Catharsis -Unlock Your Talent & Creativity: SKETCHING by NIDHI JANGID & WRITE UP by SPARSH CHOUDHARY!

  • IASbaba
  • August 24, 2020
  • 0
Catharsis- IASbaba’s Creative Minds
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Hello Friends,

You must be aware of the term ‘catharsis’. It is the process of releasing and thereby providing relief from, strong or repressed emotions.

Recently we have launched a new initiative by the name Catharsis -Unlock Your Talent & Creativity!

Today’s work is SKETCHING by NIDHI JANGID & WRITE UP by SPARSH CHOUDHARY

Well done, Keep it up !!


SKETCHING by NIDHI JANGID !


WRITE UP by SPARSH CHOUDHARY !

 

तुम अभी तो थे , और अब तुम नही हो . यही फासला तो होता है न ,मौत और ज़िन्दगी के दरम्यान. पिछले कुछ महीनों से दुनिया मौत  और  ज़िन्दगी के बीच  की जंग को जी रही है .  पर इरफान  ,आज तुम्हारे जाने से दिल बैठ गया ,ऐसा मुझे आखिरी दफे स्टीफंस हॉकिन्स और डॉक्टर कलाम  के जाने से लगा था . और  मुझे लगा मौत ज़िन्दगी का वह सच है जिसे हममें से हरेक को हर पल अच्छे कर्म करने के लिये प्रेरित करना चाहिए  ।  कुछ महीनों से अखबारों के पन्नों से लेकर डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर बस मौत के नग्न तांडव के ही तो तमाशबीन बन के रह गए हैं हम.सफाई कर्मी ,मेडिकल पेशे से जुड़े लोग और सरकारी अफसर तो इस तांडव के गवाह भी हैं ,और भी बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं .  साथ ही हम डर और अपने अपने भीतर के दानवों का सामना भी तो कर रहे हैं  . 

पर आखिर इस जीडीपी ,आर्टिफिशिअल इंटैलिजेंस और 5G की दौड़ में मसरूफ़ हमारी बिरादरी को कैसे समझ आएगा कि अगर कुछ इसके अलावा भी  सच है तो वह यह कि हमारे बीच के अप्रवासी मज़दूर , बच्चे ,औरतें और तमाम लोग जो भूखे हैं ,वे हम से कहीं विकराल परिस्थितियों में अटके हुए हैं  . घरों में बंद औरतें दुनिया के सबसे विकसित देशों मसलन मोहब्बत के शहर के रूप में जाने जाने वाले फ्रांस के  पैरिस में और भारत में एक जैसे हिंसा और अत्याचार का शिकार हो रही हैं । घरों के भीतर होने वाले  बाल यौनशोषण के शिकार बच्चों के सिर पर खौफ शायद चौबीस घंटे होगा 

  कैसे हम ये मिल बैठके सोचेंगे कि अगर कुछ भी सबसे कीमती है तो वह है ज़िन्दगी और वो भी हरेक इंसान की . और ये बात आज सिर्फ इस रहस्मयी बीमारी की वजह से नही ,हमें सोचना होगा दूरदृष्टि के साथ , जब हम दंगों , प्रॉक्सी युद्धों और  शरणार्थियों के प्रति घृणा और प्राकृतिक प्रकोपों से जूझते हैं . क्यों हमारे लिए सीरिया और अफगानिस्तान के निर्दोष लोगों की जानें या उत्तरी पूर्वी दिल्ली के फरवरी के दंगों में गयी जानें या मज़हब और नफरत की आग में झोंके गए तबरेज़, पहलू खान और अख़लाक़ की जानें अलग अलग होती हैं .  क्यों नहीं हम सत्ता,ताक़त  , बेशुमार दौलत  और अति राष्ट्रवाद के जहरीले कॉम्बिनेशन से कुछ देर वक़्त निकालकर मुम्बई के फ्लेमिंगो -कुम्भ और नीले होते आसमान को निहारके कुदरत के अनकहे मैसेज को  पढ़ते ,समझते .और दृढ़ निश्चय कर लेते कि हम सब – सरकारें, प्रशासक , आम लोग खासकर शहरी मध्यम वर्ग – अब ठहरेंगे .कुदरत की तबाहियों को रोकेंगे .बिखरे पर्यावरण को सतत विकास से जोड़ेंगे . हम सबसे और सबसे पहले स्वास्थ्य ,शिक्षा और मानव संसाधन विकास को अपनी नीतियों की बिनाह बनाएंगे । 

वैसे ये भी सच है  कि रंगमंच पर अभिनय करने वाले इरफान ,तुम और तुम्हारे जैसे तमाम लोग जो अलग अलग किस्म की लड़ाइयाँ और बेइंतेहा तकलीफ झेलते हैं ,क्यूं वे ही मौत को बेहतर समझ पाते हैं और ज़िन्दगी को भी । ज़िन्दगी ने तुमसे वो दो साल की मोहलत वापस ले ली पर जैसा मैंने कहा इस वक़्त सारी दुनिया को भी तो यही  देखना पड़ रहा है .  तुम और अलग अलग कारणों से अपनी ज़िंदगी खोने वाले लोग क्या किसी के पिता,माँ ,पति,पत्नी ,बहन  ,भाई ,दोस्त ,कलाकार, शिक्षक, वैज्ञानिक,सरहद पर खड़े ,अस्पतालों में डटे, कूड़ा बीनते और नालियों के मैले ढोते ,किसी के जिगर का टुकड़ा या किसी की नाज़ों से पाली बिटिया नही होते ? 

क्यों हम में से कुछ लोग ज़िन्दगी भर की कमाई और संपत्ति और यहां तक कि ज़िन्दगी भी दूसरों के लिए समर्पित कर देते हैं ,हर आपदा में हम इंसान के इस ख़ूबसीरत पक्ष को महसूस करते हैं . सोचिये और अगर इंस्टाग्राम ,ट्विटर से वक़्त मिल सके , आर्थिक ,मानसिक ,शैक्षिक हालात बेहतर हों , तो शुक्रिया फरमाइए और मुश्किल है मगर भीतर झांकिए . मरहूम अभिनेता इरफान खान के शब्दों में कहूँ तो ज़िन्दगी ऐसी ही तो है जहां तमाम योजनाओं ,सपनों और अरमानों की तेज़ दौड़ती रेलगाड़ी में अचानक से टिकिट कलेक्टर आकर आपको झकझोरता है कि बस सफर खत्म हुआ और आप कुछ नही कर सकते . 

 आइये हम ये समझें कि  हम आज चाहे जहां भी हों  ,जहां जाएंगे ,जहां पहुंचेंगे ,उससे परे आखिरी सांस तक हम ,इस दुनिया और समाज के सबसे आखिरी आदमी के लिए भी बेहतरी और सम्मानजनक ज़िन्दगी निश्चित करने में अपना छोटा बड़ा योगदान देंगे .  क्योंकि वक़्त बहुत कम है हम सबके पास  .  और मरते वक्त और मरने के बाद भी आखिर यही तो मायने रखता है कि आप और मैं आखिरकार अपने आसपास की दुनिया को कितना खूबसूरत छोड़कर गए !  


Be creative and find your catharsis in whichever form of creativity you are comfortable with. 

It could be anything- a song, a painting, a poem, a story, a dance performance, rangolis, jokes/humor, culinary skills, mimicry and whatnot. There is no limit to creativity. Just unleash and share it with everyone!

Why don’t you share your moments of catharsis with us?

UPSC is not only about academics but personality as well. And your personality is shaped by the creativity that you possess.  

We encourage you to keep the comment section alive by sharing your talents and also by commenting and encouraging the talent of your peers. We are also going to be a regular visitor here and will keep on posting the creative works by our talented team members and staff.

NOTE- You can also nominate by tagging anyone (if you know about the talent of your friend or anyone) ?

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