श्रेणी: राजनीति
प्रसंग: राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक लोकसभा में प्रस्तुत किया गया
विधेयक की आवश्यकता:
संबोधित किए गए प्रमुख मुद्दे:
Learning Corner:
खेलो इंडिया कार्यक्रम (Khelo India Programme)
लक्ष्य ओलंपिक पोडियम योजना (Target Olympic Podium Scheme (TOPS)
राष्ट्रीय खेल विकास कोष (National Sports Development Fund (NSDF)
फिट इंडिया मूवमेंट (Fit India Movement)
भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) योजनाएँ
खिलाड़ियों के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय कल्याण कोष
मिशन ओलंपिक सेल (MOC)
राष्ट्रीय शारीरिक स्वास्थ्य अभियान (National Physical Fitness Campaign)
स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस
श्रेणी: पर्यावरण
संदर्भ: लक्षद्वीप में प्रवाल भित्तियों का ह्रास
मुख्य निष्कर्ष
गिरावट के कारण
पारिस्थितिक और सामाजिक प्रभाव
तात्कालिकता और दृष्टिकोण
Learning Corner:
प्रवाल भित्ति (Coral Reefs)
प्रवाल भित्तियों के प्रमुख प्रकार:
प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching): अवधारणा
प्रवाल विरंजन के कारण:
विरंजन के प्रभाव:
वैश्विक एवं राष्ट्रीय प्रयास:
स्रोत: द हिंदू
श्रेणी: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
संदर्भ : विटामिन डी की कमी और न्यूरोडेवलपमेंटल विकार ।
मुख्य निष्कर्ष:
पूरकता और सीमाएँ:
Learning Corner:
रोग और पोषण संबंधी कमियाँ
बीमारी/ रोग / विकार | पोषक तत्वों की कमी | लक्षण | पोषक तत्वों के सामान्य स्रोत |
---|---|---|---|
स्कर्वी | विटामिन सी (एस्कॉर्बिक एसिड) | मसूड़ों से खून आना, घाव भरने में देरी, थकान | खट्टे फल, आंवला, अमरूद, हरी सब्जियां |
सूखा रोग/ रिकेट्स | विटामिन डी | बच्चों में हड्डियों की विकृति, विकास में देरी | सूर्य का प्रकाश, अंडे की जर्दी, फोर्टिफाइड दूध |
अस्थिमृदुता / Osteomalacia | विटामिन डी | वयस्कों में नरम हड्डियाँ और फ्रैक्चर | सूर्य का प्रकाश, डेयरी, मछली का तेल |
पेलग्रा / Pellagra | विटामिन B3 (नियासिन) | 3 डी: डर्मेटाइटिस, डायरिया , डिमेंशिया | मांस, मछली, मूंगफली, साबुत अनाज |
बेरी-बेरी | विटामिन बी1 (थायमिन) | तंत्रिका सूजन, कमजोरी, हृदय गति रुकना | साबुत अनाज, फलियां, बीज |
रतौंधी (Night Blindness) | विटामिन ए | मंद प्रकाश में खराब दृष्टि, सूखी आँखें | गाजर, पालक, यकृत, डेयरी |
गण्डमाला (Goitre) | आयोडीन | थायरॉइड ग्रंथि में सूजन (गर्दन में सूजन), हार्मोनल असंतुलन | आयोडीन युक्त नमक, समुद्री भोजन |
एनीमिया (लौह की कमी) | लोहा | थकान, पीली त्वचा, सांस लेने में तकलीफ | हरी पत्तेदार सब्जियां, गुड़, लाल मांस |
एनीमिया (फोलिक एसिड) | फोलिक एसिड (विटामिन बी9) | गर्भावस्था में थकान, मुंह में छाले, न्यूरल ट्यूब दोष | पत्तेदार साग, बीन्स, फोर्टिफाइड अनाज |
एनीमिया (घातक) | विटामिन बी 12 | सुन्न होना, स्मृति हानि, मेगालोब्लास्टिक एनीमिया | डेयरी, अंडे, मांस (पशु उत्पाद) |
क्वाशिओरकोर (Kwashiorkor) | प्रोटीन | एडिमा , पेट में सूजन, विकास में रुकावट | प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ: दूध, फलियां, अंडे |
मरस्मस (Marasmus) | प्रोटीन + कैलोरी की कमी | गंभीर दुर्बलता, मांसपेशियों की हानि, क्षीणता | संतुलित कैलोरी और प्रोटीन युक्त आहार |
शुष्काक्षिपाक (Xerophthalmia) | विटामिन ए | कंजंक्टिवा और कॉर्निया का सूखापन अंधेपन का कारण बन सकता है | गाजर, शकरकंद, जिगर |
दंत क्षय (Dental Caries) | फ्लोराइड | दांतों में सड़न | फ्लोराइडयुक्त पानी, समुद्री भोजन, चाय |
hypocalcemia | कैल्शियम | मांसपेशियों में ऐंठन, भंगुर नाखून, ऑस्टियोपोरोसिस | डेयरी, हरी सब्जियां, तिल |
Hypomagnesemia | मैगनीशियम | मांसपेशियों में ऐंठन, असामान्य हृदय ताल | मेवे, बीज, साबुत अनाज, पत्तेदार सब्जियाँ |
स्रोत: द हिंदू
श्रेणी: अर्थशास्त्र
संदर्भ: भारत और यूनाइटेड किंगडम ने द्विपक्षीय व्यापार, निवेश और रणनीतिक सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से एक व्यापक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
प्रमुख विशेषताऐं:
विस्तारित सहयोग:
महत्व:
Learning Corner:
मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के प्रकार
एफटीए देशों के बीच टैरिफ, कोटा और आयात शुल्क जैसी व्यापार बाधाओं को कम करने या समाप्त करने के लिए किए गए समझौते हैं। एकीकरण और प्रतिबद्धताओं के स्तर के आधार पर, एफटीए को निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
अधिमान्य व्यापार समझौता (Preferential Trade Agreement (PTA)
मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement (FTA)
व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (Comprehensive Economic Partnership Agreement (CEPA)
व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (Comprehensive Economic Cooperation Agreement (CECA)
सीमा शुल्क संघ (Customs Union)
साझा बाज़ार (Common Market)
आर्थिक संघ (Economic Union)
स्रोत : द हिंदू
श्रेणी: राजनीति
संदर्भ: 24 जुलाई, 2025 को अनावरण की गई राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025, 2002 की नीति का स्थान लेगी
विजन और मिशन
प्रमुख लक्ष्य
मुख्य विशेषताएं
नीति निर्माण
2002 की नीति में प्रमुख उन्नयन
विशेषता | 2002 नीति | 2025 नीति |
---|---|---|
दृष्टिकोण | स्वायत्तता-केंद्रित | क्रिया-उन्मुख, तकनीक-चालित |
शासन | व्यापक दिशानिर्देश | पेशेवर और पारदर्शी प्रबंधन |
सेक्टर फोकस | मुख्यतः कृषि | बहु-क्षेत्रीय विस्तार |
महत्वाकांक्षा | आत्मनिर्भरता बनाए रखना | जन संपर्क और आर्थिक एकीकरण |
संस्थागत एंकर | कृषि मंत्रालय | समर्पित सहकारिता मंत्रालय |
स्रोत: पीआईबी
विभिन्न देशों में स्वास्थ्य संबंधी कार्यबल की मांग और आपूर्ति एक विकट समस्या बनी हुई है, अधिकांश देशों में पर्याप्त संख्या में डॉक्टरों और नर्सों का अभाव है तथा अनुमान है कि 2030 तक वैश्विक स्तर पर 18 मिलियन स्वास्थ्य कर्मियों की कमी हो जाएगी।
भारत में घरेलू स्तर पर कमी के बावजूद डॉक्टरों और नर्सों का बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है, जिससे कार्यबल नीतियों को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं।
दाब कारक
मांग कारक
नीतिगत दाब
निष्कर्ष
कार्यबल क्षमता में निवेश, रणनीतिक अंतर्राष्ट्रीय समझौतों और नीतियों को मिलाकर, जो आर्थिक, ज्ञान और सामाजिक लाभ को अधिकतम करते हैं, भारत और अन्य दक्षिणी देश स्वास्थ्य सेवा श्रमिकों के प्रवास को एक चुनौती से राष्ट्रीय विकास के लिए एक बहुमुखी अवसर में बदल सकते हैं।
मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
भारत अपने स्वास्थ्य कार्यबल की घरेलू कमी का सामना करने के बावजूद डॉक्टरों और नर्सों का एक प्रमुख निर्यातक है। इस प्रवासन को प्रेरित करने वाले कारकों का विश्लेषण कीजिए और राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा आवश्यकताओं को वैश्विक कार्यबल अवसरों के साथ संतुलित करने के लिए नीतिगत उपाय सुझाइए। (250 शब्द, 15 अंक)
औद्योगिक प्रदूषण का समाधान किए बिना भारत की स्वच्छ वायु की लड़ाई नहीं जीती जा सकती। उद्योग प्रदूषण का प्रमुख स्रोत हैं, फिर भी उन पर पर्याप्त नियंत्रण नहीं है।
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) को सांस लेने योग्य हवा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सतत आर्थिक विकास प्राप्त करने के लिए औद्योगिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा जनवरी 2019 में 131 भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए शुरू की गई एक राष्ट्रीय स्तर की रणनीति है।
मुख्य उद्देश्य:
स्वच्छ औद्योगिक हवा न केवल स्वास्थ्य के लिए, बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभदायक है। अस्पताल जाने की संख्या में कमी, श्रम उत्पादकता में सुधार और स्वच्छ प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में रोज़गार सृजन इस निवेश को उचित ठहराते हैं।
चूंकि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) 2.0 की रूपरेखा तैयार की जा रही है, तथा विशेषज्ञ स्वच्छ वायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए औद्योगिक उत्सर्जन नियंत्रण को मुख्य फोकस के रूप में महत्व दे रहे हैं, इसलिए इसे केवल दिखावे से आगे बढ़कर मजबूत विनियमन, वित्त पोषण और सहकारी ढांचे के साथ औद्योगिक सुधारों को एकीकृत करना होगा।
इसके लिए एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है जहाँ शहर, उद्योग और नियामक संस्थाएँ मिलकर स्वच्छ वायु के साझा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए काम करें। केवल बड़े उद्योगों, एमएसएमई और अनौपचारिक उद्योगों को शामिल करते हुए एक एकीकृत, अच्छी तरह से वित्त पोषित रणनीति ही भारतीय शहरों को साँस लेने योग्य हवा प्रदान कर सकती है।
स्वच्छ वायु लक्ष्यों की प्राप्ति में औद्योगिक प्रदूषण एक प्रमुख बाधा बना हुआ है। भारत में औद्योगिक उत्सर्जन को विनियमित करने में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिए और उनके समाधान हेतु एक व्यापक रणनीति सुझाइए। (250 शब्द, 15 अंक)