
भाग: GS Prelims and Mains III – पर्यावरण – जैव विविधता और संरक्षण
समाचार में:
- गोल्डन बर्डविंग (Golden Birdwing) नामक हिमालयी तितली अब 88 वर्षों के बाद भारत की सबसे बड़ी तितली बन गयी है।
- गोल्डन बर्डविंग (Golden Birdwing) दक्षिणी बर्डविंग (Southern Birdwing) से बड़ी है, जिसे पहले सबसे बड़ा माना जाता था।
- मादा (गोल्डन बर्डविंग) नर से बड़ी होती हैं।
- उत्तराखंड के दीदीहाट से मादा गोल्डन बर्डविंग दर्ज की गई थी, वहीं सबसे बड़ी नर तितली मेघालय की राजधानी शिलांग के वांखर तितली संग्रहालय में दर्ज की गयी थी।
PIC: गोल्डन बर्डविंग
क्या आप जानते हैं?
- दक्षिणी बर्डविंग को आईयूसीएन (IUCN) रेड लिस्ट में निम्न चिंताजनक (Least Concern) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है ।
- यह प्रजाति आमतौर पर दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट में पाई जाती है, तथा यह कर्नाटक की राज्य तितली भी कहलाती है।
रणनीतिक दरबूक–श्योक–दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) सड़क (strategic Darbuk-Shyok-Daulat Beg Oldi (DSDBO) road)
भाग: GS Prelims and Mains I and III – भूगोल; रक्षा और सुरक्षा मुद्दे
समाचार में:
- सीमा सड़क संगठन (BRO) रणनीतिक दरबूक–श्योक–दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) सड़क मार्ग पर काम को तेजी से ट्रैक करने के लिए है।
- DSDBO सड़क अक्साई (Aksai) चीन पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के लगभग समानांतर चलती है।
- चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ कई बिंदुओं पर भारतीय सड़क और बुनियादी ढांचे के विकास पर आपत्ति जताता रहा है।
- DSDBO सड़क पर भी चीन ने आपत्ति जताई है।
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भारत–चीन सीमा सड़कें
- बीआरओ (BRO), चाइना स्टडी ग्रुप (CSG) के निर्देशन में 3,323.57 किमी लंबी 61 रणनीतिक भारत–चीन सीमा सड़कों (ICBRs) का निर्माण भी कर रहा है।
- भारत–चीन सीमा की 61 सड़कों (ICBRs) पर 75% निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।
Important value additions
सीमा सड़क संगठन (BRO)
- इसका गठन 1960 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था।
- इसे देश के उत्तर और उत्तर पूर्वी सीमा क्षेत्रों में सड़कों के नेटवर्क के तीव्र विकास के लिए स्थापित किया गया था।
- यह रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।
- यह विभिन्न प्रकार के निर्माण और विकास कार्यों जैसे हवाई अड्डों, निर्माण परियोजनाओं, रक्षा कार्यों आदि को देखता है।
(मुख्य लेख)
अंतर्राष्ट्रीय / सुरक्षा
विषय: सामान्य अध्ययन 2,3:
- भारत और उसके पड़ोसी संबंध
- सीमा क्षेत्रों में सुरक्षा और चुनौतियाँ
Days of disengagement: On India-China LAC standoff
संदर्भ : वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर दो महीने के गतिरोध के बाद, भारत और चीन दोनों पूर्ण रूप से अपनी स्थिति से पीछे बढ़ रहे हैं।
अब शांति और सौहार्द की आवश्यकता क्यों है?
- यह पहली बार था जब LAC पर चार दशकों में इस तरह के हालात देखे गए हैं, इससे बढ़ते तनाव को रोकने के लिए डिसइंगेजमेंट की आवश्यकता है, अन्यथा युद्ध हो सकता है।
- भारत अभी कई पटल पर युद्धरत है (COVID-19, धीमी अर्थव्यवस्था, कश्मीर पुनर्गठन) तथा इसलिए चीन के साथ लंबे समय से चलने वाले तनाव को सहन नहीं कर सकता है।
मई के दौरान भारत–चीन सीमा पर टकराव – इसके बारे में और पढ़ें, here
वास्तव में गलवान घाटी से संबंधित क्या विवाद हैं? – पढ़ें Here
विवाद के बढ़ने और विवाद के रणनीतिक निहितार्थ के कारक – पढ़ें here
डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के संबंध में चुनौतियां
- उच्च स्तरों (सैन्य और NSA) पर कूटनीति के बाद, वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्य स्थिति में डी–एस्केलेशन की दिशा में संचलन होने की बात कही जा रही है।
- हालांकि नई दिल्ली और बीजिंग में दिए गए बयान, भाषा में एक समान नहीं थे, लेकिन उन्होंने LAC पर शांति और सौहार्द बहाल करने के लिए आम सहमति से काफी हद तक अवगत कराया।
- अगले कदम में, उनके द्वारा किए गए समझौतों का निष्कर्ष देखने में होगा तथा यह सुनिश्चित करना होगा कि चीनी सैनिकों की प्रत्येक तीन बिंदुओं: गलवान, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा से वापसी सुनिश्चित की जाए।
डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के संबंध में चुनौतियां
- खराब पूर्वता (Bad precedence) : ऐसा माना गया है कि भारतीय सैनिकों द्वारा एक डिसइंगेजमेंट सत्यापन अभियान के दौरान, गलवान संघर्ष हुआ था।
- अन्य बिंदुओं पर समाधान की आवश्यकता : चीनी सैनिक इकाइयों ने पैंगोंग त्सो क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। इसलिए, LAC के साथ अन्य बिंदुओं पर इसी तरह के डिसइंगेजमेंट अभ्यास आरंभ करने होंगे।
- कार्रवाई का पालन करने की आवश्यकता है: डिसइंगेजमेंट और डी–एस्केलेशन के साथ सैनिकों को वापस लेने के लिए “एंड–पॉइंट्स“ को परिभाषित किया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे खाली जगहों पर पुनः अधिकार न करें।
- नागरिकों के लिए सूचना : सरकार को देश को “बफर जोन“,पेट्रोलिंग मुक्त अवधि और डिसइंगेजमेंट जैसे कदमों की प्रगति और विचार के बारे में सूचित करना चाहिए। तथा भारतीय सैनिकों को डिसइंगेजमेंट के क्षेत्रों से वापस बुलाने के निर्णयों के कारणों को बताना चाहिए।
आगे की राह
- 20 भारतीय सैनिकों की मृत्यु और संघर्ष से संबंधित घटनाओं की पूर्ण जांच की आवश्यकता है।
- सरकार को इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या वह चीन के खिलाफ आर्थिक जवाबी उपायों का अपना रास्ता जारी रखेगी, जिसमें शामिल है
- ऐप्स को बैन करना
- निवेश प्रतिबंध
- आयात में कमी (सीमा शुल्क में वृद्धि)
- समय के साथ, छोटे–छोटे कदमों से भारत और चीन को ज्यादा संतुलित संबंधों में लौटना होगा।
Connecting the dots :
- 1962 भारत–चीन युद्ध
- चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (China’s Belt & Road Initiative)
अंतर्राष्ट्रीय / सुरक्षा
विषय: सामान्य अध्ययन 2:
- भारतीय हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव
- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियाँ और हस्तक्षेप
स्टैंड–ऑफ में, परमाणु शस्त्रागार पर नजर रखना (In stand-off, keeping an eye on the nuclear ball)
संदर्भ : अब इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि चीन गणराज्य (PRC) अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तारीकरण जारी रखे हुए है।
चीन अपना परमाणु शस्त्रागार क्यों बढ़ा रहा है?
- शक्ति प्रक्षेपण (Power projection): एक विस्तृत परमाणु शस्त्रागार का अर्थ, चीन के विरोधियों के लिए एक मजबूत प्रतिरोध है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाफ: चीन अपने परमाणु शस्त्रागार का नियोजित आधुनिकीकरण कर रहा है क्योंकि यह संयुक्त राज्य अमेरिका की बहुस्तरीय मिसाइल रक्षा क्षमताओं से भयभीत है।
- चीन अमेरिकी मिसाइल शील्ड को बेअसर करने के लिए कई स्वतंत्र रूप से लक्षित पुनर्प्रवेश वाहन (MIRVs) क्षमताओं के साथ अपनी मिसाइलों को तैयार कर रहा है ।
- चीन का DF-31As, जो सड़क पर गतिशील योग्य (road mobile) अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBMs) है, MIRVs और शक्तिशाली मारक क्षमता से लैस है।
परमाणु हथियारों की तुलना में चीन का विस्तारवादी मोड (Expansionist mode of China vis-à-vis Nuclear arms)
- बढ़े हुए परीक्षण: 2019 में चीन के बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण, नामित परमाणु हथियार संपन्न राज्य की सूची में सबसे अधिक थे।
- बढ़ा हुआ परमाणु शस्त्रागार: स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) का आकलन है कि 2019 में चीन का परमाणु शस्त्रागार 290 हथियार से बढ़कर 2020 में 320 हथियार हो गया है।
- सामरिक (Tactical) परमाणु हथियार : चीन का लोप– नूर (Lop Nur) चीनी सब–क्रिटिकल परीक्षण स्थल था क्योंकि चीन ने 1996 में तप्त परीक्षण (hot testing) पर रोक लगाने का प्रस्ताव अपनाया, जिसके बाद चीन अपने हथियार को और छोटा कर रहा है।
- विखंडनीय सामग्रियों की बड़ी सूची (Sizeable Inventory of Fissile materials): चीन के पास भारत के 0.6 +-0.15 टन WGP की तुलना में 2.9 +-0.6 मीट्रिक टन हथियार ग्रेड प्लूटोनियम (WGP) होने का अनुमान है।
- अमेरिकी और रूसी परमाणु बल के स्तर तक पहुंचने का लक्ष्य: चीनी राज्य के मुखपत्र, ग्लोबल टाइम्स (Global Times) ने हाल ही में चीन की प्रेरणा को उजागर करते हुए, 1,000-वारहेड परमाणु शस्त्रागार का आह्वान किया है।
चीन के परमाणु विस्तारवाद के कारण भारत के लिए चुनौती
- भारत के सापेक्ष चीनी परमाणु क्षमताओं की परिष्कृत प्रकृति, बीजिंग को भारत के खिलाफ महत्त्वपूर्ण सर्वोच्चता प्रदान कर रही है जो पारंपरिक सैन्य संतुलन को बदल सकता है।
- परमाणु शस्त्रागार में वृद्धि चीन को एक सीमित उद्देश्य युद्ध के साथ आगे बढ़ने का नेतृत्व कर सकता है।
- माना जा रहा है कि चीन अपने परमाणु शस्त्रागार के एक हिस्से को सुदूर पश्चिमी शिनजियांग (Xinjiang) क्षेत्र जैसे अंतर्देशीय क्षेत्रों में आधारित कर सकता है, जो अक्साई (Aksai) चीन के करीब है।
- माना जा रहा है कि शिनजियांग में कोरला 4,000 किलोमीटर की रेंज के साथ DF-26 IRBMs की मेजबानी करेगा, जो संभावित रूप से भारत के अधिकांश हिस्सों में अपने लक्ष्य पर प्रहार कर सकती है। यह पारंपरिक या परमाणु आधारित हो सकता है।
- चीन की भूमि आधारित मिसाइलें मुख्य रूप से सड़क परिवहन के लिए उपयुक्त हैं तथा LAC पर भारत के खिलाफ होने वाले किसी भी बड़े पारंपरिक आक्रमण में अहम भूमिका निभा सकती हैं।
आगे की राह
- LAC के पास चीनी और भारतीय सेनाओं के बीच पारंपरिक विवाद में परमाणु हथियारों की भूमिका और सैन्य अभियानों पर उनके प्रभाव को बढ़ाती है।
- भारत के सामरिक बल कमान (SFC) को किसी भी चीनी परमाणु खतरों से निपटने लिए सतर्क अवस्था में रहने की आवश्यकता है।
- भारत को अपने मौजूदा परमाणु सिद्धांत का गंभीरता से आकलन करना आरंभ करना चाहिए तथा प्रतिरोध के लिए एक मजबूत त्रिकोणीय क्षमता प्राप्त करने के प्रयासों को दोगुना करना चाहिए।
Connecting the dots:
- भारत के परमाणु सिद्धांत की ‘पहले प्रयोग नहीं’ नीति (No First Use policy)
- परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह और भारत इसका हिस्सा क्यों नहीं है?
(TEST YOUR KNOWLEDGE)
मॉडल प्रश्न: (You can now post your answers in comment section)
ध्यान दें:
- आज के प्रश्नों के सही उत्तर अगले दिन के डीएनए (DNA) सेक्शन में दिए जाएंगे। कृपया इसे देखें और अपने उत्तर अपडेट करें।
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Q.1 CAATSA, जिसे अक्सर समाचारों में देखा जाता है, किससे संबंधित है –
- भारत और अमेरिका के बीच बुनियादी प्रारंभिक निर्माण और सेनाओं के बीच अंतरसंचालनीयता (interoperability) को बढ़ावा देने के लिए रसद समझौता (logistics pact)।
- मूलभूत समझौता जो अमेरिका दूसरे देशो के साथ हस्ताक्षर करता है जिनके साथ उसके घनिष्ठ सैन्य संबंध हैं।
- उन देशों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी, जो रूस, ईरान या उत्तर कोरिया के रक्षा या खुफिया क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण लेन–देन में संलग्न होंगे।
- लॉजिस्टिकल सपोर्ट के लिए विश्व भर में अमेरिकी सुविधाओं तक भारतीय पहुंच के तंत्र की स्थापना।
Q.2 गोल्डन बर्डविंग (Golden Birdwing) के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें
- यह हिमालयी क्षेत्र के लिए स्थानिक, भारत की सबसे बड़ी तितली प्रजाति है।
- यह उत्तराखंड का राजकीय तितली है।
ऊपर दिए गए कथनों में से कौन सा सही है / हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 और न ही 2
Q.3 निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- सीमा प्रबंधन विभाग, रक्षा मंत्रालय के अधीन है।
- दरबुक–श्योक–दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) सड़क लद्दाख क्षेत्र में सीमा सड़क संगठन (BRO) की एक परियोजना है।
ऊपर दिए गए कथनों में से कौन सा सही है / हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 और न ही 2
ANSWERS FOR 7th July 2020 TEST YOUR KNOWLEDGE (TYK)
1 | D |
2 | D |
3 | A |
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