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(PRELIMS + MAINS FOCUS)
कोर उद्योगों के उत्पादन में संकुचन
Core sector output shrank further
Part of: GS Prelims and Mains II – अर्थशास्त्र – संवृद्धि एवं विकास
प्रसंग:
- अनुबंधित आठ कोर उद्योगों के उत्पादन में कमी दर्ज़ की गई है।
- अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि यह नकारात्मक प्रवृत्ति कम से कम दो महीने और जारी रहेगी।
- पिछले वर्ष की समान अवधि अर्थात अप्रैल–जून 2019 में 3.4 प्रतिशत की सकारात्मक उत्पादन वृद्धि दर की तुलना में अप्रैल–जून 2020 की समयावधि में इन क्षेत्रों में 24.6 प्रतिशत की दर से उत्पादन वृद्धि में कमी दर्ज़ की गई है।
क्या आप जानते हैं?
- आठ कोर उद्योगों में से, केवल उर्वरक उद्योग एकमात्र ऐसा उद्योग है जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष वास्तविक वृद्धि देखी गई।
- यह कृषि क्षेत्र में सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है, जहां एक सामान्य मानसून में अच्छी खरीफ फसल की अपेक्षा करता है।
- अन्य सभी उद्योगों ने संकुचन दिखाया, इस्पात उद्योग का उत्पादन क्षेत्र में सर्वाधिक खराब प्रदर्शन रहा है। इस्पात उद्योग के उत्पादन में पिछले वर्ष की तुलना में 33 प्रतिशत की गिरावट दर्ज़ की गई है।
Pic: The Hindu
एनईपी 2020: केन्द्रीय विद्यालय में अनुदेश के माध्यम के बदलने की संभावना कम है
NEP 2020: KVs unlikely to change medium of instruction
Part of: GS Prelims and Mains II – शिक्षा सुधार
प्रसंग:
- नई शिक्षा नीति (एनईपी) में एक खंड शामिल है, जिसमें जहां तक संभव हो, अनुदेश का माध्यम कम से कम 5 वीं कक्षा तक, लेकिन अधिमानतः 8 वीं कक्षा और उसके बाद तक, मातृभाषा/ स्थानीय भाषा को निर्देश के माध्यम के रूप में उपयोग करने के लिए प्रावधान प्रदान करता है।
- केंद्रीय विद्यालय और CBSE से जुड़े स्कूल स्थानांतरणीय नौकरियों में कार्यरत लोगों की जरूरतों को पूरा करते हैं। ऐसे स्कूलों के लिए छात्रों की मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषाओं को शिक्षा के माध्यम के रूप में उपयोग करना व्यावहारिक नहीं होगा।
क्या आप जानते हैं?
- केंद्रीय विद्यालय कहीं भी कार्यरत् केंद्र सरकार के कर्मचारियों की ज़रूरतों को पूरा करते हैं और इसमें जम्मू–कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के छात्र शामिल होते हैं।
- इसलिए, उनकी मातृभाषा या एक कक्षा में निर्देशों के विभिन्न माध्यमों को पढ़ाना व्यावहारिक रूप से कठिन हो जाता है।
- केंद्रीय विद्यालय प्रत्यक्ष रूप से शिक्षा मंत्रालय के तहत् नियंत्रित होते हैं।
- ज्यादातर सीबीएसई (CBSE) स्कूल स्थानांतरणीय नौकरियाँ में कार्यरत लोगों की आवश्यकता को पूरा कर रहे हैं।
आंध्र प्रदेश के राज्यपाल द्बारा तीन राजधानियों की योजना को मंजूरी
A.P. Governor clears Bill which provides for three capitals
Part of: GS Mains II – विकास के लिए सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप
समाचार में:
- राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने आंध्र प्रदेश विकेन्द्रीकरण और सभी क्षेत्र का समावेशी विकास बिल 2020 और आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण निरसन बिल 2020 2020 को मंजूरी दे दी।
- विकेंद्रीकरण विधेयक की मंजूरी से इसमें विशाखापट्टनम को कार्यकारी राजधानी, अमरावती को विधायी राजधानी और कुरनुल को न्यायिक राजधानी बनाए जाने का प्रस्ताव है।
क्या आप जानते हैं?
- राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण अधिनियम (CRDA) का निरसन अमरावती महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के गठन का मार्ग प्रशस्त करता है।
- सरकार अब ‘तीन राजधानियों‘ के प्रस्ताव को मूर्त रूप देने के लिए स्वतंत्र है
माहवारी स्वच्छता प्रबंधन राष्ट्रीय दिशानिर्देश, 2015
Menstrual Hygiene Management National Guidelines, 2015
Part of: GS Prelims and Mains II and III – बच्चे/ महिला कल्याण; स्वास्थ्य/ सामाजिक मुद्दा
संदर्भ:
- मासिक धर्म स्वच्छता पर राष्ट्रीय दिशा–निर्देश प्रबंधन, 2015 में पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा जारी किया गया था।
- यह मासिक धर्म की स्वच्छता के प्रत्येक घटक को संबोधित करना, जागरूकता बढ़ाना, व्यवहार परिवर्तन का समाधान, बेहतर स्वच्छता उत्पादों की क्षमता का निर्माण, फ्रंट लाइन समुदाय कैडर की क्षमता का निर्माण, प्रमुख भागीदारों की संवेदनशीलता, कारगर पहुंच और हस्तक्षेप के लिए जरूरी समानता, सुरक्षित निपटान विकल्प सहित धुलाई सुविधाओं के निर्माण आदि करने का प्रयास करता है।
आवशयक सुधार:
दिशा–निर्देशों में सैनिटरी नैपकिन को एक आवश्यक वस्तु के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए, तथा इसे आवश्यक वस्तु अधिनियम की अनुसूची में जोड़ना चाहिए।
- महाराष्ट्र के ग्रामीण विकास विभाग ने ASMITA योजना की शुरुआत की थी – ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और युवा किशोरियों को महिलाओं के SHG के नेटवर्क के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण और सस्ती सैनिटरी नैपकिन की पहुँच हो। (ऐसी योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता है)
- सैनिटरी नैपकिन बनाने वाली वेंडिंग मशीन की स्थापना स्कूलों, कॉलेजों तथा अन्य स्थानों पर होनी चाहिए।
Pic: Menstrual Hygiene Management
1947 का त्रिपक्षीय समझौता
1947 agreement Tripartite agreement
Part of: GS Prelims and Mains II – भारत नेपाल संबंध; अन्तरराष्ट्रीय संबंध
इसके बारे में:
- नेपाल, भारत और ब्रिटेन के बीच 1947 में हुए समझौते में भारत और ब्रिटेन की सेनाओं में भी नेपाली गोरखाओं को भर्ती करने की सहमति बनी थी। समझौते के तहत गोरखा सैनिकों को दोनों सेनाओं में भारतीय और ब्रिटिश सैनिकों की भांति ही वेतन, भत्ते, सुविधाएँ और पेंशन दी जाती है।
- 1947 में, भारत यूनाइटेड किंगडम से स्वतंत्र हो गया तथा ब्रिटिश और भारतीय सेनाओं के बीच गोरखा रेजीमेंट को विभाजित करने के लिए दोनों सरकारों के बीच निर्णय लिया गया – छह गोरखा इकाइयों को नई भारतीय सेना का भाग बना लिया, जबकि चार को ब्रिटिश सेना में स्थानांतरित कर दिया गया।
- इस व्यवस्था के एक हिस्से के रूप में, यह सहमति बनी कि ब्रिटिश और भारतीय सेवा में गोरखाओं को सेवा की समान शर्तों का आनंद लेना चाहिए, यह सुनिश्चित करने के लिए कि एक या दूसरे में सेवा करने के लिए कोई अनुचित लाभ नहीं था, इस प्रकार,गोरखा भर्ती क्षेत्रों में आर्थिक स्थिरता और सामाजिक सद्भाव बनाए रखना था।
- ब्रिटेन, भारत और नेपाल की सरकारों ने त्रिपक्षीय समझौते (टीपीए) पर हस्ताक्षर किए।
समाचार में क्यों?
- नेपाल के मंत्री ने कहा कि गोरखा सैनिकों पर 1947 का समझौता निरर्थक हो गया है।
- गोरखा सेवानिवृत्तों का आरोप है कि यूनाइटेड किंगडम उनके साथ भेदभाव करता रहा है,और उन्हें मिलने वाली सुविधाओं व भत्तों में कटौती हुई है, 1947 में हुआ समझौता भेदभाव वाला है।
(MAINS FOCUS)
अंतर्राष्ट्रीय / सुरक्षा
विषय: सामान्य अध्ययन: 2
- भारत और उसके पड़ोसी देशों से संबंध
- भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव
युद्ध और वार्ता: तालिबान युद्ध विराम पर
प्रसंग: तालिबान ने ईद–उल–अज़हा के दौरान तीन दिनों तक युद्धविराम का फैसला किया।
युद्ध विराम का महत्व: यह अफ़ग़ानियों के लिए राहत की तरह है जिन्होंने उग्रवादियों और अमेरिका के बीच शांति समझौते के बावजूद नृशंस हिंसा देखी है।
अमेरिका–तालिबान के समझौते की संक्षिप्त पृष्ठभूमि के लिए: Click Here (Part I) and Here (Part-II)
तालिबान युद्धविराम के संदर्भ मे एक अनैतिक मिसाल
- जून 2018 और मई 2020 में, तालिबान ने रमज़ान के पवित्र महीने के अंत को मान्यता देते हुए आतंकी घटना को अंजाम देने से इनकार किया था।
- दोनों अवसरों पर, युद्ध विराम का विस्तार करने से इनकार कर दिया, जैसे ही समारोह का अंत हुआ, युद्ध/ आतंकी घटनाएं पुनः आरंभ कर दिया।
क्या कोई नई आशा है कि युद्धविराम उत्सव से परे जारी रहेगा?
- हालांकि, इस बार, उम्मीद ज्यादा है कि इस युद्धविराम को विस्तारित किया जा सकता है क्योंकि अमेरिका–तालिबान के मध्य वार्ता (मार्च 2020 में शुरू होने वाली थी) में वादा की गई इंट्रा–अफगान वार्ता आरंभ होने वाली है।
मार्च 2020 में शुरू होने वाली इंट्रा–अफगान वार्ता को क्या रोक दिया गया?
- पूर्व शर्तो में मेल नहीं : दोनों पक्ष बंदी विनिमय पर एक समझौते तक पहुंचने में विफल रहे, जिसे यूएस–तालिबान समझौते के अनुसार शांति वार्ता के लिए आवश्यक माना गया था
- अफगान सरकार में विवाद
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- 2019 का चुनाव मुख्य विपक्षी उम्मीदवार, अब्दुल्ला अब्दुल्ला द्वारा लड़ा गया, जिसने समानांतर प्रशासन स्थापित किया, जिसके परिणामस्वरूप अफगान सरकार विभाजित हुई।
- अब्दुला अब्दुल्ला अफगान सरकार के साथ तभी लौटे जब तालिबान के साथ बातचीत का नेतृत्व करने वाली उच्च परिषद के अध्यक्ष नियुक्त किए गए.
- समझौते की धीमी प्रगति: अंत में, राष्ट्रपति गनी ने 5,000 तालिबान कैदियों को रिहा करने का फैसला किया, जिसके बाद तालिबान द्वारा युद्ध विराम घोषणा की गई।
इंट्रा–अफगान वार्ता के लिए चुनौतियाँ
यूएस–तालिबान समझौते में विभिन्न ख़ामियाँ हैं, जो विभिन्न हितधारकों के साथ सामंजस्य करने के लिए इसे कठिन बना देता है
- जब अमेरिका ने विद्रोही गुट के साथ बातचीत की तो उसने युद्धविराम पर जोर नहीं दिया इसलिए तालिबान युद्ध में लगा रहा है और साथ ही बातचीत कर रहा है
- अमेरिकियों ने बुरी तरह से संघर्ष से बाहर निकलने का रास्ता खोजा, अफगान सरकार को शांति प्रक्रिया से बाहर रखा, इस प्रकार उनकी स्थिति कमजोर हो गई
- तालिबान के लगातार हमलों के बावजूद भी कमजोर अफगान सरकार ने वार्ता आरंभ की।
निष्कर्ष
तालिबान का युद्धविराम, इंट्रा–अफगान शांति वार्ता को आरंभ करने का एक अवसर है
Connecting the dots:
- हार्ट ऑफ एशिया
- भारत के सुरक्षा हितों पर अमेरिका–तालिबान समझौते के परिणाम
अंतर्राष्ट्रीय / सुरक्षा / शासन
विषय: सामान्य अध्ययन 2,3:
- स्वास्थ्य क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियाँ और हस्तक्षेप
- भारतीय अर्थव्यवस्था और संसाधनों के नियोजन, जुटाने से संबंधित मुद्दे
कोविड और खाद्य सुरक्षा
प्रसंग: कोविद -19 और भावी विश्व आर्थिक संकट ने यह दिखा दिया है कि विश्व खाद्य सुरक्षा के लिए तैयार नहीं है।
क्या आप जानते हैं?
- संयुक्त राष्ट्र की हाल ही की रिपोर्ट ‘विश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति 2020′ में अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक जीरो हंगर (शून्य भुखमरी) के एसडीजी (SDG) के लक्ष्य को पूरा नहीं किया जाएगा।
- विश्व मे खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति, 2019 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 194.4 मिलियन लोग कुपोषित हैं।
खाद्य सुरक्षा के चार स्तंभ कौन से हैं?
खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) बताता है कि खाद्य सुरक्षा के चार स्तंभ हैं
- उपलब्धता
- पहुंच
- स्थिरता
- उपयोग
भविष्य में खाद्य असुरक्षा से निपटने के लिए सरकार ने क्या कार्रवाई की?
- केंद्र सरकार ने प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) को नवंबर तक विस्तारित करने की घोषणा की।
- इस योजना के तहत मुक्त अनाज वितरित किया जा रहा है ताकि कोई भी गरीब भूखा न रहे।
- इस योजना के तहत सरकारी कोष से 1.7 लाख करोड़ रुपये की लागत आने वाली है।
प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) की चुनौतियां
- राज्यों का खराब प्रदर्शन: मार्च में इस योजना के तहत वितरण के लिए लगभग 8 लाख टन खाद्यान्न का आवंटन किया गया था, लेकिन राज्य मई तक केवल 1.07 लाख टन ही वितरित कर पाए थे।
- खाद्य सुरक्षा के सभी चार स्तंभों पर अपर्याप्त ध्यान : जब सरकार उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है, ऐसे समय खाद्यान्न की पहुँच और उपयोग ऐसे क्षेत्र हैं जहां सरकार का प्रदर्शन निराशाजनक है और इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
यदि वितरण में खामियों को संबोधित नहीं किया जाता है तो परिणाम क्या होंगे?
- अनुपयुक्त प्रशासन: यह मुख्य रूप से मानव और प्रशासनिक अक्षमता के कारण संसाधनों का अपव्यय करेगा। इससे महामारी के दौरान लोगों का तनाव बढ़ जायेगा।
- कमजोर वर्गों पर प्रतिकूल प्रभाव: अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ गरीब जैसे सबसे अधिक असुरक्षित जनसंख्या समूहों की खाद्य सुरक्षा तथा पोषण संबंधी स्थिति और अधिक खराब हो जाने की संभावना है।
- लाभ की समाप्ति: खाद्यान्नों की पहुंच में व्यवधान का अर्थ यह भी हो सकता है कि भारत में महिलाओं और बच्चों जैसे कमजोर वर्गों में कुपोषण के खिलाफ जो लड़ाई लड़ी जा रही है, नष्ट हो सकती है।
आगे की राह
- एफएओ ने वितरण की समस्याओं को हल करने के लिए बेहतर सूचना प्रणालियों और निजी क्षेत्र के साथ सहयोग करने की सिफारिश की।
- एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) और मध्याह्न भोजन जैसे पोषण केंद्रित कार्यक्रम को मजबूत बनाए रखने की आवश्यकता है, हालांकि आंगनवाड़ी केंद्र और स्कूल (योजनाओं के लिए नोडल एजेंसियाँ) जल्द नहीं खुल सकते हैं
- अंतर-राज्यीय सहयोग और लक्ष्य भारत के मामले में एक व्यवहार्य समाधान हो सकता है। उदाहरण के लिए: केरल, तमिलनाडु और ओडिशा जैसे राज्यों ने डोर–टू–डोर इन योजनाओं के तहत सूखा राशन प्रदान करके लॉकडाउन समय के दौरान भी अच्छी प्रतिक्रिया दी है।
- पात्र लाभार्थियों के खातों में नकद हस्तांतरण राजस्थान जैसे राज्यों में किया गया है ताकि बच्चों के बीच स्टंटिंग (आयु के अनुसार कम लंबाई), वेस्टिन्ग (लंबाई के अनुसार कम वज़न) और कम वजन को कम किया जा सके और राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च किया जा सके।
Conclusion
शून्य भुखमरी के लक्ष्य को सुनिश्चित करने के लिए – लचीली और मजबूत प्रणालियों की आवश्यकता है
Connecting the dots:
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम
- आत्मानिर्भर भारत अभियान
(TEST YOUR KNOWLEDGE)
मॉडल प्रश्न: (You can now post your answers in comment section)
ध्यान दें:
- आज के प्रश्नों के सही उत्तर अगले दिन के डीएनए सेक्शन में दिए जाएंगे। कृपया इसे देखें और अपने उत्तरों को अपडेट करें।
- Comments Up-voted by IASbaba are also the “correct answers”.
Q.1) निम्नलिखित में से कौन कोर उद्योगों के अंतर्गत आता हैं?
- उर्वरक
- रिफ़ाइनरी उत्पाद
- प्राकृतिक गैस
- सीमेंट
- लोहा
- बिजली
सही कूट चुनें:
- 1, 2, 4, 5 और 6
- 1, 2, 3, 4 और 6
- 1, 2, 3, 5 और 6
- 1, 2, 3, 4, 5 और 6
Q.2) राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के बारे में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें
- एनएफएसए अधिकार आधारित दृष्टिकोण से कल्याणकारी दृष्टिकोण की ओर एक बदलाव का प्रतीक है।
- अधिनियम कानूनी रूप से 75% ग्रामीण आबादी और 50% शहरी आबादी को टीपीडीएस के तहत रियायती खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार देता है।
- एनएफएसए को भारत के संविधान के तहत भोजन के अधिकार के स्पष्ट प्रावधान के अनुसार स्थापित किया गया है
उपरोक्त में से कौन सा कथन सही है?
- केवल 2
- 1 और 2
- 2 और 3
- 1, 2 और 3
Q.3) विश्व खाद्य दिवस पर भारत ने अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम – ‘शून्य भुखमरी’ की शुरुआत की। कार्यक्रम के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें?
- कार्यक्रम सभी पूर्वोत्तर राज्यों में आरंभ किया गया है।
- यह 2030 तक भूख को समाप्त करने के लिए भारत के SDG के साथ समन्वय में एक समर्पित कृषि आधारित कार्यक्रम है।
- कार्यक्रम में जैव उर्वरक पौधों / फसलों के लिए आनुवंशिक उद्यान की स्थापना शामिल है.
उपरोक्त में से कौन सा कथन सही है?
- 1 और 2
- 2 और 3
- 1 और 3
- उपरोक्त सभी
ANSWERS FOR 31st July 2020 TEST YOUR KNOWLEDGE (TYK)
1 | D |
2 | D |
3 | C |
4 | B |
5 | C |
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